महाकुंभ में संतों का संसार : सात फीट लंबी जटाओं वाले त्रिलोक बाबा बने आकर्षण का केंद्र, 40 साल से नहीं कटवाए बाल

UPT | महाकुंभ में संतों का संसार

Jan 11, 2025 11:41

त्रिलोक बाबा ने बताया कि उन्होंने करीब 40 साल पहले अपने बाल और दाढ़ी कटवाना पूरी तरह छोड़ दिया था। जटा के महत्व के बारे में उन्होंने कहा कि यह भगवान की देन है और इसे बनाए रखना उनके लिए एक आध्यात्मिक जिम्मेदारी है।

Prayagraj News : महाकुंभ 2025 की तैयारियां जोरों पर हैं। महाकुंभ का धार्मिक महत्व तो है ही, लेकिन इस बार कुंभ अनोखे संतों की वजह से आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। महाकुंभ में आने वाले अनोखे संतों में से एक हैं असम के त्रिलोक बाबा, जिनकी सात फीट लंबी जटाएं और दाढ़ी महाकुंभ में आने वाले श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र बनी हुई हैं। त्रिलोक बाबा जिनका असली नाम त्रिपुराम सैकिया है, असम के लखीमपुर जिले से ताल्लुक रखते हैं। जूना अखाड़े में दीक्षा लेने के बाद उन्हें त्रिलोक बाबा का नाम मिला।

40 वर्षों से नहीं कटवाए बाल
त्रिलोक बाबा ने बताया कि उन्होंने करीब 40 साल पहले अपने बाल और दाढ़ी कटवाना पूरी तरह छोड़ दिया था। जटा के महत्व के बारे में उन्होंने कहा कि यह भगवान की देन है और इसे बनाए रखना उनके लिए एक आध्यात्मिक जिम्मेदारी है। हालांकि जटा की लंबाई बढ़ने के कारण उन्हें कई बार कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। बाबा ने बताया कि उनकी जटा पहले और भी लंबी थी, लेकिन जब यह पैरों में फंसने लगी, तो उन्होंने इसका थोड़ा हिस्सा काटकर ब्रह्मपुत्र नदी में चढ़ा दिया।



जटा पर उठते सवालों का अनोखा जवाब
त्रिलोक बाबा ने कहा कि उनकी लंबी जटा को लेकर लोग अक्सर सवाल उठाते हैं। कई बार लोग यह जानना चाहते हैं कि उनकी जटा असली है या नकली। बाबा ने मुस्कुराते हुए अपनी जटा को हवा में लहराते हुए कहा, "अपनी आंखों से देख लीजिए, यह असली है या नकली।"

साधारण जीवन से संन्यास की ओर
त्रिलोक बाबा ने अपने साधारण जीवन की कहानी साझा करते हुए बताया कि वह खेती-बाड़ी करते थे और एक छोटी सी दुकान चलाते थे। इसके अलावा वह कपड़ों की सिलाई भी किया करते थे। संन्यास का मार्ग उन्होंने अपने गुरु के मार्गदर्शन में अपनाया, जिनसे उन्हें आध्यात्मिकता की गहराइयों को समझने का मौका मिला।

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