नवरात्र के चौथे दिन मां दुर्गा के रूप देवी कुष्मांडा के पूजन का विधान है। भक्तों के दर्शन के भोर तीन बजे मंगला आरती के मां के पट खोल दिए गए। मां के दर्शन के लिए भोर से ही लंबी भक्तों की लंबी कतार लगी हुई है। अपनी मंद, हल्की हंसी के द्वारा अण्ड यानी ब्रह्मांड को उत्पन्न करने के कारण इस देवी को कुष्मांडा नाम से अभिहित किया गया है। जब सृष्टि नहीं थी, चारों तरफ अंधकार ही अंधकार था, तब इसी देवी ने अपने ब्रह्मांड की रचना की थी।