गाजीपुर में गूंजा चीनी मिल का मुद्दा : 1997 में हुई था बंद, दौबारा चालू करने के लिए राज्यसभा में संगीता बलवंत ने रखी मांग

UPT | संसद में बोलती हुई राज्यसभा सांसद डॉक्टर संगीता बलवंत

Aug 05, 2024 17:16

जनपद में वर्षों से बंद पड़ी नंदगंज चीनी मिल को फिर से शुरु करने के लिए राज्यसभा में मांग उठी। दरअसल, आज सदन में सांसद डॉ. संगीता बलवंत ने ये मांग रखी है।

Ghazipur News : जनपद में वर्षों से बंद पड़ी नंदगंज चीनी मिल को फिर से शुरु करने के लिए राज्यसभा में मांग उठी। दरअसल, आज सदन में सांसद डॉ. संगीता बलवंत ने ये मांग रखी है। उन्होंने केंद्र सरकार का ध्यान इस मुद्दे की ओर आकर्षित किया और गाजीपुर के किसानों और बेरोजगारों के हित में कदम उठाने की मांग की।

नंदगंज चीनी मिल का इतिहास
राज्यसभा सांसद ने सदन में बताया कि उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जनपद में पटेल आयोग की संस्तुति के बाद 1978 में नंदगंज के ग्राम सिहोरी में सरकारी चीनी मिल की स्थापना की गई थी। इस चीनी मिल ने लगभग 19 वर्षों तक सुचारु रूप से काम किया और प्रतिवर्ष लगभग 12 लाख क्विंटल गन्ने से चीनी का उत्पादन होता था। इस मिल से उस समय के बेरोजगार युवाओं को रोजगार के अनेक अवसर प्राप्त हुए और गन्ना किसान खुशहाल और समृद्ध थे।

1997 में मिल का बंद होना
डॉ. संगीता बलवंत ने बताया कि 1997 में किसी अज्ञात कारणवश इस चीनी मिल को बंद कर दिया गया, जिससे गन्ना किसानों में मायूसी छा गई और हजारों लोग बेरोजगार हो गए। इसके बाद गाजीपुर जनपद और उसके आसपास के क्षेत्रों के किसानों ने गन्ना उत्पादन पर जोर देना कम कर दिया, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति पर बुरा असर पड़ा।



केंद्र सरकार से मांग
राज्यसभा सांसद ने अपनी बातों को सदन में रखते हुए नंदगंज चीनी मिल को पुनः स्थापित करने की मांग की। उन्होंने कहा कि अगर किसी कारणवश यह संभव नहीं हो पाता है, तो सरकार को किसी अन्य रोजगार दायक योजना को स्थापित करना चाहिए, जिससे क्षेत्र के बेरोजगार युवाओं को रोजगार मिल सके और गन्ना किसानों की स्थिति में सुधार हो सके।

समाज और अर्थव्यवस्था पर प्रभाव
इस मुद्दे को सदन में उठाकर डॉ. संगीता बलवंत ने गाजीपुर के किसानों और बेरोजगारों की आवाज को बुलंद किया है। नंदगंज चीनी मिल का पुनः चालू होना न केवल क्षेत्र के किसानों के लिए लाभकारी होगा, बल्कि इससे पूरे क्षेत्र की अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी। इस कदम से गन्ना किसानों को उनके उत्पाद का उचित मूल्य मिलेगा और रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे, जिससे स्थानीय युवाओं को लाभ होगा।

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