संसद में गूंजा पुरानी पेंशन का मुद्दा : धर्मेंद्र यादव बोले- 'अर्धसैनिक बलों को मिले सुविधा', जानिए इससे जुड़ा पूरा विवाद

UPT | Old Pension Scheme

Jul 25, 2024 17:34

सांसद धमेंद्र यादव ने सदन में कहा कि बॉर्डर पर अर्धसैनिक बलों के जवान शहीद होते हैं, उन्हें पुरानी पेंशन मिलनी चाहिए।

New Delhi : केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के लिए 'पुरानी पेंशन' की मांग संसद के मानसून सत्र में विषय बन गया है। इस मुद्दे पर बुधवार को समाजवादी पार्टी के लोकसभा सांसद धमेंद्र यादव ने सदन में कहा कि बॉर्डर पर अर्धसैनिक बलों के जवान शहीद होते हैं, उन्हें पुरानी पेंशन मिलनी चाहिए। इसी तरह, गुरुवार को रोहतक के लोकसभा सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने भी इस मांग को उठाया। उन्होंने कहा कि ये बल देश की सुरक्षा में अहम भूमिका निभाते हैं, जिसमें संसद भवन की भी रक्षा शामिल है। धमेंद्र यादव ने सरकार को भी आलोचना की कि वह ओपीएस की बजाय 11वें बजट पेश कर रही है, जिससे सरकारी कर्मचारियों को पुरानी पेंशन के मामले में असहमति है। उन्होंने सरकार से अर्धसैनिक बलों के जवानों को पुरानी पेंशन देने की गुहार लगाई।

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लंबे समय से उठ रही पुरानी पेंशन की मांग 
लंबे समय से केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के लिए 'पुरानी पेंशन बहाली' की मांग उठाई जा रही है। सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने बताया कि इन बलों में सीआरपीएफ, बीएसएफ, आईटीबीपी, सीआईएसएफ, एसएसबी, एनएसजी और असम राइफल शामिल हैं, जो कश्मीर से लेकर उत्तर पूर्व, नक्सल प्रभावित क्षेत्र, सीमा, बंदरगाह और एयरपोर्ट की सुरक्षा का दायित्व निभाते हैं। इन बलों में पुरानी पेंशन के लिए मांग की जा रही है, जबकि देश में नई पेंशन स्कीम लागू की गई है। उन्होंने याद दिलाया कि नई पेंशन स्कीम में सेना को छोड़कर अन्य सभी कर्मचारी शामिल होते हैं, जबकि पुरानी पेंशन स्कीम में सेना के तीनों अंगों को 'भारत संघ के सशस्त्र बल' माना गया था।



अर्धसैनिक बल 'पुरानी पेंशन' से वंचित
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट पेश करते हुए स्पष्ट किया था कि कर्मियों को 'पुरानी पेंशन' देने का कोई विचार नहीं है। उन्होंने बताया कि सरकार वर्तमान में एनपीएस में संशोधन कर रही है और इस मुद्दे पर कर्मचारी संगठनों की राय ली जा रही है।  इससे पहले, वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने संसद में कहा था कि केंद्र सरकार को कोई प्रस्ताव पुरानी पेंशन बहाली का विचार नहीं है। यह जानकारी देते हुए कि केंद्रीय अर्धसैनिक बलों में भारतीय सेना के कानून लागू होते हैं और इन सशस्त्र बलों के नियंत्रण का आधार भी है। इन बलों के लिए तैयार की गई सेवा नियम भी सेना पर आधारित हैं। इसके बावजूद, केंद्रीय अर्धसैनिक बलों को 'पुरानी पेंशन' से वंचित किया गया है।

अदालत से जीती लड़ाई फिर भी 'पुरानी पेंशन' से वंचित
दिल्ली उच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया है कि केंद्रीय अर्धसैनिक बल 'सीएपीएफ', 'भारत संघ के सशस्त्र बल' के तौर पर मान्यता प्राप्त करते हैं। अदालत ने इन बलों में लागू 'एनपीएस' को स्ट्राइक डाउन करने का आदेश दिया है। इसका मतलब है कि सीएपीएफ के कर्मियों को पुरानी पेंशन का अधिकार है।  एलाइंस ऑफ ऑल एक्स पैरामिलिट्री फोर्सेस वेलफेयर एसोसिएशन के चेयरमैन और पूर्व एडीजी एचआर सिंह ने इसे एक दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति बताया है, जहां सरकार अदालती निर्णय को पलटने का प्रयास कर रही है। इस मामले को सुप्रीम कोर्ट में ले जाया गया है, और अगले महीने इसके बारे में सुनवाई होगी। OPS के लिए लड़ाई सीएपीएफ में जारी रहेगी।

