संगीत हमारी संस्कृति का सजग संरक्षक है : पद्मश्री उर्मिला श्रीवास्तव ने इसे भावों की हृदयस्पर्शी अभिव्यक्ति बताया  

UPT | कार्यक्रम में मौजूद अतिथि।

Oct 23, 2024 18:43

संस्कृति मंत्रालय के प्रमुख आयाम, राज्य संगीत नाटक अकादमी के तत्वावधान में मिर्जापुर के एस एन पब्लिक स्कूल के सभागार में दो दिवसीय संगीत की क्षेत्रीय प्रतियोगिता का आयोजन हुआ।

mirzapur News :  उत्तर प्रदेश सरकार के संस्कृति मंत्रालय के प्रमुख आयाम, राज्य संगीत नाटक अकादमी के तत्वावधान में मिर्जापुर के एस एन पब्लिक स्कूल के सभागार में दो दिवसीय संगीत की क्षेत्रीय प्रतियोगिता का आयोजन हुआ। कार्यक्रम की शुरुआत देवी सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण और दीप प्रज्वलित कर की गई। इस कार्यक्रम का उद्देश्य भारतीय शास्त्रीय संगीत और उसकी परंपराओं को जीवित रखना और नवोदित कलाकारों को मंच प्रदान करना था। 

संगीत कला: मानवीय भावों की अभिव्यक्ति
इस अवसर पर मुख्य अतिथि, पद्मश्री उर्मिला श्रीवास्तव ने भारतीय संगीत की महत्ता पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, "संगीत कला मानवीय भावों की हृदयस्पर्शी अभिव्यक्ति है। यह हमारी संस्कृति का अमूल्य धरोहर है, जो हमें अपने पूर्वजों से विरासत में मिली है।" उन्होंने बताया कि भारत, अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विविधता और परंपराओं के कारण हमेशा से ही विश्व में विशेष पहचान रखता है। भारतीय शास्त्रीय संगीत, जो कि हमारे शास्त्रों से निकला है, भारतीय संस्कृति की आत्मा के रूप में जानी जाती है। इस धरोहर को जीवित रखना हमारा कर्तव्य है। सरकार भी इसके प्रचार-प्रसार के लिए निरंतर प्रयास कर रही है।

संगीत से मिलती है भाईचारे को मजबूती
विशिष्ट अतिथि, जिला पंचायत अध्यक्ष राजू कनौजिया और नगरपालिका अध्यक्ष श्याम सुन्दर केशरी ने भी कार्यक्रम में शिरकत की। उन्होंने कहा, "शास्त्रीय संगीत से भाईचारे और एकता को बढ़ावा मिलता है। संगीत और संस्कृति का संरक्षण आज के समय की जरूरत है। भारत, जहां विभिन्न धर्म, भाषाएं, और परंपराएं हैं, संगीत की इस विरासत ने हमें एकजुट रखा है।" उन्होंने भारतीय संगीत को संरक्षित करने की आवश्यकता पर जोर दिया और बताया कि विद्यालय स्तर पर संगीत और संस्कृति से जुड़े विषयों को पाठ्यक्रम में शामिल करना आवश्यक है।

भारतीय संगीत का ऐतिहासिक महत्व
कार्यक्रम की संयोजिका, पूजा केशरी ने भारतीय संगीत के ऐतिहासिक महत्व के बारे में चर्चा की। उन्होंने बताया कि वैदिक काल में ही संगीत के सात स्वरों का आविष्कार हो चुका था। भारतीय महाकाव्य रामायण और महाभारत की रचनाओं में भी संगीत का महत्वपूर्ण प्रभाव देखा जा सकता है। उन्होंने बताया कि तानसेन, स्वामी हरिदास और अमीर खुसरो जैसे महान संगीतकारों ने भारतीय संगीत के विकास में अहम योगदान दिया। आधुनिक युग में भी शास्त्रीय संगीत की विभिन्न शैलियां जैसे कि ख्याल, ध्रुपद, धमार, तराना, और ठुमरी प्रचलित हैं। इन शैलियों का संरक्षण और प्रचार करना हमारी सांस्कृतिक धरोहर को संजोने के लिए महत्वपूर्ण है।

