औद्योगिक एल्कोहल पर राज्यों को मिला नियंत्रण अधिकार : सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, SC ने पलटा 1997 का निर्णय

UPT | सुप्रीम कोर्ट

Oct 23, 2024 14:23

सुप्रीम कोर्ट ने औद्योगिक शराब से संबंधित एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है, जिसे राज्यों की बड़ी जीत माना जा रहा है। कोर्ट ने माना कि राज्य औद्योगिक शराब को भी विनियमित कर सकता है...

New Delhi : सुप्रीम कोर्ट ने औद्योगिक शराब से संबंधित एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है, जिसे राज्यों की बड़ी जीत माना जा रहा है। कोर्ट ने माना कि राज्य औद्योगिक शराब को भी विनियमित कर सकता है। इस कानून में औद्योगिक और नशीली शराब दोनों प्रकार के उत्पाद शामिल हैं। सुनवाई के दौरान, कोर्ट ने कहा कि नशीली शराब पर कानून बनाने का अधिकार केवल राज्य का है और इसे नहीं छीना जा सकता। इस फैसले के साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने 34 साल पुराने सात जजों के फैसले को पलट दिया है।

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8:1 के बहुमत से लिया फैसला
इस बार सुप्रीम कोर्ट का फैसला खास है क्योंकि संविधान पीठ के 9 जजों ने 8:1 के बहुमत से यह निर्णय लिया है। पीठ में शामिल जस्टिस बीवी नागरत्ना ने इस पर असहमति जताई है। CJI डी वाई चंद्रचूड़ ने बहुमत का निर्णय सुनाया। इस फैसले से राज्यों को एक महत्वपूर्ण राजस्व अधिकार मिला है, जिसमें औद्योगिक अल्कोहल और इसके कच्चे माल सहित सभी प्रकार के अल्कोहल पर उनके पास विधायी कर नियंत्रण स्थापित करने की अनुमति है।

ये जज रहे शामिल
इस मामले की पिछली सुनवाई 18 अप्रैल को हुई थी, जब संविधान पीठ ने अपना फैसला सुरक्षित रखा था। अब, छह दिनों की मैराथन सुनवाई के बाद, पीठ ने फैसला सुनाया है। इस फैसले को सुनाने वाली पीठ में सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस हृषिकेश रॉय, जस्टिस अभय एस ओक, जस्टिस बीवी नागरत्ना, जस्टिस जेबी पारदीवाला, जस्टिस मनोज मिश्रा, जस्टिस उज्जल भुइयां, जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा, और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह शामिल हैं।

1997 में सात जजों की बेंच ने लिया था फैसला
सुप्रीम कोर्ट के नौ जजों की संविधान पीठ ने 8:1 के बहुमत से दिए गए इस फैसले के माध्यम से सालों पुराने सात जजों की पीठ के निर्णय को पलट दिया है। इस फैसले पर सिर्फ जस्टिस बीवी नागरत्ना ने असहमति जताई है। कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि राज्य सरकारों के पास औद्योगिक अल्कोहल के उत्पादन, निर्माण और आपूर्ति को नियंत्रित करने का अधिकार है। वर्ष 1997 में सात जजों की बेंच ने कहा था कि केंद्र सरकार के पास औद्योगिक अल्कोहल के उत्पादन पर नियामक शक्ति है। यह मामला 2010 में नौ जजों की पीठ के पास भेजा गया था।

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