वाराणसी से बड़ी खबर : व्यास तहखाने में जिस जज ने दी थी पूजा की अनुमति, उन्हें बनाया गया लोकपाल

UPT | वाराणसी के रिटायर्ड जिला जज को बनाया गया लोकपाल

Feb 29, 2024 20:26

वाराणसी के रिटायर्ड जिला जज को लखनऊ की एक यूनिवर्सिटी में बतौर लोकपाल नियुक्त किया गया है। यह वहीं जज हैं, जिन्होंने व्यास तहखाने में हिंदू पक्ष को पूजा की अनुमति दी थी।

Short Highlights
  • वाराणसी के रिटायर्ड जज को बनाया गया लोकपाल
  • शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय में मिली नियुक्ति
  • व्यास तहखाने में दिया था पूजा का आदेश
Varanasi News : वाराणसी स्थित ज्ञानवापी के दक्षिणी हिस्से में बने व्यास तहखाने में पूजा की अनुमति जिस जज ने दी थी, उन्हें अहम जिम्मेदारी दी गई है। उन्हें अब लखनऊ स्थित एक विश्वविद्यालय में बतौर लोकपाल नियुक्ति दी गई है। आपको बता दें कि जिला जज ने अपने आखिरी कार्यदिवस के दिन ही ज्ञानवापी मामले में सुनवाई करते हुए व्यास तहखाने में पूजा की अनुमति दी थी।

यूजीसी के नियमों के तहत हुई नियुक्ति
बताया जा रहा है कि रिटायर्ड जज एके विश्वेश को यूजीसी के नियमों के तहत नियुक्ति मिली है। दरअसल नियम है कि विश्वविद्यालयों और उससे संबंधित कॉलेजों के विद्यार्थियों के लिए लोकपाल की नियुक्ति करनी होती है। यह लोकपाल रिटायर्ड कुलपति, रिटायर्ड प्रोफेसर या फिर रिटायर्ड जिला जज हो सकते हैं। इसी के तहत रिटायर्ड जज एके विश्वेश को लखनऊ के डॉ. शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय का लोकपाल बनाया गया है।

व्यास तहखाने में हिंदू पक्ष को मिला था पूजा का हक
वाराणसी की जिला अदालत ने 31 जनवरी को ज्ञानवापी स्थित व्यास तहखाने में हिंदू पक्ष को पूजा का अधिकार दे दिया था। अदालत के इस फैसले पर मुस्लिम पक्ष ने नाराजगी जताई थी। वहीं हिंदू पक्ष ने इसका जश्न मनाया था। 1993 तक इस तहखाने में सोमनाथ व्यास का परिवार पूजा करता था, लेकिन उसके बाद लोहे की बैरिकेडिंग लगा दी गई और पूजा-पाठ बंद हो गई।

एएसआई सर्वे की मांग पर आपत्ति दाखिल
ज्ञानवापी के बंद पड़े तहखानों की एएसआई द्वारा सर्वे करवाने की मांग के विरोध में अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी ने कोर्ट में आपत्ति दाखिल की है। इसमें कहा गया है कि 'हिंदू पक्ष हमें बेदखल करना चाहता है, इसलिए एक के बाद एक प्रार्थना पत्र दाखिल किए जा रहे हैं।' इस मामले की सुनवाई 19 मार्च को होगी। मामले में वादी राखी सिंह ने अदालत में आवेदन देकर कहा है कि ज्ञानवापी परिसर से बैरिकेडिंग हटाई जाए और दृश्य अदृश्य देवी-देवताओं के दर्शन की अनुमति दी जाए।

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