नवरात्र का सातवां दिन :  माता कालरात्रि के दर्शन पूजन से सभी बाधाओं से मिलती है मुक्ति 

UPT | माता कालरात्रि

Apr 15, 2024 14:04

चैत्र नवरात्र के सातवें दिन मां कालरात्रि के रूप का दर्शन का विधान है। मां कालरात्रि का भव्य और अति प्राचीन मंदिर चौक स्थित कालिका गली में विद्यमान है...

Varanasi News (Surendra Kumar Gupta) : चैत्र नवरात्र के सातवें दिन मां कालरात्रि के रूप का दर्शन का विधान है। मां कालरात्रि का भव्य और अति प्राचीन मंदिर चौक स्थित कालिका गली में विद्यमान है। यहां मां के बेहद भव्य स्वरुप के दर्शन होते है। मां भगवती कालरात्रि के दर्शन करने के लिए भक्तों की भीड़ रात से उमड़ पड़ी है। मंगला आरती के बाद मां के दर्शन के लिए भक्तों के लिए कपाट खोल दिए गए है। 

नारियल बलि के रूप में चढ़ाने का विशेष महत्व 
मां कालरात्रि को शत्रु नाशक रक्षा की देवी माना जाता है। इसी लिए यहा भक्तों की खासी भीड़ रहती है। यहां मां को नारियल बलि के रूप में चढ़ाने का विशेष महत्व है। मां को चुनरी के साथ लाल अड़हुल की माला व मिष्ठान का भी भोग लगाया जाता है। जिससे मां अपने भक्तों को सदबुद्धि और सुरक्षा देती है।

चैत्र नवरात्र में मां के दर्शनों का विशेष महत्व 
वाराणसी में का काली रूपी कालरात्रि का मंदिर सैकड़ों वर्षो से भक्तों की आस्था का केंद्र रही है। चैत्र नवरात्र में इनके दर्शनों का विशेष महत्व है। इसी समय भक्त मां के दर्शनों व पूजन करते है और मां कालरात्रि उनकी मनोकामना पूर्ण करती है। नवरात्र के दिनों में भक्त मां के दर्शन करते है और उनसे अपनी मान चाही इच्छा प्राप्त करते है। मां भी अपने भक्तों की कामना पूर्ण करती है।

लाल फूल, लाल फल, लाल मिष्ठान, दही चढ़ाया जाता है
मां कालरात्रि देवी के मंदिर के पुजारी राजीव गांधी ने बताया कि नवरात्रि के सातवें दिन मां भगवती कालरात्रि देवी के दर्शन पूजन करने से मानव जीवन में सुख समृद्धि का वास होता है। उसके ऊपर जो भी ऊपरी बाधाएं होती हैं, उसका समूह नाश होता है। मां कालरात्रि देवी मुख्य रूप से लिवर संबंधित की देवी है। दर्शन करने से लिवर संबंधित सभी रोग से मुक्ति मिलती हैं और स्वास्थ्य लाभ होता है। मां को लाल फूल, लाल फल, लाल मिष्ठान, दही चढ़ता है।

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