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'सशस्त्र बल' में अर्धसैनिक बल नहीं
केंद्र सरकार कई मामलों में केंद्रीय अर्धसैनिक बलों को सशस्त्र बल मानने से इंकार करती है। इसी विवाद में सीएपीएफ के जवानों का मुद्दा उठा था। 2004 के बाद, केंद्र सरकार ने नौकरियों में भर्ती हुए सभी कर्मियों को पुरानी पेंशन के अधिकार से वंचित कर 'एनपीएस' में शामिल कर दिया। इसका मतलब था कि सीएपीएफ जवानों को सिविल कर्मचारी के रूप में देखा गया। सरकार का दावा था कि देश में सेना, नेवी और वायु सेना ही 'सशस्त्र बल' हैं। बीएसएफ एक्ट 1968 भी इसे पुष्टि करता है कि इस बल का गठन 'भारत संघ के सशस्त्र बल' के रूप में हुआ है। सीएपीएफ के अन्य बलों का भी गठन इसी तरह 'भारत संघ के सशस्त्र बल' के तहत हुआ है। 6 अगस्त 2004 को केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा जारी पत्र में यह घोषित किया गया था कि केंद्रीय बल, 'संघ के सशस्त्र बल' हैं।

फौजी नियम लागू लेकिन फिर भी सशस्त्र बल की मान्यता नहीं
सीएपीएफ के जवानों और अधिकारियों का कहना है कि केंद्रीय अर्धसैनिक बलों में सभी फौजी नियम लागू होते हैं। सरकार ने स्वयं स्वीकार किया है कि ये बल भारत संघ के सशस्त्र बल हैं और उन्हें सशस्त्र बलों के तर्ज पर अलाउंस भी प्राप्त होते हैं। इन बलों में कोर्ट मार्शल का भी प्रावधान है। सरकार इस मामले में दोहरा मापदंड अपना रही है। अगर इन्हें सिविलियन माना जाए, तो फिर बाकी सभी प्रावधान भी उन्हें क्यों मिले। इन बलों का नियंत्रण सशस्त्र बल के आधार पर है और इनके लिए तैयार किए गए सर्विस रूल्स भी सैन्य बलों के तर्ज पर ही हैं। इन्हें सिविलियन फोर्स मानने पर ये बल अपनी सर्विस का निष्पादन कैसे करेंगे, यह सवाल भी उठता है। इन बलों ने अपनी शपथ ली है कि वे जहां भी भेजे जाएं, वहीं पर अपनी सेवाएं सम्पन्न करेंगे, जो कि सिविल महकमे के कर्मियों के लिए नहीं होता।

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पुरानी पेंशन (OPS) क्या है?
पुरानी पेंशन योजना यानी ओल्ड पेंशन स्कीम (OPS) के तहत सरकार साल 2004 से पहले कर्मचारियों को उनके रिटायरमेंट के बाद एक निश्चित पेंशन प्रदान करती थी। यह पेंशन कर्मचारी के रिटायरमेंट के समय उनके वेतन पर आधारित होती थी और इस स्कीम में रिटायर होने के बाद कर्मचारी की मौत के बाद उनके परिजनों को भी पेंशन प्रदान की जाती थी। हालांकि, पुरानी पेंशन योजना को 1 अप्रैल 2004 में बंद कर दिया गया था और इसे राष्ट्रीय पेंशन योजना (National Pension Scheme) से बदल दिया गया। 

पुरानी पेंशन योजना (Old Pension Scheme) के फायदे
  • इस स्कीम के तहत कर्मचारियों को रिटायरमेंट के समय उनके वेतन की आधी राशि पेंशन के रूप में दी जाती है।
  • पुरानी पेंशन स्कीम में अगर रिटायरमेंट के बाद कर्मचारी की मृत्यु हो जाए तो उनके परिजनों को पेंशन की राशि दी जाती है।
  • इस स्कीम में पेंशन देने के लिए कर्मचारियों के वेतन से किसी भी तरह की कटौती नहीं होती है।
  • OPS में रिटायरमेंट के समय कर्मचारियों की अंतिम बेसिक सैलरी का 50 फीसदी यानी आधी राशि तक पेंशन के रूप में दिया जाता है।
  • इस स्‍कीम के जरिये रिटायरमेंट के बाद मेडिकल भत्‍ता और मेडिकल बिलों की रिम्बर्समेंट की सुविधा भी दी जाती है।
  • इस स्कीम में रिटायर्ड हुए कर्मचारी को 20 लाख रुपये तक ग्रेच्‍युटी की रकम दी जाती है।

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