अल्पसंख्यक दर्जे वाले संस्थानों के नियम अलग : दूसरे कॉलेज के मुकाबले यहां ऐसे होता है एडमिशन, जानिए संविधान में क्या लिखा है

UPT | अल्पसंख्यक दर्जे वाले संस्थानों के नियम अलग

Nov 08, 2024 17:36

अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थानों में प्रवेश के नियम सामान्य संस्थानों से भिन्न होते हैं। इसके लिए दिशा-निर्देश बने हुए हैं, जिसके मुताबिक इन संस्थानों में प्रवेश केवल सक्षम प्राधिकारी द्वारा आयोजित कॉमन एंट्रेंस टेस्ट (CET) के आधार पर मेरिट सूची के अनुसार किया जाएगा

Short Highlights
  • अल्पसंख्यक दर्जे वाले संस्थानों के नियम अलग
  • रिजर्व होती हैं 50 फीसदी सीटें
  • संविधान के अनुच्छेद 30 में जिक्र
New Delhi : अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के अल्पसंख्यक दर्जा मामले में सुप्रीम कोर्ट की सात जजों की संवैधानिक पीठ ने 4-3 के बहुमत से यह निर्णय दिया कि अगर कोई संस्थान कानून के तहत अस्तित्व में है, तो उसे अल्पसंख्यक संस्थान का दर्जा मिलने का हक हो सकता है। जैसे ही कोर्ट ने 1967 के अजीज बाशा बनाम भारत गणराज्य मामले में अपने पहले के फैसले को पलटा और एएमयू के अल्पसंख्यक दर्जे पर फैसला करने के लिए इसे तीन सदस्यीय नियमित पीठ के पास भेजा, विश्वविद्यालय परिसर में खुशी की लहर दौड़ गई। छात्रों, पूर्व छात्रों और प्रशासन ने मिलकर आतिशबाजी की और मिठाई बांटी। आपके मन में सवाल आ सकता है कि आखिर किसी संस्थान को अल्पसंख्यक दर्जा मिल जाने के क्या बदल जाता है। तो चलिए हम आपको बता देते हैं।

50 फीसदी सीटें रिजर्व
अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थानों में प्रवेश के नियम सामान्य संस्थानों से भिन्न होते हैं। इसके लिए दिशा-निर्देश बने हुए हैं, जिसके मुताबिक इन संस्थानों में प्रवेश केवल सक्षम प्राधिकारी द्वारा आयोजित कॉमन एंट्रेंस टेस्ट (CET) के आधार पर मेरिट सूची के अनुसार किया जाएगा। कुल स्वीकृत सीटों में से 50 प्रतिशत सीटें अन्य समुदायों के उम्मीदवारों के लिए आरक्षित होती हैं, जबकि शेष 50 प्रतिशत सीटें अल्पसंख्यक समुदाय के उम्मीदवारों के लिए रखी जाती हैं। दोनों श्रेणियों के लिए सीटें फ्री और भुगतान सीटों में समान रूप से वितरित की जाती हैं और इनका आवंटन भी मेरिट के आधार पर ही किया जाता है।



अलग होती है प्रवेश प्रक्रिया
इसके अतिरिक्त, अल्पसंख्यक समुदाय के लिए आरक्षित सीटों पर लागू सभी आरक्षण नीति को फ्री सीटों पर भी लागू किया जाता है। अगर किसी कारणवश अल्पसंख्यक कोटे की सीटें खाली रहती हैं, तो उन्हें अन्य समुदायों के उम्मीदवारों द्वारा भरा जाएगा। इसके साथ ही, मेरिट सूची के बाहर कोई भी प्रवेश तभी दिया जाएगा जब सक्षम प्राधिकारी इसे अनुमति दे। आपको बता दें कि अकेले उत्तर प्रदेश में 3 मुस्लिम विश्वविद्यालय हैं, जिसमें अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी, ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती लैंग्वेज यूनिवर्सिटी और मोहम्मद अली जौहर विश्वविद्यालय शामिल हैं। दिल्ली की जामिया मिल्लिया इस्लामिया और जामिया हमदर्द को भी अल्पसंख्यक दर्जा मिला हुआ है।

संविधान के अनुच्छेद 30 में जिक्र
भारत के संविधान का अनुच्छेद 30(1) भाषाई और धार्मिक अल्पसंख्यकों को उनकी पसंद के शैक्षिक संस्थानों की स्थापना और प्रशासन का मौलिक अधिकार प्रदान करता है। राष्ट्रीय अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थान आयोग विधेयक, 2004 संसद के दोनों सदनों द्वारा पारित किया गया था और इसे माननीय राष्ट्रपति की स्वीकृति प्राप्त हुई थी। यह अल्पसंख्यक शैक्षिक संस्थानों के लिए राष्ट्रीय आयोग अधिनियम, 2004 (2005 का 2) के रूप में क़ानून पुस्तक में आया। किसी भी संस्थान को अल्पसंख्यक दर्जा पाने के लिए अल्पसंख्यक समुदाय से जुड़ाव, स्थापना का उद्देश्य, मैनेजमेंट, छात्र समुदाय और सिलेबस आदि समेत कुछ विशेष मानदंडों को पूरा करना होता है, जिसमें यह साबित करना पड़ता है कि इसे खास समुदाय के छात्रों की शैक्षिक जरूरतों को पूरा करने के लिए विशेष रूप से स्थापित किया गया है।

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