अकबरपुर में भाजपा ने लगाई जीत की हैट्रिक : सपा को हराकर चुनाव जीतने वाले देवेंद्र सिंह के बारे में जानिए सबकुछ

UPT | अकबरपुर में भाजपा ने लगाई जीत की हैट्रिक

Jun 04, 2024 21:12

अकबरपुर सीट पर लाखों लोगों ने बीजेपी प्रत्याशी देवेंद्र सिंह को चुना है। इन्होंने सपा प्रत्याशी राजा राम पाल और बसपा प्रत्याशी राजेश द्विवेदी को हराकर जनता का फिर से विश्वास जीत लिया है।

Akbarpur Lok Sabha constituency : लोकसभा चुनाव 2024 का परिणाम घोषित हो चुका है। अकबरपुर सीट पर लाखों लोगों ने बीजेपी प्रत्याशी देवेंद्र सिंह को चुना है। इन्होंने सपा प्रत्याशी राजा राम पाल और बसपा प्रत्याशी राजेश द्विवेदी को हराकर जनता का फिर से विश्वास जीत लिया है। उनके कामों और लोकप्रियता को देखते हुए तीसरी बार भाजपा में उन्हें चुनावी मैदान में उतारा है। जिसके बाद उन्होंने एक बार फिर जीत हासिल की है। 

भोले सिंह का राजनीति करियर
देवेंद्र सिंह के ​​भोले सिंह के नाम से भी जाना जाता है। उन्होंने कानपुर के अकबरपुर संसदीय क्षेत्र से 2014 और 2019 के बाद अब फिर से  आम चुनाव जीता है। उन्होंने कानपुर देहात जिले के डेरापुर विधानसभा क्षेत्र से 1991 और 1996 का विधानसभा चुनाव भी जीता था। वैसे तो इस सीट पर अबकी बार भाजपा के पास कई उम्मीदवार थे लेकिन पार्टी ने भोले सिंह के कामों और लोकप्रियता को देखते हुए तीसरी बार भाजपा में उन्हें चुनावी मैदार में उतारा है। जिसके बाद उन्होंने एक बार फिर जीत हासिल की है। 

राजनीति की शुरुआत
देवेंद्र सिंह का जन्म 2 अप्रैल, 1954 को दर्शन सिंह और कनक रानी के घर हुआ था। उन्होंने बोर्ड ऑफ हाई स्कूल एंड इंटरमीडिएट एजुकेशन उत्तर प्रदेश, प्रयागराज से हाई स्कूल की पढ़ाई पूरी की। उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता के रूप में राजनीति में अपना करियर शुरू किया। पहली बार उन्होंने राज्य विधानसभा (यूपी) के उपचुनावों में भाग लिया और डेरापुर विधान सभा क्षेत्र से सीट जीती। वे 2007 में यूपी राज्य विधानसभा के आम चुनावों में भाजपा उम्मीदवार के रूप में भी विजयी रहे।

तजुर्बे से जीत के हकदार
भोले के बारे में कहा जाता है कि उन्हें राजनीति और समाज का काफी तजुर्बा है। जिसकी वजह से वो चर्चा में बने रहते हैं। इसका सबसे अच्छा उदाहरण है कि जब भोले ने माता-पिता के 7वें निर्वाण दिवस पर एक कार्यक्रम रखा था। इसमें लोकसभा क्षेत्र के 11 हजार बुजुर्गों को बुलाकर सम्मानित किया था। लोगों की नजरें उस वक्त अंचभित रह गई थीं, जब उन्होंने इसमें 90 से अधिक उम्र वाले बुजुर्गों को देखा। अपने सांसद के एक बुलावे पर बुजुर्ग शारीरिक समस्याओं को दरकिनार कर कार्यक्रम में पहुंचे थे। इससे ही कहते है अपने क्षेत्र के लोगों के साथ करीबी रिश्ता।

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