जीवन का उद्देश्य : शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने कहा- परमेश्वर की प्राप्ति के लिए कर्म की सुचिता जरूरी 

UPT | पुरी पीठाधीश्वर जगदगुरु श्री शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती।

Oct 25, 2024 21:41

पुरी पीठाधीश्वर जगदगुरु श्री शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती जी ने प्रतापगढ़ में सरस्वती विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी महाविद्यालय में "स्वामी करपात्री आयुष भवन" का लोकार्पण किया। इस अवसर पर आयोजित वैदिक संवाद कार्यक्रम में स्वामी जी ने छात्रों से जीवन के उद्देश्य और सनातन धर्म के मर्म पर गहन चर्चा की।

Pratapgarh News: पुरी पीठाधीश्वर जगदगुरु श्री शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती जी ने प्रतापगढ़ में सरस्वती विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी महाविद्यालय में "स्वामी करपात्री आयुष भवन" का लोकार्पण किया। इस अवसर पर आयोजित वैदिक संवाद कार्यक्रम में स्वामी जी ने छात्रों से जीवन के उद्देश्य और सनातन धर्म के मर्म पर गहन चर्चा की। उन्होंने कहा कि जीवन का असल उद्देश्य परमेश्वर की प्राप्ति है, जो कर्म की सुचिता और आत्मिक शुद्धता से संभव है। उनके अनुसार, जीविका का होना आवश्यक है, लेकिन जीवन का उद्देश्य मात्र जीविका अर्जित करना नहीं, बल्कि परमात्मा की ओर अग्रसर होना चाहिए।

स्वामी निश्चलानंद सरस्वती जी ने कहा कि परमात्मा की प्राप्ति का तात्पर्य है आत्मा की शुद्धता और अपने कर्तव्यों के प्रति निष्ठा। उन्होंने युवाओं को धर्म और संस्कृति के महत्व को समझाने के लिए प्रेरित किया। स्वामी जी ने बताया कि सनातन धर्म में जीवन की सार्थकता कर्म की पवित्रता से होती है। उन्होंने वैदिक ज्ञान की महत्ता को रेखांकित करते हुए कहा कि वैदिक रीति से जीवन का मार्गदर्शन किया जाए तो समाज में संतुलन और शांति बनी रहती है।


विकास का मार्ग शास्त्रसम्मत विद्या के अनुसार होना चाहिए
इस कार्यक्रम के दौरान, स्वामी जी ने छात्रों के प्रश्नों का उत्तर देते हुए कहा कि सुसंस्कृत, सुशिक्षित, सुरक्षित, सम्पन्न, और सेवाभावी समाज का निर्माण ही राजनीति का असल उद्देश्य होना चाहिए। स्वामी जी ने यह भी कहा कि विकास का मार्ग शास्त्रसम्मत विद्या के अनुसार होना चाहिए, ताकि प्राकृतिक संसाधनों की शुद्धता बनी रहे। स्वामी निश्चलानंद सरस्वती जी ने पर्यावरण संरक्षण की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि महायंत्रों के अत्यधिक प्रयोग से पृथ्वी, जल, वायु, अग्नि, और आकाश में प्रदूषण बढ़ रहा है, जो चिंताजनक है। दिल्ली में बढ़ते वायु प्रदूषण का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि विकास की चकाचौंध में हमने स्वच्छ पर्यावरण, शुद्ध मिट्टी, शुद्ध जल, और पारिवारिक मूल्यों की अनदेखी की है, जो समाज के लिए विनाशकारी साबित हो सकता है।

नास्तिकता भी एक प्रकार से ईश्वर की खोज है
स्वामी जी ने नास्तिकता पर अपने विचार साझा करते हुए बताया कि नास्तिकता भी एक प्रकार से ईश्वर की खोज है। उनके अनुसार, ईश्वर के प्रति जिज्ञासा और सत्य की तलाश नास्तिकता की ओर ले जाती है। उन्होंने यह भी कहा कि सनातन धर्म का अनुसरण और सिद्धांत सदैव सर्वश्रेष्ठ थे, हैं और रहेंगे। कार्यक्रम में स्वामी करपात्री आयुष भवन का वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ लोकार्पण किया गया। इस अवसर पर महाविद्यालय के प्रबंधक एवं पूर्व मंत्री प्रो. शिवाकांत ओझा ने स्वामी जी का अभिनंदन किया। कार्यक्रम के संयोजक डॉ. शिवशंकर तिवारी ने इस आयोजन की रूपरेखा पर प्रकाश डाला। महाविद्यालय के छात्रों और शिक्षकों ने जगदगुरु के स्वागत में पुष्पवर्षा की, जिससे पूरा वातावरण आनंदमय हो गया। इस अवसर पर पूर्व मंत्री की पत्नी डॉ. माधुरी ओझा और अन्य स्थानीय गणमान्य व्यक्तियों ने स्वामी जी का पादुका पूजन किया। कार्यक्रम में गोवर्धनमठ के संतों के साथ आचार्य रामअवधेश मिश्र, गुरुवचन सिंह, और अन्य विशिष्ट लोग उपस्थित रहे।

इस आयोजन ने न केवल छात्रों बल्कि सभी उपस्थित लोगों के लिए धर्म और जीवन के वास्तविक उद्देश्य पर विचार करने का अवसर प्रदान किया। यह संवाद कार्यक्रम समाज में वैदिक और आध्यात्मिक ज्ञान की जागरूकता बढ़ाने का महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ। 

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