Lucknow News : बेगम अख्तर की याद में गजल, दादरा व ठुमरी से सजी अवध की शाम 

UPT | भातखंडे संस्कृति विश्वविद्यालय में आयोजित याद-ए-बेगम-अख्तर कार्यक्रम।

Oct 07, 2024 22:33

मल्लिका-ए-गजल बेगम अख्तर की याद में गजल, डुमरी और दादरा की संगीनी शाम सजी। भातखंडे संस्कृति विश्वविद्यालय में सोमवार को याद-ए-बेगम-अख्तर कार्यक्रम में उस्ताद सखावत हुसैन से अपनी प्रस्तुतियों से ऐसा समां बांधा कि दर्शक मंत्रमुग्ध हो गए।

Lucknow News : मल्लिका-ए-गजल बेगम अख्तर की याद में गजल, डुमरी और दादरा की संगीनी शाम सजी। भातखंडे संस्कृति विश्वविद्यालय में सोमवार को याद-ए-बेगम-अख्तर कार्यक्रम में उस्ताद सखावत हुसैन से अपनी प्रस्तुतियों से ऐसा समां बांधा कि दर्शक मोहित हो गए।

बेगम अख्तर की गजल का जादू
उस्ताद सखावत हुसैन की ठुमरी और गजल की से रंगीन महफिल का आगाज हुआ। उनकी ठुमरी का अंदाज अलग था। उन्होंने कैसा जादू डाला रसिया बेहद खूबसूरत अंदाज में पेश किया। जिसने सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। इसके बाद उस्ताद सखावत ने बेगम अख्तर की मशहूर गजल "मेरे हमनफस मेरे हमनवां, जो हममें तुममें करार था" पेश की। इस गजल की गहराई और भावनाएं सीधे दिल में उतर गईं। 



सावन की रिमझिम में खो जाने का अनुभव
खास पेशकश "हाय रे सावन की घटा" ने दर्शकों को सावन की रिमझिम में खो जाने का अनुभव कराया। इस प्रस्तुति ने कार्यक्रम में चार चांद लगा दिए। अंत में उस्ताद सखावत ने 11 मात्रे ताल में निबद्ध गजल "दिल को हर वक्त तसल्ली का गुमान होता है, हंगामा है बरपा, ऐ मुहब्बत तेरे अंजाम पे" सुनाकर खूब वाहवाही लूटी। 

बेगम अख्तर की यादें हुईं ताजा
इस संगीनी शाम ने बेगम अख्तर की यादों को ताजा किया और दर्शकों को उनकी गायकी का जादू फिर से जीने का अवसर मिला। कार्यक्रम का उद्देश्य केवल बेगम अख्तर के योगदान को याद करना ही नहीं, बल्कि युवा पीढ़ी को उनके संगीत और कला के प्रति जागरूक करना भी था।

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