Hartalika Teej : हरतालिका तीज आज, ये है शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

UPT | हरतालिका तीज व्रत 2024

Sep 06, 2024 20:34

धर्म शास्त्र की माने तो हरतालिका तीज का व्रत सुहागन महिलाएं पति की लंबी आयु और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए रखती हैं।

Short Highlights
  • भादो शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरतालिका तीज
  • आज पूरे दिन सुहागन महिलाएं रखेंगी निर्जला व्रत 
  • सुबह 6.02 बजे से शुरू हो गई भादो की हरतालिका तीज 
Hartalika Teej : आज भादो शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरतालिका तीज व्रत सुहागन महिलाएं रखेंगी। हरतालिका तीज सुबह 06.02 बजे शुरू हो गई है। पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 6.20 बजे से शुरू हो गया। धर्म शास्त्र की माने तो हरतालिका तीज का व्रत सुहागन महिलाएं पति की लंबी आयु और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए रखती हैं।

शिव-पार्वती की मिट्टी की प्रतिमा
हरतालिका तीज व्रत में शिव-पार्वती की मिट्टी की प्रतिमा बनाई जाती है। इन प्रतिमाओं की विधि विधान पूजा अर्चना की जाती है। हरतालिका तीज व्रत निर्जला रखा जाता है। व्रत का पारण दूसरे दिन यानी चतुर्थी को सूर्योदय के बाद किया जाता है। हरतालिका तीज व्रत करने से महिलाओं को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। तीज पूजा का प्रदोष काल मुहूर्त शाम 06.36 मिनट से शाम 06.59 मिनट तक रहेगा। तृतीया तिथि का प्रारम्भ कल 5 सितम्बर की दोपहर 12:21 बजे से आज 6 सितंबर 2024 की दोपहर 03.01 बजे तक होगा।

हरतालिका तीज की पूजा सुबह और शाम 
हरतालिका तीज व्रत में माता पार्वती और भगवान शिव की रेत से प्रतिमा बनाई जाती है। पूजा स्थान पर केले के पत्ते को रखकर उसपर भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित की जाती है। इसके बाद भगवान की प्रतिमाओं को फूल और सुगंध अर्पित किया जाता है।  माता पार्वती, भगवान शिव और गणेश जी की विधि विधान पूजा की जाती है। इस पूजा में महिलाएं सुहाग सामग्री माता को चढ़ाती हैं। भगवान शिव को धोती चढ़ाई जाती है। हरितालिका तीज की कथा सुनी जाती है। महिलाएं रात्रि में भजन करती हैं और फिर अगली सुबह स्नान आदि करने के बाद पूजा करके अपना व्रत खोती हैं।

निर्जला रखा जाता है हरतालिका तीज व्रत 
हरतालिका तीज व्रत निर्जला और बिना कुछ खाए-पिए रखते हैं। हरतालिका व्रत में पूरे दिन अन्न-जल ग्रहण नहीं करते हैं। कहते हैं अगर हरतालिका व्रत एक बार शुरू कर दिया तो इसे बीच में छोड़ा नहीं चाहिए। हरतालिका तीज व्रत में रात में सोना नहीं चाहिए। व्रत की रात भजन-कीर्तन करना चाहिए और अगले दिन सुबह स्नान के बाद पुनः पूजा करके व्रत खोलना चाहिए। 

Also Read