Ram Mandir : देश में सबका डीएनए रामायण काल की जनजातियों से मिलता है, एक रिसर्च में हुआ साफ

Uttar Pradesh Times | Shree Ram

Jan 21, 2024 15:57

रामायण में लिखे श्री रामवन गमन के रास्तों के आसपास से तीन प्रमुख जनजातियों(कोल, भील, गोंड) के 200 से ज्यादा लोगों के खून के नमूने एकत्रित किए गए थे।

Varanasi News : देशभर के वैज्ञानिक रामायण से जुड़े किरदारों के वैज्ञानिक आधार का पता लगाने में जुटे हैं। 200 लोगों के ब्लड सैंपल की जांच से पता चला कि रामायण के काल की जनजातियों का डीएनए भारत की सभी जातियों, जनजातियों में पाया जाता है। इस शोध से बीएचयू में जूलॉजी डिपार्टमेंट के जीन विज्ञानी प्रो. ज्ञानेश्वर चौबे भी जुड़े हैं। उनका कहना है कि शोध में शबरी, निषादराज, कोल, भील और गोंड के साथ ही अन्य किरदारों को शामिल किया गया है। 

तीन प्रमुख जनजातियाॅ - कोल, भील, गोंड
अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के मद्देनजर रामायण, राममंदिर में लगने वाली मूर्तियों सहित अन्य विषय वस्तुओं पर लगातार रिसर्च हो रही हैं। इस बीच जनजातियों पर होने वाला रिसर्च भी फेमस हो गया है। बीएचयू के जीन विज्ञानी प्रो. ज्ञानेश्वर चौबे के मुताबिक 2013 से चल रहे शोध में नई जानकारियां मिलती जा रही हैं। रामायण में लिखे श्री रामवन गमन के रास्तों के आसपास से तीन प्रमुख जनजातियों(कोल, भील, गोंड) के 200 से ज्यादा लोगों के खून के नमूने एकत्रित किए गए थे। इसमें आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, उड़ीसा और तेलंगाना राज्य के लोगों को शामिल किया गया था।

विश्व के 10,000 से ज्यादा नमूनों के साथ मिलान
जिन लोगों का ब्लड सैंपल लिया गया, उनके जेनोमिक डेटा को भारत के साथ विश्व के 10,000 से ज्यादा नमूनों के साथ मिलान किया गया। विज्ञान की भाषा में कहें तो विभिन्न स्टैटिस्टिकल जैसे की ऐडमिक्सचर और प्रिंसिपल कंपोनेंट एनालिसिस किया गया। इसके बाद पता चला कि संपूर्ण भारत की जातियां और जनजातियां एक ही क्लाइन या साधारण शब्दों में समझें तो एक ही अक्षीय लाइन पर अपने जियोग्राफी के अनुसार साथ हो रही थी। कोल, भील और गोंड भी इनके ही बीच में आ रहे थे। इससे यह पता चलता है कि इन सभी के आधार के वंश हैं।
 

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