बिजली आपूर्ति में आएगा क्रांतिकारी बदलाव : वाराणसी में बनेगा पूर्वांचल का पहला निजी ट्रांसमिशन उपकेंद्र, गर्मियों में मिलेगी राहत

UPT | वाराणसी पावर कॉर्पोरेशन

Sep 22, 2024 18:44

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में जल्द ही पूर्वांचल का पहला निजी ट्रांसमिशन उपकेंद्र बनने जा रहा है। यह 220 केवी का आधुनिक बिजली उपकेंद्र शहर के पांच प्रमुख उपकेंद्रों की ओवरलोडिंग और ट्रिपिंग जैसी...

Varanasi News : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में जल्द ही पूर्वांचल का पहला निजी ट्रांसमिशन उपकेंद्र बनने जा रहा है। यह 220 केवी का आधुनिक बिजली उपकेंद्र शहर के पांच प्रमुख उपकेंद्रों की ओवरलोडिंग और ट्रिपिंग जैसी समस्याओं का स्थायी समाधान प्रदान करेगा। गर्मियों के मौसम में अक्सर बिजली की मांग बढ़ जाती है, जिसके चलते वाराणसी के उपकेंद्रों पर लोड बढ़ता है और ट्रिपिंग की समस्या उत्पन्न होती है। इस नई परियोजना के माध्यम से इस परेशानी से राहत मिल सकेगी।

200 करोड़ की लागत से बनेगा उपकेंद्र
अत्याधुनिक ट्रांसमिशन उपकेंद्र का निर्माण एक निजी कंपनी द्वारा 200 करोड़ रुपये की लागत से किया जाएगा। खास बात यह है कि इस परियोजना में सरकार का कोई वित्तीय निवेश नहीं होगा। परियोजना पूरी तरह से निजी कंपनी द्वारा वित्तपोषित होगी और यह कंपनी इस उपकेंद्र का रखरखाव भी अगले 35 वर्षों तक करेगी। 18 महीनों में उपकेंद्र का निर्माण पूरा होने की योजना है, जिससे उसके बाद गर्मियों के सीजन में ट्रिपिंग की समस्या काफी हद तक खत्म हो जाएगी।

बिजली आपूर्ति में सुधार
बिजली विभाग के अधीक्षण अभियंता दिनेश चंद्र दीक्षित ने बताया कि यह नया उपकेंद्र टैरिफ आधारित प्रतिस्पर्धी बोली प्रक्रिया पर आधारित होगा। इसका उद्देश्य शहर के अन्य उपकेंद्रों को बिजली की आपूर्ति करना है। यह उपकेंद्र उन उपकेंद्रों को भी मदद करेगा जो गर्मियों के मौसम में अत्यधिक लोड के कारण ट्रिपिंग और बिजली कटौती का सामना करते हैं। इसके अलावा, यदि किसी उपकेंद्र पर कोई बड़ा तकनीकी फॉल्ट हो जाता है, तो यह नया उपकेंद्र आपातकालीन स्थिति में वहां विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित करेगा। इस तरह यह उपकेंद्र पूरे शहर की बिजली आपूर्ति को सुचारू और स्थिर बनाए रखने में मददगार साबित होगा।

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35 साल बाद यूपी सरकार को सौंपा जाएगा उपकेंद्र
इस परियोजना की एक और महत्वपूर्ण विशेषता यह है कि 35 साल बाद यह उपकेंद्र पूरी तरह से उत्तर प्रदेश सरकार को सौंप दिया जाएगा। तब तक यह निजी कंपनी द्वारा संचालित किया जाएगा, लेकिन उसके बाद इसका नियंत्रण पूरी तरह से राज्य सरकार के अधीन आ जाएगा। निर्माण के साथ ही संचालन और रखरखाव की जिम्मेदारी भी उसी कंपनी की होगी जिसने इसका निर्माण किया है। यह उपकेंद्र वाराणसी के संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय परिसर में बनाया जाएगा। इसके निर्माण से शहर के अन्य प्रमुख उपकेंद्रों पर लोड घटाने और ट्रिपिंग से बचाव की योजना है।

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इन उपकेंद्रों का लोड होगा कम
शहर के 33 केवी के पांच प्रमुख उपकेंद्र जैसे भेलूपुर, काशी विद्यापीठ, चौकाघाट, नगर निगम और सांस्कृतिक संकुल का भार इस नए उपकेंद्र के माध्यम से कम किया जाएगा। इससे इन उपकेंद्रों की दक्षता में सुधार होगा और गर्मियों के दौरान बिजली की लगातार आपूर्ति सुनिश्चित हो सकेगी।

प्रोजेक्ट होगा आत्मनिर्भर
इस पूरी परियोजना में सरकार का कोई भी प्रत्यक्ष वित्तीय योगदान नहीं होगा। यह परियोजना पूरी तरह से निजी निवेश पर आधारित होगी, जिससे यह आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर होगी। निजी कंपनी न केवल इसका निर्माण करेगी, बल्कि अगले 35 वर्षों तक इसका रखरखाव भी करेगी। इस तरह, सरकार को किसी प्रकार का वित्तीय बोझ नहीं उठाना पड़ेगा, और इस परियोजना का संचालन पावर कॉर्पोरेशन की देखरेख में किया जाएगा।

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