प्रसाद में मिलावट का मामला : ऋतेश्वर महाराज की कड़ी प्रतिक्रिया, सनातन धर्म और राष्ट्र के साथ धोखा करार दिया

UPT | डॉ. ऋतेश्वर महाराज।

Sep 20, 2024 23:55

श्री बालाजी मंदिर के प्रसाद में मछली का तेल और गाय की चर्बी जैसी वस्तुओं की मिलावट के मामले ने वाराणसी के सनातन धर्म के अनुयायियों में आक्रोश फैला दिया है।

Varanasi News : वाराणसी में श्री बालाजी मंदिर के प्रसाद में मछली का तेल और गाय की चर्बी जैसी वस्तुओं की मिलावट के मामले ने सनातन धर्म के अनुयायियों में आक्रोश फैला दिया है। इस घटना पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए वृंदावन के आनंदम धाम ट्रस्ट के पीठाधीश्वर सद्गुरु डॉ. ऋतेश्वर महाराज ने इसे सनातन धर्म और राष्ट्र के साथ धोखा करार दिया। मीडिया से बातचीत के दौरान डॉ. ऋतेश्वर महाराज ने कहा कि यह कृत्य न केवल धार्मिक विश्वासों पर चोट है, बल्कि राष्ट्र के साथ भी गहरा छल है।

राष्ट्रद्रोह का मामला बताते हुए की कड़ी कार्रवाई की मांग
ऋतेश्वर महाराज ने इस घटना को गंभीर अपराध बताते हुए कहा कि इस तरह की मिलावट करने वाले लोग कभी भी राष्ट्रभक्त नहीं हो सकते। उन्होंने कहा, "ऐसे लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए और उन्हें राष्ट्रद्रोह के तहत मुकदमा झेलना चाहिए।" उन्होंने आगे कहा कि ऐसे धोखेबाजों की संपत्ति जब्त की जानी चाहिए और उन्हें कड़ी सजा दी जानी चाहिए।

सरकार से की ठोस कदम उठाने की मांग
ऋतेश्वर महाराज ने सरकार से इस मामले को गंभीरता से लेने की अपील की। उन्होंने कहा कि अगर सरकार इस मुद्दे पर ठोस कार्रवाई नहीं करती है, तो सुप्रीम कोर्ट को स्वतः संज्ञान लेकर हस्तक्षेप करना चाहिए। उन्होंने जोर देकर कहा कि सनातन धर्म के अनुयायियों को अब अपने अधिकारों और धर्म की रक्षा के लिए जागरूक होना होगा और अपने हितों को प्राथमिकता देनी होगी।

सनातन धर्म के अनुयायियों को एजेंडा सेट करने की सलाह
ऋतेश्वर महाराज ने सनातन धर्म के अनुयायियों को सलाह दी कि वे अपने धर्म और हितों की सुरक्षा के लिए खुद का एजेंडा सेट करें। उन्होंने कहा कि किसी भी राजनीतिक दल से उनका व्यक्तिगत द्वेष नहीं है, चाहे वह राहुल गांधी हो, नरेंद्र मोदी या अखिलेश यादव। उनका उद्देश्य केवल सनातन धर्म और राष्ट्र की सेवा करना है। उन्होंने स्पष्ट किया कि जो भी राजनीतिक दल राष्ट्रहित में कार्य करेगा, वही देश पर शासन करने का हकदार होगा।

सनातन धर्म का वैश्विक महत्व
डॉ. ऋतेश्वर महाराज ने सनातन धर्म को न केवल भारत के लिए, बल्कि पूरे विश्व के लिए आवश्यक बताया। उन्होंने कहा कि देश में ‘एक राष्ट्र-एक शिक्षा’ और ‘एक चिकित्सा’ जैसी नीतियों को अपनाने का समय आ गया है। ऋतेश्वर महाराज ने सनातन शिक्षा पद्धति को मानव जीवन को बेहतर बनाने के लिए सर्वोत्तम बताया और इसी उद्देश्य से काशी क्षेत्र में सनातन विश्वविद्यालय और गुरुकुलम की स्थापना की योजना बनाई है।

यह प्रयास शिक्षा और जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए है, ताकि आने वाली पीढ़ियाँ न केवल जीविका के लिए तैयार हों, बल्कि जीवन के सही मूल्यों को भी समझें।  

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