Ghazipur News : साहित्य चेतना समाज का 39वां स्थापना दिवस, कवि सम्मेलन में बही हर रस की धारा...

UPT | कवि सम्मेलन में विभूतियों को सम्मानित करते संस्था के सदस्य।

Oct 28, 2024 13:59

'साहित्य चेतना समाज' के 39वें स्थापना दिवस के अवसर पर नगर के वंशी बाजार स्थित एक निजी पैलेस के सभागार में विशिष्ट कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस अवसर पर प्रो. आनन्द कुमार सिंह को 'चेतना सम्मान' से सम्मानित किया...

Ghazipur News : 'साहित्य चेतना समाज' के 39वें स्थापना दिवस के अवसर पर नगर के वंशी बाजार स्थित एक निजी पैलेस के सभागार में विशिष्ट कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस अवसर पर प्रो. आनन्द कुमार सिंह को 'चेतना सम्मान' से सम्मानित किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ मनोवैज्ञानिक डाॅ. अमरनाथ राय ने की। मुख्य अतिथि सुबह-ए-बनारस, आनन्द कानन अस्सी घाट वाराणसी के उपाध्यक्ष प्रमोद कुमार मिश्र रहे। 

गुनगुन ने गाए गीत...
कार्यक्रम का शुभारम्भ मां बागेश्वरी, विद्या की अधिष्ठात्री देवी सरस्वती के पूजन-अर्चन से हुआ। देवरिया से पधारीं कवयित्री गुंजा गुप्ता 'गुनगुन' की सरस्वती वंदना के उपरान्त संस्था के संस्थापक अमरनाथ तिवारी 'अमर' ने आगंतुकों का स्वागत किया। साथ ही संस्था के 39 वर्षों की सुदीर्घ-सार्थक यात्रा पर प्रकाश डाला। तत्क्रम में मंचस्थ साहित्यिक विभूतियों एवं कविगण का माल्य, प्रतीक चिह्न एवं अंगवस्त्रम् द्वारा स्वागत किया गया।

संस्था की प्रशंसा
'चेतना सम्मान' से सम्मान से सम्मानित, 'अथर्वा' जैसी महाकाव्य कृति के रचयिता प्रो. आनन्द कुमार सिंह ने अपने वक्तव्य में साहित्य, संस्कृति, समाज एवं राष्ट्र की, समर्पण भाव से निस्पृह सेवा करने वाली इस संस्था की भूरिश: प्रशंसा की और समाज एवं राष्ट्र को सही दिशा देने में साहित्य की महती भूमिका को रेखांकित किया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रमोद कुमार मिश्र ने कहा कि 'साहित्य चेतना समाज के इस महनीय कार्य को आने वाला समय स्वर्णाक्षरों में रेखांकित करेगा। ऐसी संस्थाएं समय-समय पर अपने महत्तर कार्य द्वारा सामाजिक चेतना में स्तरोन्नयन के साथ ही व्यक्ति-व्यक्ति में पुष्कल राष्ट्रहित-चेतना जागृत करतीं हैं।'

तिरंगे में लिपटकर देख तेरा ये लाल आया...
अगले क्रम में सुदूरवर्ती जनपदों से पधारे कवि-कवयित्रियों ने देर रात तक चले इस विशिष्ट कवि सम्मेलन में श्रोताओं को काव्य रस से आप्लावित किया। ओज के कवि हेमन्त 'निर्भीक' ने अपनी वीर रस की कविता 'तिरंगे में लिपटकर देख तेरा ये लाल आया है, नालायक कहती थी जिसको, वतन के काम आया है' सुनाकर श्रोताओं को ओजत्व से भर दिया। गीत की कवयित्री डॉ. विभा तिवारी 'ये जब चाहे तुम्हें उलझा ही देगा चक्र में, अपने समय के शातिर खिलाड़ी है, अभी ख़ामोश बैठो तुम' सुनाकर अतिशय प्रशंसा अर्जित की। इसी क्रम में हास्य-व्यंग्य के वरिष्ठ कवि डॉ. धर्मप्रकाश मिश्र ने अपनी कविता 'कौन कहता है गिद्ध भारत से लुप्त हुए, पेड़ों के बजाय कुर्सियों पे पाये जाते हैं, त्रेता वाला गिद्ध सीता माता हेतु जान दिया, कलियुग के गिद्ध सीताओं को नोच खाते हैं' सुनाकर ख़ूब वाहवाही बटोरी। 

तुम जो दे दो साथ मेरा...
कवयित्री डॉ. प्रतिभा सिंह ने अपना शृंगारिक गीत 'प्रणय गांव, धरती, अम्बर का दूर क्षितिज के पार रचूं, तुम जो दे दो साथ मेरा, मैं मधुरिम इक संसार रचूं' सुनाकर श्रोताओं को भाव-विभोर कर दिया। इसी क्रम में गुंजा गुप्ता 'गुनगुन' ने अपने गीत 'सारे वादों का पुल मैं गिरा आयी हूं, रेत पर घर बनाना नहीं चाहती' सुनाकर रससिक्त कर दिया। अन्त में कवि-सम्मेलन का सफल संचालन कर रहे हास्य-व्यंग्य के श्रेष्ठ कवि डॉ. नागेश शाण्डिल्य ने 'रोज़ ही अपनी कमाई जा रही है, कौन कहता है कि लक्ष्मी आ रही है' ने अपनी इस व्यंग्य की कविता से श्रोताओं को सोचने पर मजबूर किया और खूब वाहवाही लूटी।

इन्होंने बढ़ाई सम्मेलन की शोभा
इस अवसर पर प्रमुख रूप संस्था के अध्यक्ष डाॅ. रविनन्दन वर्मा, सचिव हीरा राम गुप्ता, सहजानन्द राय, आनन्द प्रकाश अग्रवाल, कामेश्वर द्विवेदी, धर्मदेव यादव, गोपाल गौरव, आकाश विजय त्रिपाठी, आशुतोष श्रीवास्तव, डाॅ. शकुन्तला राय, डाॅ. विनीता राय, शौर्या सिंह, मधु यादव, किरणबाला राय, रागिनी तिवारी, संगीता तिवारी, सीमा सिंह, डाॅ. संतोष सिंह, श्रीकान्त तिवारी, डाॅ. डीपी सिंह, वीरेन्द्र चौबे, विनोद उपाध्याय, पीएन सिंह, अमिताभ अनिल दूबे, डाॅ. दिनेश सिंह, अक्षय दूबे, आमिर अली, रामप्रसाद गुप्ता, विद्युत प्रकाश, लालजी गुप्ता, चिदाकाश 'मुखर' आदि उपस्थित रहे। कार्यक्रम का प्रारंभिक संचालन सुपरिचित नवगीतकार डॉ. अक्षय पाण्डेय एवं कवि-सम्मेलन का संचालन डॉ. नागेश शाण्डिल्य ने किया। अन्त में अध्यक्षीय उद्बोधन के बाद संस्था के संगठन सचिव प्रभाकर त्रिपाठी ने धन्यवाद ज्ञापित किया।

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