Chandauli News : बाबा अनिल राम ने कहा- गुरु के शब्द एवं उपदेश साहित्य के विचारों से अधिक मूल्यवान

UPT | बाबा अनिल राम

Jul 21, 2024 20:53

पूज्य माताश्री सर्वेश्वरी सेवा संघ, जलीलपुर, पड़ाव के प्रांगण में गुरु पूर्णिमा महोत्सव बड़े धूमधाम से मनाया गया। प्रातः पांच बजे से श्रमदान, कलश यात्रा, ध्वजारोहण, गंगा स्नान के उपरांत कलश यात्रा निकाली...

Chandauli News : पूज्य माताश्री सर्वेश्वरी सेवा संघ, जलीलपुर, पड़ाव के प्रांगण में गुरु पूर्णिमा महोत्सव बड़े धूमधाम से मनाया गया। प्रातः पांच बजे से श्रमदान, कलश यात्रा, ध्वजारोहण, गंगा स्नान के उपरांत कलश यात्रा निकाली गई, जो "अघोरान्ना परो मंत्र: नास्ति तत्त्वं गुरो:परम्" का जाप करते हुए परम पूज्य श्री अघोरेश्वर महाप्रभु के चरण पादुका तक पहुंच कर संपन्न हुई। 

बच्चों ने सांस्कृतिक एवं रंगारंग कार्यक्रम की प्रस्तुति दी
परम पूज्यश्री अघोरेश्वर महाप्रभु के शिष्य पूज्यश्री गुरु बाबा जी और बाबा अनिल रामजी के द्वारा हवन- पूजन किया गया। जिसके उपरांत ध्वजा पूजन और गुरु दर्शन का कार्यक्रम चलता रहा। विभिन्न स्थानों से आये श्रद्धालुओं ने गुरु चरणों मे श्रद्धा सुमन अर्पित कर उनका आशीष प्राप्त किया। दिन में विशाल भंडारे का कार्यक्रम चलता रहा और सांयकाल अघोरेश्वर गुरुकुल के बच्चों ने सांस्कृतिक एवं रंगारंग कार्यक्रम की प्रस्तुति दी। इस अवसर पर सांयकाल विचार-गोष्ठी में श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए पूज्यश्री गुरु बाबाजी ने अपने आशीर्वचन में कहा कि अघोर संप्रदाय में गुरू के शब्द और उपदेश किसी अन्य साहित्य के विचारों से अधिक मूल्यवान माने जाते हैं। वह उपदेश वर्तमान समय एवं आवश्यकता के अनुकुल हुआ करती हैं। गुरु के प्रति पूर्ण समर्पण से और गुरू कृपा एवं गुरु उपदेश के अनुपालन द्वारा ही शिष्य कपालेश्वर की कृपा के पात्र हो सकता हैं। इन्हीं कारणों से हम गुरु को सर्वोच्च स्थान प्रदान करते हैं। इस सपनों की संसार में गुरू का जीवन में महज होना ही पर्याप्त नहीं हैं अपितु हमें यह भी सीखना चाहिए कि कैसे उनकी सेवा की जाए और किस प्रकार से हम उनकी कृपा की अनुभूति कर सके। बहुत बार मनुष्यों के व्यवहार में ऐसा पाया जाता हैं कि उसके मन में एक प्रकार का विचार हैं, वाणी कुछ अन्य व्यक्त कर रही हैं और आचरण द्वारा कुछ और ही परिलक्षित होता है।

नवयुवक एवं नवयुवतियों में अच्छी क्षमता और समझ होती हैं
इस प्रकार के आचरण द्वारा हम गुरु के सन्नीकट नहीं पहुंच सकते। यह आवश्यक हैं कि हमारे विचार, वाणी और आचरण में एकरुपता हो। ऐसा होने से हम गुरु की प्रकृति को समझ पाते हैं और उस तरीके को समझ पाते हैं। जिससे हम उनके उदेशपूर्ण अस्तित्व की अनुभूति प्राप्त कर सके। वर्तमान समय में मैं देखता हूं कि बहुत सारे नवयुवक एवं नवयुवतियों में अच्छी क्षमता और समझ होती हैं परन्तु कई बार इस बाह्य जगत के द्वारा वे भटक सकते हैं। बाह्य जगत की आकर्षण और भ्रमजाल उनको जीवन में सही पथ पर नहीं ला पाएंगी। इसलिए हमारे वर्तमान पीढ़ी के अभिभावकों और वरिष्ठजनों का यह कर्तव्य हैं कि वे उनकी मदद करें और उनका मार्गदर्शन करें। जिससे वे भविष्य के जीवन में प्रकाश और गौरव हासिल कर सके। हम प्रार्थना करते हैं उस ईश्वरीय गुरु से, हम उस अज्ञात से प्रार्थना करते हैं कि हमारा मार्गदर्शन करें, जिससे हमारे जीवन में सुगमता आए। 

ये लोग रहे मौजूद
इस अवसर पर मुख्य रूप से डॉ. हर्ष वर्धन सिंह, डॉ. आर के सिंह, डॉ पी के सिंह, अधिवक्ता बी एन सिंह, डॉ अशोक मिश्र, ओम प्रकाश सिंह, डॉ. राजेश चौहान, सुनीता चौहान एवं अघोरेश्वर गुरुकुल के बच्चे एवं शिक्षकगण उपस्थित थे। 

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