हाईकोर्ट की सख्ती : 6 माह से वेतन न मिलने पर प्रमुख सचिव को फटकार, 11 नवंबर से पहले भुगतान का दिया आदेश

UPT | इलाहाबाद हाईकोर्ट

Oct 26, 2024 11:54

उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग के एक कर्मचारी सुधीर कुमार यादव ने सैलरी न मिलने के बाद न्याय की गुहार लगाते हुए शासन को हाईकोर्ट में कटघरे में खड़ा कर दिया है। सुधीर जो प्रधानमंत्री मातृत्व..

Prayagraj News : उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग के एक कर्मचारी सुधीर कुमार यादव ने सैलरी न मिलने के बाद न्याय की गुहार लगाते हुए शासन को हाईकोर्ट में कटघरे में खड़ा कर दिया है। सुधीर जो प्रधानमंत्री मातृत्व वंदना योजना के अंतर्गत संविदा पर कार्यरत हैं। वह पिछले छह महीनों से वेतन न मिलने के कारण बेहद परेशान थे और उन्हें अपना गुजारा चलाने में कठिनाई हो रही थी। वेतन भुगतान में लगातार आ रही रुकावट के बाद उन्होंने इलाहाबाद उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। इस याचिका पर सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय ने प्रमुख सचिव महिला कल्याण एवं बाल विकास लीना जौहरी को कड़ी फटकार लगाते हुए 11 नवंबर से पहले सुधीर का वेतन जारी करने का आदेश दिया।

वेतन रोकने का विवाद और न्यायालय का हस्तक्षेप
सुधीर कुमार यादव बस्ती जिले में निवास करते हैं। ये स्वास्थ्य विभाग में ह्यूमन लिट्रेसी स्पेशलिस्ट के रूप में नियुक्त किया गया था। उनकी सेवाएं पहले मुख्य चिकित्सा अधिकारी के अंतर्गत थीं, लेकिन जून 2023 में उन्हें महिला कल्याण विभाग में समायोजित कर दिया गया था। इस दौरान जुलाई 2023 से मार्च 2024 तक उनकी उपस्थिति के आधार पर वेतन का भुगतान किया गया। हालांकि, अप्रेल 2024 से बिना किसी स्पष्ट कारण के उनका वेतन रोक दिया गया। जिसके चलते उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की। 29 अगस्त 2024 को सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने प्रशासन को आदेश दिया कि तीन सप्ताह के भीतर सुधीर का वेतन दिया जाए। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि अगर भुगतान नहीं किया जाता तो जिला कार्यक्रम अधिकारी, सीएमओ और अन्य संबंधित अधिकारी व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करें।

लीना जौहरी ने कोर्ट मे बताया
26 सितंबर 2024 को शासन की ओर से कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया गया लेकिन अदालत ने इसे नामंजूर कर दिया और फिर से 4 अक्टूबर तक वेतन का भुगतान करने का निर्देश दिया। हाईकोर्ट ने यह भी चेतावनी दी कि अगर ऐसा नहीं किया गया तो वेतन की रिकवरी के लिए कानूनी प्रक्रिया अपनाई जाएगी। इसके बावजूद सुधीर का वेतन जारी नहीं हुआ। 24 अक्टूबर को हुई सुनवाई में कोर्ट का रुख सख्त रहा। जस्टिस जेजे मुनीर ने प्रमुख सचिव लीना जौहरी की ओर से दिए गए हलफनामे को खारिज कर दिया और कहा कि वह अपने दायित्वों का निर्वहन ठीक से नहीं कर पा रही हैं। कोर्ट ने आदेश दिया कि अगली सुनवाई में किसी अन्य प्रमुख सचिव से इस मामले में हलफनामा लिया जाए और सरकार की ओर से स्पष्ट उत्तर प्रस्तुत किया जाए। लीना जौहरी ने अपने हलफनामे में यह तर्क दिया कि सुधीर की नियुक्ति अस्थाई थी और उनकी सेवा को 31 मार्च 2019 के बाद नहीं बढ़ाया गया था।

याची का पक्ष और कोर्ट की आगे की कार्रवाई
सुधीर यादव ने इन तर्कों का विरोध करते हुए कहा कि उन्हें न तो कोई सूचना दी गई और न ही सेवा समाप्ति का आदेश दिया गया। उन्होंने बताया कि वे नियमित रूप से अपनी सेवाएं दे रहे हैं और उनकी उपस्थिति को मुख्य चिकित्सा अधिकारी द्वारा प्रमाणित किया गया है। बस्ती सीएमओ ने सितंबर माह तक के वेतन भुगतान के लिए शासन को पत्र भी भेजा है। इस पर कोर्ट ने महिला कल्याण विभाग से आदेश का पालन करने और जवाब देने को कहा है।

प्रमुख सचिव की फटकार से शासन में हलचल
इस आदेश के बाद शासन में हलचल मच गई है। उच्च न्यायालय ने अब शासन से अपेक्षा की है कि वह स्थिति को स्पष्ट करे और सुधीर यादव को उनके अधिकार के अनुसार वेतन देने की प्रक्रिया अपनाए। कोर्ट ने सरकार से यह भी मांग की है कि अन्य प्रमुख सचिव इस मामले में हलफनामा दायर करें और यह स्पष्ट करें कि संविदा कर्मचारी के वेतन भुगतान के संबंध में क्या कदम उठाए जा रहे हैं। 

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