पुरस्कार वितरण और क्षेत्रीय स्तर की प्रतियोगिता
कार्यक्रम में विजयी प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र और पुरस्कार वितरित किए गए। बाल, किशोर, और युवा वर्ग में प्रथम स्थान प्राप्त करने वाले प्रतिभागियों को लखनऊ में आयोजित होने वाली प्रांतीय स्तर की प्रतियोगिता में भाग लेने का अवसर मिला। निर्णायक मंडल में प्रतापगढ़ से पुरुषोत्तम प्रसाद पाण्डेय, लखनऊ से अनंत कुमार प्रजापति और पवन कुमार तिवारी शामिल थे, जिन्होंने सभी प्रतिभागियों के प्रदर्शन का मूल्यांकन किया।

प्रतियोगिता में गायन वर्ग में किशोर वर्ग से हंशिका ने प्रथम स्थान प्राप्त किया, कन्हैया पाण्डेय को द्वितीय स्थान और अर्चिता सिंह को तृतीय स्थान मिला। तबला वादन में हेमंत कुमार ने बाजी मारी, जबकि बांसुरी वादन में मयंक कुमार ने प्रथम स्थान प्राप्त किया। शास्त्रीय गायन ख्याल तराना में ऋत्विका सिंह ने अपनी प्रस्तुति से सबका मन मोह लिया। युवा वर्ग में पूजा बसाक प्रथम स्थान पर रहीं। अन्य प्रतिभागियों जैसे अनंदिता, सिमरन मिश्रा, अकुल, वर्षा, और चिराग कुशवाहा ने भी बेहतरीन प्रदर्शन किया, जिससे प्रतियोगिता का स्तर ऊँचा बना रहा।

भारतीय संगीत का संरक्षण: समाज की जिम्मेदारी
इस अवसर पर वरिष्ठ समाजसेवी शैलेन्द्र अग्रहरि, सिविल डिफेंस की चीफ वार्डन डॉ. मधुलिका सिंह, जिला जुडो संघ के अध्यक्ष नित्यानंद प्रसाद, अधिवक्ता अतिन गुप्ता, और अन्य विशिष्ट जन उपस्थित रहे। सभी ने एक मत होकर इस बात पर जोर दिया कि भारतीय संगीत का संरक्षण समाज की जिम्मेदारी है। भारतीय संस्कृति की इस अमूल्य धरोहर को जीवित रखने के लिए सभी को मिलकर प्रयास करना चाहिए।

सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भविष्य
अकादमी की ओर से अतिथियों का स्वागत विभाग संयोजिका पूजा केशरी ने बुके और गीता की पुस्तिका देकर किया। इस तरह के आयोजनों से मिर्जापुर जैसे शहर में संगीत और संस्कृति को प्रोत्साहन मिलता है। नगरपालिका अध्यक्ष श्याम सुन्दर केशरी ने इस आयोजन की सराहना करते हुए कहा कि इस तरह के कार्यक्रमों से न केवल शहर के युवाओं को अपनी प्रतिभा दिखाने का मंच मिलता है, बल्कि शहर की सांस्कृतिक विरासत को भी संजीवनी मिलती है।

समापन और भविष्य की योजनाएं
कार्यक्रम के अंत में, अकादमी के प्रतिनिधियों ने धन्यवाद ज्ञापन देते हुए कहा कि इस प्रतियोगिता का उद्देश्य न केवल संगीत के प्रति रुचि को बढ़ावा देना था, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को शास्त्रीय संगीत की महत्ता से अवगत कराना भी था। उन्होंने भविष्य में और भी ऐसे कार्यक्रमों के आयोजन की बात कही, जिससे भारतीय संगीत की धरोहर को जीवित रखा जा सके।

इस आयोजन ने मिर्जापुर में शास्त्रीय संगीत की महत्ता को एक बार फिर उजागर किया और यह संदेश दिया कि भारतीय संगीत न केवल एक कला है, बल्कि यह हमारी संस्कृति और पहचान का हिस्सा है। ऐसी प्रतियोगिताएं और कार्यक्रम यह सुनिश्चित करते हैं कि हमारी आने वाली पीढ़ियां इस अमूल्य धरोहर को समझें और इसे संजोने के लिए प्रेरित हों। 

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