बदलता उत्तर प्रदेश : काशी विश्वनाथ की तरह सारनाथ कॉरिडोर संवरेगा, जानिए इसमें क्या खास

UPT | Sarnath

Jun 16, 2024 17:13

भगवान बुद्ध की प्रथम उपदेश स्थली सारनाथ में कॉरिडोर यहां की खूबसूरती में चार चांद लगा रहा है। बता दें कि सारनाथ काशी का एक प्रमुख पर्यटन स्थल है, जिसे भगवान बुद्ध की तपस्थली...

Short Highlights
  • सारनाथ में कॉरिडोर  खूबसूरती में चार चांद लगा रहा है
  • बोधि वृक्ष को वन विभाग  विरासत के रूप में सहेज रहा है
  • मूलभूत सुविधाओं का भी विस्तार किया गया है

 

Varanasi News : वाराणसी में स्थित काशी, गंगा के तट पर बसी सबसे पौराणिक नगरी है। जो कि धर्म और आस्था के साथ-साथ सांस्कृतिक विरासत को सहेजने के अलावा विकास की ओर अग्रसर है। ये काशी में हो रहे विकास का एक उदाहरण ही है कि बाबा विश्वनाथ धाम कॉरिडोर के लोकार्पण के बाद से न सिर्फ उसकी खूबसूरती में बढ़ावा देखने को मिला है बल्कि यहां पर्यटकों की संख्या में इजाफा और रोजगार व कमाई के अवसरों में भी बढ़त देखने को मिली है। अब विकास की इसी गति को रफ्तार देते हुए भगवान बुद्ध की प्रथम उपदेश स्थली सारनाथ में कॉरिडोर यहां की खूबसूरती में चार चांद लगा रहा है। बता दें कि सारनाथ काशी का एक प्रमुख पर्यटन स्थल है, जिसे भगवान बुद्ध की तपस्थली के रूप में जाना जाता है। 

बोधि वृक्ष के पत्तों का संरक्षण
वहीं सारनाथ के बोधि वृक्ष के दर्शन के लिए देश-विदेश से हजारों लोग आते हैं। लेकिन अब यह वृक्ष दिन-प्रतिदिन टूटकर गिर रहा है। जिस वजह से वन विभाग इसे विरासत के रूप में सहेज रहा है। यही नहीं वन विभाग बोधि वृक्ष से गिरने वाली पत्तियों का भी संरक्षण कर रहा है। ताकि इन पत्तियों के ऐतिहासिक महत्व की जानकारी देते उसे सैलानियों को उपहार के रूप में दिया जा सके। इस विषय में जानकारी देते हुए वन संरक्षक डॉ. रवि कुमार सिंह ने बताया कि बोधि वृक्ष अपनी पीढ़ी का चौथा वृक्ष है और भगवान बुद्ध के प्रथम उपदेश से संबंधित है। इसी वृक्ष के नीचे बैठकर भगवान बुद्ध ने अपने प्रथम पांच शिष्यों को उपदेश दिया था। हालांकि, बाद में इस वृक्ष का एक हिस्सा श्रीलंका में भी ले जाकर लगाया गया था। इसके बाद, साल 1931 में श्रीलंका से वृक्ष की एक शाखा सारनाथ लाई गई और उसे मूलगंध कुटी विहार बौद्ध परिसर में लगाया गया। उसी समय से देश-विदेश से बौद्ध अनुयायी यहां आकर दर्शन करते हैं और वृक्ष की परिक्रमा करते हैं। लोग इसके पत्ते ले जाकर अपने घरों, पुस्तकों या पूजा घर में रखते हैं। लेकिन अब इन पत्तियों को वन विभाग द्वारा सुरक्षित रखा जा रहा है। इसकी महत्ता को देखते हुए बोधि वृक्ष की पत्तियों से तोहफे बनाने की योजना बनाई जा रही है। मुख्य रूप से ये तोहफे विदेशियों को दिए जाएंगे ताकि वह अपने देश में जाकर इस वृक्ष के महत्व के बारे में बताएं।

