Lok Sabha Elections 2024 : अखिलेश के इस सियासी दांव से रालोद की परेशानी बढ़ी, भाजपा की बल्ले-बल्ले

UPT | मुजफ्फरनगर से हरेंद्र मलिक और कैराना से इकरा हसन सपा लोकसभा प्रत्याशी।

Feb 20, 2024 22:36

अखिलेश के इन दोनों सीटों पर प्रत्याशी घोषित करने के बाद अब इन दोनों लोकसभा सीट पर बदले राजनीतिक समीकरण भाजपा के हक में हैं। जिसके चलते भाजपा इन दोनों सीटों पर मजबूती से अपनी दावेदारी करेगी। इससे रालोद के हाथ से मुजफ्फरनगर और कैराना लोकसभा सीट चली जाएगी। 

Short Highlights
  • अखिलेश कैराना और मुजफ्फरनगर में प्रत्याशी घोषित कर भाजपा की राह आसान की
  • कैराना और मुजफ्फरनगर सीट पर रालोद के चैधरी जयंत कर रहे थे दावेदारी
  • बदले सियासी समीकरण से रालोद के पास बैकफुट के अलावा कोई चारा नहीं 
Meerut : कहते हैं राजनीति मौका और संभावनाओं का खेल होती है। जिसने मौके को भुना लिया और संभावनाओं को अपनाया वहीं सियासी शतरंज में फिट बैठता है। लोकसभा चुनाव 2024 की तारीख अभी घोषित नहीं हुई है। लेकिन प्रत्याशियों की लिस्ट दलों ने जारी करनी शुरू कर दी है। प्रत्याशियों की सूची जारी करने में सबसे आगे समाजवादी पार्टी है। सपा मुखिया पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने पश्चिम यूपी में दो सीटों पर अपने प्रत्याशी घोषित कर साथी चौधरी जयंत की मुश्किल बढ़ा दी है।

सपा ने मुजफ्फरनगर सीट पर सियासी चाल चली और यहां से दिग्गज नेता हरेंद्र मलिक को लोकसभा चुनाव मैदान में उतार दिया है। वहीं कैराना से इकरा हसन को पार्टी प्रत्याशी बनाया है। इकरा हसन नाहिद हसन की बहन हैं और वो पिछले कई सालों से क्षेत्र की राजनीति में सक्रिय हैं। इन दोनों सीटों पर अपने प्रत्याशी खड़े कर अखिलेश यादव ने रालोद के जयंत चैधरी को तगड़ झटका दिया है। चौधरी जयंत इन दोनों सीटों पर अपनी दावेदारी जता रहे थे। लेकिन जब बात नहीं बनी तो उन्होंने सपा से अपने रास्ते अलग कर लिए। लेकिन अखिलेश की ये चाल जयंत के लिए अभी भी मुसीबत है।

अखिलेश के इन इन दोनों सीटों पर प्रत्याशी घोषित करने के बाद अब इन दोनों लोकसभा सीट पर बदले राजनीतिक समीकरण भाजपा के हक में हैं। जिसके चलते भाजपा इन दोनों सीटों पर मजबूती से अपनी दावेदारी करेगी। इससे रालोद के हाथ से मुजफ्फरनगर और कैराना लोकसभा सीट चली जाएगी। 
भाजपा से रालोद मांग रही थी मुजफ्फरनगर और कैराना लोकसभा सीट
बता दें लोकसभा चुनाव 2024 के लिए भाजपा और रालोद का गठबंधन तय हो गया है। अब इसकी औपचारिकता मात्र बाकी है। रालोद ने भाजपा से मुजफ्फरनगर और कैराना लोकसभा सीट मांगी थी। सूत्रों की माने तो इनमें से मुजफ्फरनगर सीट पर सहमति बन गई थी। लेकिन अब हरेंद्र मलिक के सपा प्रत्याशी घोषित होने के बाद से मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट पर समीकरण पूरी तरह से बदल गए हैं। रालोद के पास ऐसा कोई दमदार प्रत्याशी नहीं है जो हरेंद्र मलिक का मुकाबला कर सके। ऐसे में इस सीट पर भाजपा अपने वर्तमान सांसद केंद्रीय राज्य मंत्री डाॅ. संजीव बालियान के बूते दावेदारी कर सकती है। ऐसे ही कुछ हालात कैराना लोकसभा सीट पर भी बन रहे हैं। कैरान लोकसभा सीट इस समय भाजपा के पास है। कैराना से सांसद प्रदीप चौधरी हैं। 

