वाराणसी पुलिस ने सात अंतरराज्यीय साइबर ठगों को किया गिरफ्तार : निवेश के नाम पर लोगों से करते थे लाखों की ठगी

UPT | डीसीपी वरुणा जोन चंद्रकांत मीणा ने किया खुलासा

Aug 21, 2024 17:00

वाराणसी पुलिस ने निवेश के नाम पर लाखों की साइबर ठगी करने वाले सात लोगों को गिरफ्तार किया है। ये सभी सातों लोग मध्य प्रदेश के रहने वाले हैं। ये फर्जी वेबसाइट बनाकर निवेश के नाम पर लोगों से लाखों की ठगी करते हैं।

Varanasi News : वाराणसी पुलिस ने इन्वेस्टमेंट कराने के नाम पर लाखों की साइबर ठगी करने वाले सात लोगों को गिरफ्तार किया है। ये सातों लोग मध्य प्रदेश के हैं,जो फर्जी साइड बनाकर लोगों से इन्वेस्टमेंट के नाम पर लाखों की ठगी करते हैं। पीड़िता के तहरीर पर पुलिस ने विभिन्न स्थानों से इन्हें गिरफ्तार करने में सफलता प्राप्त हुई है। जिनके पास से नगदी, सिम कार्ड और अन्य सामान बरामद हुए हैं।

इस तरह की गई ठगी
डीसीपी वरुणा जोन चंद्रकांत मीना ने बताया कि अस्सीघाट निवासी संभावना त्रिपाठी ने 18 दिसंबर 2023 को साइबर अपराध की घटना के संबंध में शिकायत दर्ज कराई थी। उन्होंने पुलिस को बताया कि कार बुकिंग का कार्य पूरा कराने के नाम पर विभिन्न टेलीग्राम ग्रुप और वेबसाइट के माध्यम से साइबर अपराधियों द्वारा उनसे ठगी की गई। जिस पर पुलिस ने विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।

डीसीपी ने आगे बताया कि मामले में शामिल साइबर अपराधियों की गिरफ्तारी और बरामदगी के लिए एक टीम गठित की गई थी। टीम ने उक्त घटना में प्रयुक्त वेबसाइट, टेलीग्राम अकाउंट, मोबाइल नंबर और बैंक खातों तथा इलेक्ट्रॉनिक सर्विलांस और डिजिटल फुटप्रिंट्स के गहन विश्लेषण के आधार पर गिरोह के सरगना समेत 07 अंतर्राज्यीय साइबर अपराधियों को इंदौर, मध्य प्रदेश से गिरफ्तार किया है। इनके कब्जे से भारी मात्रा में एटीएम, चेकबुक, पासबुक, इंटरनेट बैंकिंग स्लिप, फर्जी आधार कार्ड, पैन कार्ड, सिम कार्ड और नकदी बरामद की गई है।

ब्रांडेड कंपनियों की फर्जी वेबसाइट बनाई
पुलिस ने बताया कि साइबर ठग ब्रांडेड कंपनियों की असली वेबसाइट जैसी ही फर्जी वेबसाइट बनाते हैं, उसके बाद बल्क एसएमएस फीचर का इस्तेमाल कर पार्ट टाइम जॉब, निवेश आदि में अच्छा मुनाफा कमाने का लालच देकर एक साथ हजारों लोगों को ठग लेते हैं। ये लोग अपने खातों में छोटी-छोटी रकम जमा कराकर लोगों को मोटी कमाई का लालच देते हैं। इसके बाद ये लोग अपने द्वारा बनाई गई वेबसाइट और टेलीग्राम ग्रुप में लोगों को जोड़ते हैं, जहां इनके अपने सिंडीकेट द्वारा बड़ी रकम के स्क्रीनशॉट भेजे जाते हैं। जिससे लोग लालच में आकर इनके झांसे में आ जाते हैं। इसके बाद निवेश से जुड़ी तमाम योजनाएं बताकर ये तथाकथित कंपनी के बैंक खातों में रकम जमा करवा लेते हैं। यह रकम उस कंपनी की फर्जी वेबसाइट पर यूजर के खाते में दिखाई देती है और निवेश का मुनाफा भी दोगुना या तिगुना दिखाई देता है, जिससे लोगों में ज्यादा विश्वास हो जाता है और वे बड़ी रकम निवेश करते रहते हैं। बाद में जब लोग अपना पैसा निकालना चाहते हैं तो पैसा नहीं निकलता, क्योंकि यह रकम साइबर अपराधियों द्वारा लोगों को धोखा देने के लिए फ्लैश रकम के रूप में दिखाई जाती है, जो असल में होती ही नहीं।

वर्चुअल मशीन से विदेशों के आईपी एड्रेस का करते थे प्रयोग
पुलिस ने आगे बताया कि साइबर अपराधी वर्चुअल मशीनों के माध्यम से चीन, सिंगापुर, थाईलैंड, कंबोडिया और दुबई के विदेशी आईपी एड्रेस का इस्तेमाल करते हैं। जिससे उनकी पहचान छिपी रहे और वे पुलिस की पहुंच से दूर रहें। इस तरह से प्राप्त सभी पैसे एपीआई, कॉरपोरेट बैंकिंग में बल्क ट्रांसफर के जरिए सेकंडों के भीतर फर्जी गेमिंग ऐप के हजारों यूजर्स के बैंक अकाउंट और उनके दूसरे सिंडिकेट के अकाउंट में भेज दिए जाते हैं और विभिन्न माध्यमों से निकाल लिए जाते हैं।

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