Ghaziabad News : सोगवारों ने हजरत इमाम की याद में बहाए आंसू, या हुसैन या हुसैन की सदाओं के बीच ताजिए दफन

UPT | गाजियाबाद में मोहर्रम जुलूस में मातम करते सोगवार।

Jul 17, 2024 20:44

ताजिये के साथ जुलूस बरामद हुआ। जिसमें हजारों सोगवारों ने शिरकत कर शोहदा-ए करबला को अकीदत पेश की। अंजुमन-ए हुसैनी अलम और ताजियों का जुलूस लेकर नोहा ख्वानी और इमाम हुसैन की शहादत को याद करते हुए ताजिया जुलूस...

Short Highlights
  • अखाड़ों ने दिखाए हैरतअंगेज कारनामे
  • सोगवारों ने शिरकत कर खिराज-ए-अकीदत पेश की
  • ताजिया जुलूस के दौरान दुरूस्त रही पुलिस व्यवस्था  
Ghaziabad News : गाजियाबाद में आज मोहर्रम की दसवीं तारीख पर ताजिए निकाले गए। 'ऐ सैयदा के लाल तुझको उम्र भर रोएंगे हम, हम फकत पैदा हुए रोने रुलाने के लिए'। इन पंक्तियों के साथ नोहाख्वानी व सीनाजनी करते हुए सोगवारों ने नवासा-ए रसूल हजरत इमाम हुसैन की याद में आंसू बहाए।

ताजिया जुलूस के साथ या हुसैन!या हुसैन की सदाओं के बीच सीनाजनी
ताजिये के साथ जुलूस बरामद हुआ। जिसमें हजारों सोगवारों ने शिरकत कर शोहदा-ए करबला को अकीदत पेश की। अंजुमन-ए हुसैनी अलम और ताजियों का जुलूस लेकर नोहा ख्वानी और इमाम हुसैन की शहादत को याद करते हुए ताजिया जुलूस के साथ या हुसैन!या हुसैन की सदाओं के बीच सीनाजनी कर मातम किया। ताजिया नया बस अड्डा होते हुए बौंझा वाली करबला में दफन हुए। सोगवारों ने फाका शिकनी की। ताजियों को चौकियों से मातमी धुनों के बीच उठाया गया और शहर के प्रमुख रास्तों से होते हुए कर्बला ले जाया गया।

जिक्र-ए-शहादत में दसवीं मोहर्रम का वाक्या बयान किया
शहर में कई जगह जिक्र-ए-शहादत में दसवीं मोहर्रम का वाक्या बयान किया गया। हजरत इमाम हुसैन की शहादत का जुलूस रात दस बजे प्रारंभ हुआ। जिसमें युवाओं ने हैरतअंगेज करतब दिखाए। मोहर्रम कमेटी के मोहम्मद रहीस अहमद ने बताया कि कर्बला में हजरत इमाम हुसैन की अजीम शहादत की यादगार दुनिया भर में मनाई जाती है। भले ही नवासे रसूल का रोजा इराक के कर्बला में है, लेकिन हर शहर में आज कर्बला मौजूद है। अलम और ताजिये सच्चाई की जीत का पैगाम हैं। हर कोई खुद को हक का परस्तार और हुसैनी बताता है। कर्बला की शहादत ने इस्लाम को नई रोशनी बख्शी।

शहर में अकीदत और एहतराम के साथ ताजियों का जुलूूूस
शहर में अकीदत और एहतराम के साथ ताजियों का जुलूूूस निकाला गया। जुलूस में गली मोहल्लों से निकले छोटे-बड़े तकरीबन 50 ताजिये शामिल हुए। इसमें कंबल का ताजिया, पंखे का ताजिया, सरसाें का ताजिया प्रमुख रहे। शहादतनामे और मर्सिए पढ़ते हुए लोेग कर्बला तक पहुंचे। जहां गमगीन माहौल में ताजियों को दफन किया गया। 

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