भाजपा और सपा में होता है कड़ा मुकाबला
कैराना लोकसभा सीट हो या विधानसभा चुनाव। इस सीट पर हमेशा रोचक मुकाबला होता आया है। एक दौर था जब कैराना सीट पर भाजपा के बाबू हुकुम सिंह और सपा के मुनव्वर हसन के बीच कांटे की टक्कर हुआ करती थी। एक ही राजनैतिक घराने से ताल्लुक रखने वाले बाबू हुकुम सिंह और मुनव्वर हसन कट्टर राजनीतिक प्रतिद्वंदी थे। अब सपा ने इकरा को टिकट देकर इस राजनैतिक प्रतिद्वंदिता को फिर से हवा दे दी है।  कैराना लोकसभा सीट पर 15 लाख मतदाता हैं। जिनमें से पांच लाख मुस्लिम मतदाता हैं। जो प्रत्याशी की जीत हार का फैसला करते हैं। लेकिन यहां पर भाजपा का भी अपना तगड़ा जनाधार है। 

जाट राजनीति में मजबूत पकड़, कई बार अपने दम पर चुनाव निकाल चुके हैं हरेंद्र मलिक 
रालोद से अलग हुई सपा ने मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट से पूर्व सांसद हरेंद्र मलिक को उम्मीदवार घोषित कर यहां पर एक बार भाजपा के लिए भी परेशानी खड़ी कर दी है। पश्चिम यूपी की जाट राजनीति में बड़ी पकड़ रखने वाले हरेंद्र मलिक ने कई बार अपने दम पर चुनाव जीता है। हरेंद्र मलिक जब तक कांग्रेस में रहे। पश्चिम यूपी के इस जाट बाहुल्य इलाके में कांग्रेस का डंका बजता था। लेकिन जब हरेंद्र मलिक ने कांग्रेस छोड़ी तो कांग्रेस का जाट बेल्ट में कोई नाम लेवा नहीं रहा। दिग्गज जाट नेता हरेंद्र  मलिक जिले से चार बार विधायक रह चुके हैं और अब तक लोकसभा के चार चुनाव लड़ चुके हैं। इनेलो ने उन्हें राज्यसभा भेजा था। पश्चिम यूपी में समाजवादी पार्टी ने जाट राजनीति में मजबूत पकड़ वाले इस नेता को राष्ट्रीय महासचिव भी बनाया था। बता दें सपा-रालोद गठबंधन में लोकसभा टिकट के लिए हरेंद्र मलिक का नाम आगे था। लेकिन कुछ रालोद नेता हरेंद्र मलिक के नाम पर सहमत नहीं थे। इसके बाद रालोद इंडिया गठबंधन से अलग होकर एनडीए में चला गया। 

चौधरी चरण सिंह ने दिया था 1985 में खतौली से टिकट
छात्र जीवन से सक्रिय राजनीति में भागीदारी करने वाले जाट नेता हरेंद्र मलिक को 1985 में पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह ने खतौली से टिकट दिया तो वह पहली बार विधायक चुने गए थे। इसके बाद 1989, 1991 और 1993 में हरेंद्र मलिक बघरा विधानसभा सीट से विधायक रहे। पूर्व सांसद हरेंद्र मलिक ने राजनीति की शुरुआत लोकदल से की थी। इसके बाद सपा और फिर कांग्रेस में लंबी पारी खेली। कांग्रेस के बाद दोबारा सपा में शामिल हुए और वर्तमान में राष्ट्रीय महासचिव हैं।

बेटे पंकज को तीसरी बार बनवाया विधायक
पूर्व सांसद हरेंद्र मलिक ने अपने बेटे पंकज मलिक को तीसरी बार विधानसभा पहुंचाने में अहम भूमिका निभाई। पूर्व मंत्री अनुराधा चौधरी के सांसद बनने के बाद बघरा सीट से उपचुनाव में पंकज मलिक पहली बार विधायक बने थे। दूसरी बार शामली से कांग्रेस के विधायक बने और तीसरी बार सपा से वर्तमान में चरथावल से विधायक हैं।

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