वाराणसी में बड़े साइबर फ्रॉड का खुलासा : Kia मोटर्स के नाम पर 72 लाख की ठगी, 6 गिरफ्तार

UPT | डीसीपी वरुणा जोन चंद्रकांत मीना

Jul 22, 2024 17:56

वाराणसी में साइबर अपराधियों के एक बड़े गिरोह का भंडाफोड़ हुआ है। स्थानीय साइबर क्राइम पुलिस ने एक ऐसे मामले का पर्दाफाश किया है...

Varanasi News : वाराणसी में साइबर अपराधियों के एक बड़े गिरोह का भंडाफोड़ हुआ है। स्थानीय साइबर क्राइम पुलिस ने एक ऐसे मामले का पर्दाफाश किया है जिसमें अपराधियों ने प्रसिद्ध वाहन निर्माता कंपनी किया मोटर्स के नाम का दुरुपयोग करके लगभग 72 लाख रुपये की ठगी की थी। इस मामले में पुलिस ने छह अंतरराज्यीय साइबर अपराधियों को गिरफ्तार किया है, जिनमें गिरोह का सरगना भी शामिल है।

Kia मोटर्स के नाम पर बड़ी धोखाधड़ी
वरुणा जोन के डीसीपी चंद्रकांत मीना ने इस खुलासे की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि भेलूपुर के गौरीगंज निवासी तेजस्वी शुक्ला ने साइबर क्राइम पुलिस को सूचित किया था कि उनके साथ Kia मोटर्स के नाम पर बड़ी धोखाधड़ी हुई है। अज्ञात साइबर अपराधियों ने एक फर्जी वेबसाइट और ईमेल के माध्यम से कंपनी की डीलरशिप दिलाने का झांसा देकर उनसे करीब 72 लाख रुपये ठग लिए थे।



जांच के लिए टीम का गठन 
इस शिकायत पर तत्काल कार्रवाई करते हुए स्थानीय थाने में आईटी एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया और जांच शुरू की गई। पुलिस आयुक्त मोहित अग्रवाल के निर्देशन में पुलिस उपायुक्त (Crime) चंद्रकांत मीना ने एक विशेष टीम का गठन किया। इस टीम का नेतृत्व साइबर क्राइम थाना के प्रभारी निरीक्षक विजय नारायण मिश्र ने किया।

इंटेलिजेंस टूल से की गिरोह के सदस्यों की पहचान
जांच टीम ने आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल करते हुए अपराधियों का पता लगाया। इलेक्ट्रॉनिक निगरानी, डिजिटल फुटप्रिंट और ओपन सोर्स इंटेलिजेंस टूल की मदद से टीम ने गिरोह के सदस्यों की पहचान की और उन्हें वाराणसी से गिरफ्तार किया।डीसीपी मीना ने बताया कि गिरफ्तार किए गए सभी 6 आरोपी बिहार के नालंदा जिले के रहने वाले हैं। ये सभी पढ़े-लिखे युवक हैं। इस गिरोह का एक सदस्य अभी भी फरार है, जो पहले तिहाड़ जेल में भी रह चुका है। यह तथ्य इस बात की ओर इशारा करता है कि गिरोह के सदस्य पेशेवर अपराधी हैं और उन्होंने पहले भी इस तरह के अपराध किए होंगे।

जाली दस्तावेज जब्त
पुलिस ने आरोपियों के पास से महत्वपूर्ण सबूत बरामद किए हैं। इनमें 16 मोबाइल फोन शामिल हैं, जिनकी कीमत लगभग 10 लाख रुपये है। इसके अलावा, फर्जी लेटरहेड और अन्य जाली दस्तावेज भी जब्त किए गए हैं। ये सामग्री अपराधियों के कार्य प्रणाली पर प्रकाश डालती है। डीसीपी मीना ने यह भी बताया कि इस तरह के साइबर अपराधों में अक्सर पैसे को कई अलग-अलग खातों में ट्रांसफर किया जाता है। इस मामले में भी ऐसा ही हुआ था। पुलिस ने कई संदिग्ध बैंक खातों को सीज कर दिया है और उनकी जांच की जा रही है।

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