बनाया जा रहा टूरिस्ट डेस्टिनेशन
सारनाथ आने वाले पर्यटकों की संख्या को बढ़ावा देने के लिए पर्यटन विभाग द्वारा यहां टूरिस्ट डेस्टिनेशन बनाया जा रहा है। इसके लिए मंदिर से संग्रहालय तक की सड़क की घेराबंदी कर दी गई है। अब इसके अंदर दुपहिया व चार पहिया वाहन नहीं जा सकेंगे। इसके अलावा सारनाथ में मूलभूत सुविधाओं का भी विस्तार किया गया है। यहां पूरे इलाके को सुंदर एंव आकर्षक रोशनी से सजाया गया है। पर्यटन विभाग के उपनिदेशक आर.के. रावत की मानें तो काशी विश्वनाथ धाम के निर्माण के बाद यहां प्रतिदिन यहां लगभग 1 लाख लोग आ रहे हैं। अगर यहां के ऐतिहासिक मंदिरों को नया कलेवर दिया जाए तो यहां पर्यटकों का फुटफॉल बढ़ेगा और पर्यटन को भी नई रफ्तार मिलेगी। उन्होंने बताया कि इसी के मद्देनजर सारनाथ कॉरिडोर को विकसित किया जा रहा है, जो कि अपने अंतिम चरण में है। 

देश-विदेश से आते हैं लाखों सैलानी
दरअसल, भगवान बुद्ध ने सारनाथ में अपना सबसे पहला उपदेश दिया था जिस वजह से इस स्थल का अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर काफी महत्व है। यही वजह है कि यहां चीन, नेपाल, जापान, कंबोडिया, कोरिया और वियतनाम आदि देशों से श्रद्धालु आते हैं। यहां के रेलवे स्टेशन को भी आकर्षक बनाने की तैयारी की जा रही है। जलभराव की समस्या को देखनते हुए एलिवेटेड सड़क भी बनाई गई है। जानकारी के अनुसार, अब सारनाथ में स्ट्रीट लाइट पर धर्मचक्र बनाया गया है। इसके अलावा सारनाथ में विश्व बैंक कि मदद से करीब 90 करोड़ की लागत से प्रो-पुअर के प्रोजेक्ट का काम चल रहा है जो कि अपने अंतिम चरण में है। बता दें कि सारनाथ में  प्रो-पुअर योजना का उद्देश्य समग्र विकास से रोजगार के अवसर को उपलब्ध कराकर यहां के लोगों के जीवन स्तर में सुधार लाना है। साथ ही लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव भी देखने को मिलेगा।

प्रो-पुअर योजना का कार्य अपने अंतिम चरण में
वाराणसी के विकास प्रधिकरण के सचिव वेद प्रकाश मिश्र का कहना है कि सारनाथ में प्रो-पुअर योजना के तहत विकास का कार्य अपने अंतिम चरण में है। ऐसे में ये कोशिश की जा रही है कि यहां ज्यादा से ज्यादा संख्या में पर्यटक आएं और रुकें। सारनाथ के आसपास रहने वाले लोगों की आय बढ़े और रोजगार के नए अवसर उत्पन्न हों। योजना की लागत लगभग 90 करोड़ रुपये है। प्रो-पुअर पर्यटन विकास परियोजना के तहत सारनाथ बौद्ध परिपथ के विकास का कार्य विश्व बैंक से सहायतित है। वेद प्रकाश मिश्र ने बताया कि इस प्रोजेक्ट के तहत सारनाथ के पूरे क्षेत्र को टूरिस्ट फ्रेंडली बनाया जा रहा है। साथ ही सारनाथ, उसके आसपास के चौराहों और तिराहों का सौंदर्यीकरण किया जा रहा है। प्लांटेशन- लैंड स्केपिंग, बुद्धिस्ट थीम पर साइनेज एंव इंटरप्रटेशन वॉल बनाया गया है।इसके अलावा ओवरहेड तारों को अंडरग्राउंड किया गया है। आधुनिक जन सुविधाएं, पेयजल की सुविधाएं, जल संरक्षण, सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट, पर्यटक सूचना केंद्र का कार्य एंव आवश्यक पर्ययटन सुविधाएं कार्य पूरा होने के बाद उपलब्ध होंगी।

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