Sonbhadra News : आचार्य मनोहर कृष्ण महाराज बोले-भगवान श्रीकृष्ण ने रुक्मिणी से किया था पहला विवाह

UPT | आचार्य मनोहर कृष्ण महाराज

Jun 06, 2024 02:51

राबर्ट्सगंज नगर स्थित श्री राम जानकी मंदिर परिसर में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के छठवें दिन मंगलवार को वृंदावन से पधारे कथा व्यास आचार्य मनोहर कृष्ण जी महाराज ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने…

Sonbhadra News : राबर्ट्सगंज नगर स्थित श्री राम जानकी मंदिर परिसर में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के छठवें दिन मंगलवार को वृंदावन से पधारे कथा व्यास आचार्य मनोहर कृष्ण जी महाराज ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने महाराज भीष्मक की बेटी रुक्मिणी से अपना पहला विवाह किया था। श्रीकृष्ण रुक्मिणी विवाह की झांकी निकाली गई। इस दौरान समूचा कथा पांडाल जयकारे से गुंजायमान हो गया। दर्शन करने के लिए श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। 

आचार्य जी ने कहा कि भगवान कृष्ण के द्वारा समस्त ब्रज गोपियों की इच्छा को पूर्ण करने के लिए अर्ध रात्रि में जमुना के किनारे महारास का दर्शन कराया गया था। भगवान कृष्ण को अकरूर जी लेने के लिए आए भगवान कृष्ण मथुरा के लिए प्रस्थान करते हैं। भगवान कृष्ण का मथुरा पुरी में भव्य स्वागत किया गया। भगवान कृष्ण कुब्जा पर कृपा करते हैं कुवलियां पीड हाथी का वध किया। चाणूर और मुसटिक का वध किया और कंस का उद्धार करके भगवान ने कारागृह से वसुदेव देवकी के सहित ऊग्रसेन जी को बंधन से मुक्त किया।

 ब्रज गोपियों के प्रेम को देखकर उद्धव जी का ज्ञान फीका पड़ गया
उन्होंने कहा कि भगवान कृष्ण उज्जैन नगरी जाकर के गुरु सांदीपनी के आश्रम में विद्या अध्ययन किया और वापस आए तो मैया यशोदा की याद आने लगी। उद्धव जी महाराज मां यशोदा नंद बाबा से मिलने के लिए ब्रज की यात्रा प्रारंभ करते हैं। उद्धव जी महाराज बड़े ज्ञानी थे, लेकिन ब्रज गोपियों के प्रेम को देखकर के उनका ज्ञान फीका पड़ गया।  ब्रज गोपियां जो हैं भगवान कृष्ण से सच्चा प्रेम करती हैं आज का समाज घर परिवार बेटा बेटी से प्रेम करता है, लेकिन ब्रज गोपियां भगवान कृष्ण को ही अपना सर्वस्व मान बैठी। द्वारिका पुरी का निर्माण और भगवान कृष्ण ने महाराज भीष्मक की बेटी रुक्मणी से अपना प्रथम विवाह संपन्न किया। सभी भक्त बड़े धूमधाम से भगवान कृष्ण का प्रथम विवाह का आनंद लिया, सुंदर झांकी का दर्शन किया। इस दौरान समूचा कथा पांडाल जयकारे से गुंजायमान रहा। कथा सुनने वालों में ओम प्रकाश पाठक, महेंद्र प्रसाद शुक्ला, विजय कुमार कानोडीया, नरेंद्र कुमार पाठक, रामचंद्र मिश्रा, चंकी पांडेय, आशुतोष पाठक, अजीत शुक्ला, राजेंद्र द्विवेदी, सुशीला देवी आदि भक्तगण मौजूद रहे।

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