नदी में अनोखा दिखा चमत्कार : कर्नाटक के कृष्णा नदी में मिली भगवान विष्णु की मूर्ति, आर्कियोलॉजिस्ट ने कहा शास्त्रों में है जिक्र

UPT | भगवान विष्णु की प्राचीन मूर्ति

Feb 07, 2024 14:43

कर्नाटक के रायचूर जिले के एक गांव में कृष्णा नदी से हाल ही में भगवान विष्णु की एक प्राचीन मूर्ति मिली है, जिसमें सभी दशावतार को उसकी ‘आभा’ चारों ओर उकेरे हुए हैं।

Short Highlights
  • कर्नाटक कृष्णा नदी से मिली भगवान विष्णु की प्राचीन मूर्ति 
  • अयोध्या के राम मंदिर में प्रतिष्ठित 'रामलला' की मूर्ति से मिलती जुलती है
  • यह मूर्ति वेंकटेश्वर जैसी है, जैसा कि शास्त्रों में बताया गया है
भगवान विष्णु की प्राचीन मूर्ति : कर्नाटक के रायचूर जिले के एक गांव में कृष्णा नदी से हाल ही में भगवान विष्णु की एक प्राचीन मूर्ति मिली है, जिसमें सभी दशावतार को उसकी ‘आभा’ चारों ओर उकेरे हुए हैं। वहीं, इस मूर्ति के साथ एक प्राचीन शिवलिंग भी मिला है। मिली जानकारी के मुताबिक यह मूर्ति इस तथ्य को देखते हुए उल्लेखनीय है कि इस मूर्ति की सभी विशेषताएं और आकार बखूबी अयोध्या के नवनिर्मित राम मंदिर में हाल ही में प्रतिष्ठित हुए ‘रामलला’ की मूर्ति से मिलती जुलती हैं।  

क्या है मूर्ति की विशेषताएं ?
बता दें अयोध्या राम मंदिर में स्थापित रामलला की मूर्ति प्रसिद्ध मूर्तिकार अरुण योगीराज ने बनाई है। इस मूर्ति को तीन अरब साल पुरानी 'कृष्ण शिला' नाम की चट्टान से निर्मित किया गया है। मूर्ति राम मंदिर के गर्भगृह में स्थापित हो चुकी है। और ठीक उसी प्रकार की भगवान विष्णु की मूर्ति हाल ही में कर्नाटक के कृष्णा नदी से मिली है। रिपोर्ट के मुताबिक यह मूर्ति वेंकटेश्वर से मिलती जुलती है, जैसा कि शास्त्रों में बताया गया है। हालांकि, इस मूर्ति में गरुड़ नहीं है, जो आमतौर पर विष्णु की मूर्तियों में पाया जाता है। इसके बजाय दो महिलाएं हैं। चूंकि भगवान विष्णु को सजावट का शौक है, इसलिए मुस्कुराते हुए विष्णु की इस मूर्ति को मालाओं और आभूषणों से सजाया गया है। 

मूर्ति 11वीं या 12वीं शताब्दी की है
रायचूर यूनिवर्सिटी में प्राचीन इतिहास और पुरातत्व के लेक्चरर डॉ. पद्मजा देसाई ने विष्णु की इस मूर्ति के बारे में बताया कि कृष्णा नदी बेसिन में पाई गई इस विष्णु मूर्ति में कई खास विशेषताएं हैं। उन्होंने कहा कि इस में भगवान विष्णु के चारों ओर की आभा मत्स्य, कूर्म, वराह, नरसिम्हा, वामन, राम, परशुराम, कृष्ण, बुद्ध और कल्कि जैसे ‘दशावतार’ को दर्शाया गया है। डॉ. देसाई ने कहा कि यह मूर्ति किसी मंदिर के गर्भगृह की शोभा रही होगी। कहा जा रहा है की मंदिर को नुकसान पहुंचाने के दौरान इसे नदी में फेंका गया होगा। उनका मानना ​​है कि यह मूर्ति 11वीं या 12वीं शताब्दी की है। 

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