संसद के बाहर भड़के चंद्रशेखर आजाद : कहा- 'तानाशाही सरकार घोंट रही युवाओं का गला', बहाना बनाकर सदन की रोकी कार्यवाही

UPT | चंद्रशेखर आजाद

Dec 09, 2024 18:40

संसद का शीतकालीन सत्र विपक्ष के हंगामे के कारण सुस्त और रुक-रुक कर चल रहा है। इस सत्र के दौरान, विपक्ष के कई नेता विभिन्न मुद्दों को लेकर हंगामा कर रहे हैं...

New Delhi : संसद का शीतकालीन सत्र विपक्ष के हंगामे के कारण सुस्त और रुक-रुक कर चल रहा है। इस सत्र के दौरान, विपक्ष के कई नेता विभिन्न मुद्दों को लेकर हंगामा कर रहे हैं, जिनमें प्रमुख तौर पर अडानी घोटाला और अन्य सामयिक मुद्दे शामिल हैं। इसी बीच, आजाद समाज पार्टी के प्रमुख और नगीना से सांसद चंद्रशेखर आजाद ने युवाओं के मुद्दे को प्रमुखता से उठाया और सरकार के तानाशाही रवैये पर कड़ी प्रतिक्रिया दी।

कहा- 'तानाशाही सरकार घोंट रही युवाओं का गला'
चंद्रशेखर आजाद ने संसद भवन के अंदर विरोध करते हुए एक तख्ती पकड़ी, जिस पर लिखा था: "तानाशाही बंद करो, युवाओं का दर्द सुनो"। उन्होंने कहा कि संसद सत्र की शुरुआत के साथ ही वह लगातार प्रयास कर रहे थे कि बेरोजगारी और युवाओं के मुद्दे पर चर्चा हो, लेकिन विपक्ष के हंगामे और सत्ता पक्ष की अनदेखी के कारण यह संभव नहीं हो पाया। आज भी प्रश्नकाल स्थगित हो गया, और इसका मुख्य कारण विपक्ष ही नहीं, बल्कि सत्ता पक्ष भी था, जो नहीं चाहता कि सरकार को जवाबदेह ठहराया जाए।
  संसद में युवाओं के मुद्दे को उठाया
चंद्रशेखर आजाद ने बेरोजगारी के मुद्दे पर सरकार को घेरते हुए कहा कि युवा आज बहुत सी समस्याओं से जूझ रहा है। सबसे पहले, शिक्षा का निजीकरण कर दिया गया है, जिससे अमीर वर्ग के बच्चों को तो शिक्षा मिल रही है, लेकिन गरीब बच्चे इससे वंचित हो गए हैं। इसके अलावा, भर्ती प्रक्रिया में गंभीर समस्याएं हैं। भर्ती परीक्षाएं बहुत देर से आती हैं और जब आती हैं तो पेपर लीक हो जाते हैं। कई बार तो एक भर्ती प्रक्रिया चार से पांच साल तक खिंच जाती है, जिससे युवाओं का मानसिक रूप से दम घुट रहा है।



विपक्ष के हंगामे को बहाना बनाकर सदन की कार्यवाही रोकी
चंद्रशेखर ने सरकार के तानाशाही रवैये को दोषी ठहराते हुए कहा कि यह रवैया युवाओं के सपनों को कुचलने का काम कर रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि अगर स्पीकर चाहे, तो सदन का कामकाज सुचारू रूप से चल सकता है, लेकिन सत्ता पक्ष भी इसकी जिम्मेदारी से बच नहीं सकता। उन्होंने अपने क्षेत्रीय मुद्दे उठाने की कोशिश की, लेकिन सदन के न चलने के कारण वह अपने काम को पूरा नहीं कर सके और इस स्थिति पर उन्होंने दुख जताया।

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