अयोध्या में मस्जिद की जमीन पर विवाद : दिल्ली की महिला ने भूमि पर किया दावा, जानें क्या है पूरा मामला...

UPT | अयोध्या में मस्जिद की जमीन पर विवाद

Jul 30, 2024 10:39

राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत अयोध्या में आवंटित की गई जमीन पर मस्जिद और अन्य सुविधाएं विकसित करने की परियोजना के क्रियान्वयन में एक नई कानूनी...

Ayodhya News : राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत अयोध्या में आवंटित की गई जमीन पर मस्जिद और अन्य सुविधाएं विकसित करने की परियोजना के क्रियान्वयन में एक नई कानूनी अड़चन उत्पन्न हो गई है। दिल्ली की एक महिला ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई है कि मस्जिद के लिए आवंटित जमीन पर उसका मालिकाना हक है।

महिला ने किया मालिकाना हक का दावा
दिल्ली की निवासी रानी पंजाबी ने सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में दावा किया है कि अयोध्या के धन्नीपुर गांव में मस्जिद के लिए जो पांच एकड़ जमीन आवंटित की गई है, वह उनकी 28.35 एकड़ भूमि का हिस्सा है। रानी पंजाबी का कहना है कि इस भूमि के मालिकाना हक के सभी दस्तावेज उनके पास हैं और यह जमीन उनके परिवार की है। रानी पंजाबी के अनुसार उनके पिता ज्ञानचंद पंजाबी विभाजन के समय पाकिस्तान से भारत आए थे और फैजाबाद (अब अयोध्या जिला) में उन्हें 28.35 एकड़ जमीन आवंटित की गई थी। यह जमीन पाकिस्तान स्थित पंजाब में छोड़ी गई संपत्ति के बदले दी गई थी। रानी ने बताया कि उनके परिवार ने इस जमीन पर खेती-बारी की, लेकिन 1983 में उनके पिता की बीमारी के कारण परिवार दिल्ली में बस गया। इसके बाद से उनकी जमीन पर कब्जा होता चला गया।

वक्फ बोर्ड का जवाब
उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष और मस्जिद निर्माण के लिए गठित इंडो-इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन ट्रस्ट के प्रमुख जुफर फारूकी ने रानी पंजाबी के दावे को खारिज किया है। उन्होंने बताया कि इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 2021 में रानी पंजाबी के दावे को पहले ही अस्वीकार कर दिया था, और अब किसी भी प्रकार की अड़चन नहीं है। फारूकी ने कहा, “इस परियोजना में कोई प्रमुख अड़चन नहीं है। हालांकि, मस्जिद और अन्य सुविधाओं के निर्माण में कुछ देरी हुई है, इसका कारण परियोजना के डिजाइन में बदलाव और धन जुटाने के लिए एफसीआरए प्रमाण पत्र की अनुपलब्धता है।”

सुप्रीम कोर्ट का आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने 9 नवंबर 2019 को अपने ऐतिहासिक फैसले में राम जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण के साथ ही मुसलमानों को अयोध्या में किसी अन्य प्रमुख स्थान पर पांच एकड़ जमीन आवंटित करने का आदेश दिया था। इस आदेश के तहत सरकार ने सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को अयोध्या के धन्नीपुर गांव में जमीन आवंटित की। इंडो-इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन ट्रस्ट ने इस जमीन पर मस्जिद के साथ-साथ एक अस्पताल, सामुदायिक रसोई, पुस्तकालय और शोध संस्थान बनाने की योजना बनाई थी।

परियोजना की प्रगति
पहले अनुमान के अनुसार, मस्जिद और अन्य इमारतों का निर्माण कार्य इसी साल मई से शुरू होने की संभावना थी। लेकिन नक्शा मंजूर होने में देरी, धन की कमी और अन्य समस्याओं के कारण निर्माण कार्य में देरी हो रही है। यह उम्मीद जताई जा रही थी कि राम मंदिर और मस्जिद दोनों का निर्माण एक साथ पूरा हो जाएगा, लेकिन वर्तमान में निर्माण की प्रक्रिया की गति धीमी रही है।

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