Ghazipur News : रूद्रांबिका महायज्ञ के सप्तम दिवस पर वैदिक मंत्रोच्चार और भागवत कथा का आयोजन

UPT | श्रीमद्भागवत कथा की चर्चा करते हुए पंडित कन्हैया द्विवेदी

Oct 23, 2024 19:16

जनपद के नौली स्थित श्री रूद्रांबिका धाम परिसर में चल रहे होमात्मक श्री रूद्रांबिका महायज्ञ के क्रम में आज सप्तम दिवस काशी से पधारे हुए वेद विभूषण यज्ञाचार्य पंडित धनंजय पांडे जी के आचार्यत्व में वैदिक मंत्रोच्चार के साथ यज्ञ मंडप में आवाहित देवताओं का विधिवत पूजनादि क्रम संपन्न हुआ।

Ghazipur News : जनपद के नौली स्थित श्री रूद्रांबिका धाम परिसर में चल रहे होमात्मक श्री रूद्रांबिका महायज्ञ के सप्तम दिवस पर वैदिक मंत्रोच्चार के साथ यज्ञ मंडप में देवताओं का विधिवत पूजन किया गया। इस पूजा का आयोजन काशी से पधारे वेद विभूषण यज्ञाचार्य पंडित धनंजय पांडे जी के आचार्यत्व में हुआ। 

यज्ञ के बाद रुद्रांबिका के मंत्रों से किया स्वाहाकार
यज्ञ के बाद रुद्रांबिका के मंत्रों से स्वाहाकार किया गया, जिससे पूरे वातावरण में एक अद्भुत आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार हुआ। अपराह्न 2:00 बजे से भागवत कथा का आयोजन किया गया, जिसमें व्यास पंडित कन्हैया द्विवेदी जी महाराज ने उपस्थित जन समुदाय को श्रीमद्भागवत महापुराण का संगीतमय व्याख्यान प्रस्तुत किया। उन्होंने भगवान श्री कृष्ण की बाल लीलाओं, गोवर्धन धारण, माखन चोरी, और महारास के गूढ़ रहस्यों पर गहन विचार साझा किए। 

आशीर्वचनों से श्रद्धालुओं को किया लाभान्वित
इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि के रूप में बाबा विश्वनाथ धाम वाराणसी के आचार्य गण, पंडित सत्यवान, पंडित संदीप, पंडित आदित्य, और अंतरराष्ट्रीय भागवताचार्य पंडित विश्वाकांताचार्य जी महाराज ने अपने आशीर्वचनों से श्रद्धालुओं को लाभान्वित किया। यज्ञाचार्य ने अपने संबोधन में कहा कि यज्ञ से न केवल भौतिक सुख की प्राप्ति होती है, बल्कि आध्यात्मिक संपदा भी मिलती है। उन्होंने यह भी बताया कि यज्ञादि आयोजनों से सामूहिकता, सहकारिता, और एकता की भावनाएं विकसित होती हैं। 



ये सभी रहे उपस्थित
इस आयोजन में त्यागी जी, हृदय साधु, लाल बहादुर सिंह, श्याम बिहारी यादव, अजय पांडे, अखिलेश पांडे, श्री कृष्णा पांडे, आशुतोष मिश्रा, मनोज गुप्ता, पूर्व प्रधान विमला सिंह, ममता सिंह आदि उपस्थित रहे। श्रद्धालुओं की भीड़ ने कथा पंडाल को खचाखच भर दिया, जिससे वातावरण में भक्ति और श्रद्धा का माहौल बना रहा। इस महायज्ञ के माध्यम से स्थानीय समुदाय में धार्मिक उत्साह और सामाजिक समर्पण की भावना का संचार हुआ।

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