विंध्याचल धाम से नवरात्र विशेष : भक्तों का बढ़ा सैलाब, मां विंध्यवासिनी ने चंद्रघंटा रूप में दिए दर्शन

UPT | मंदिर में भक्तों की लगी लाईन

Apr 11, 2024 13:55

विंध्याचल धाम में नवरात्री पर्व के दौरान भक्तों का सैलाब लगातार बढ़ता जा रहा है। सुबह मंगला आरती के समय से श्रद्धालुओं की लंबी कतार मां के दर्शन करने के लिए लग चुकी है...

Mirzapur News (Santosh Gupta) : विंध्याचल धाम में नवरात्री पर्व के दौरान भक्तों का सैलाब लगातार बढ़ता जा रहा है। सुबह मंगला आरती के समय से श्रद्धालुओं की लंबी कतार मां के दर्शन करने के लिए लग चुकी है। मां के दर्शन करने के लिए लाखों की तादात में भक्तों का सैलाब उमड़ा है। मंदिर परिसर में माता के जयकरें गूंज रहे है और भक्त दर्शन कर रहे है। 

माता विंध्यवासिनी की चन्द्रघंटा के रूप में होती है पूजा अर्चना 
नवरात्र के तीसरे दिन आदिशक्ति माता विंध्यवासिनी की चन्द्रघंटा के रूप में पूजा अर्चना की जाती है। भक्तों के कल्याण के लिए आदिशक्ति विंध्यवासिनी नवरात्र के नौ दिनों में शक्ति के नौ रूपों में दर्शन देती है। चंद्रमा धारण करने वाली मां अपने भक्तों को शीतलता प्रदान करने के साथ-साथ उनकी सभी मनोकामनाओं को पूरा करती है। भक्तों और सभी प्राणियों को सदमार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करने वाली मां का यह स्वरूप सभी के लिए वन्दनीय है| विन्ध्य और मां गंगा के संगम तट पर विराजमान मां विंध्यवासिनी चन्द्रघंटा के रूप में दर्शन देकर भक्तों की सारी मनोकामना पूरी करती है।

दुष्टों का संहार अपने घंटे की ध्वनि से करती हैं माता
अनादिकाल से आस्था का केंद्र रहे विन्ध्याचल में विन्ध्य पर्वत और पतित पावनी मां भागीरथी के संगम तट पर श्रीयंत्र पर विराजमान मां विंध्यवासिनी को तीसरे दिन चन्द्रघंटा के रूप में पूजन और अर्चन किया जाता है। भारत के मानक समय के लिए बिन्दु के रूप में स्थापित विंध्य क्षेत्र में मां को बिन्दुवासिनी अर्थात विंध्यवासिनी के नाम से भक्तों के कष्ट को दूर करने वाली माता माना जाता है। जहां एक ओर मां चंद्रघंटा दुष्टों का संहार अपने घंटे की ध्वनि से करती हैं, वहीं भक्तों के कष्टों का नाश भी घंटे से निकलने वाली ध्वनि से होता है। प्रत्येक प्राणी को सदमार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करने वाली मां चन्द्रघंटा सभी के लिए आराध्य है।
 
मातारानी करती है सभी मनोकामना पूरी  
विद्वान् यह भी बताते हैं कि मंदिरों में घंटा लगाने का धार्मिक और वैज्ञानिक दोनों महत्व है। भक्तों द्वारा हलुआ-पूड़ी का भोग मां को अर्पण करने से सभी मनोकामना पूरी होती है। मां चन्द्रघंटा के रूप में देवी की आराधना से मणिचक्र जागृत होता है, जिससे व्यक्ति का समय चक्र परिवर्तित होता है। धाम में आने वाले भक्त यहां आकर बहुत खुश होते हैं। भक्तों का कहना है कि मातारानी सभी मनोकामना पूरी करती है। पिछले कई वर्षों से देवी पाठ करने वाले भक्तों की झोली मां ने भर दी है। आने वाले भक्त मन की मुराद पूरा होने से बहुत ख़ुशी की अनुभूति करते हैं। नवरात्र में नौ दिन मां के अलग अलग रूपों की पूजा कर भक्त सभी कष्टों से छुटकारा पाते हैं| माता के किसी भी रूप में दर्शन करने मात्र से प्राणी के शरीर में नयी उर्जा, नया उत्साह और सदविचार का संचार होता है।

Also Read