Ayodhya News : वृहद लोक अदालत में बोले जिला जज-लोक अदालत की मूल भावना में समाहित है लोक कल्याण की भावना

UPT | मेगा लोक अदालत का शुभारंभ करते जनपद न्यायाधीश गौरव श्रीवास्तव।

Sep 15, 2024 19:46

राष्ट्रीय लोक अदालत में दोनों पक्षों के हितों को ध्यान में रखकर आपसी सुलह-समझौते के माध्यम से वादों को निस्तारित कराया जाता है

Short Highlights
  • सभी के हितों को ध्यान में रखकर सुलह-समझौते से वादों का निस्तारण
  • बैंक, विद्युत, श्रम, पारिवारिक, मोटर दुर्घटना जैसे विवादों का किया गया निस्तारण

Ayodhya News  :  लोक अदालत की मूल भावना में लोक कल्याण की भावना समाहित है। सुलह समझौता के दौरान सभी का मान, सभी का सम्मान, सभी को न्याय मिले इसका ध्यान रखा जाता है। राष्ट्रीय लोक अदालत में दोनों पक्षों के हितों को ध्यान में रखकर आपसी सुलह-समझौते के माध्यम से वादों को निस्तारित कराया जाता है। इतिहास में दर्ज है कि सदियों पहले जब अदालतें नहीं हुआ करती थी तब दो पक्षों के आपसी मतभेद को सुलह-समझौता के माध्यम से  समाज के गणमान्य व्यक्ति एक निर्धारित स्थल पर बैठकर दोनों पक्षों की बात सुनकर यह निर्णय लेते थे कि दोनों पक्षों का हित किसमें हैं।

सुलह समझौते में दोनों पक्षों के मध्य आपसी क्लेश, मतभेद एवं दुर्भावना समाप्त हो जाती थी। लोक कल्याण के भावना से ओत-प्रोत उसी स्वरूप को माननीय उच्चतम न्यायालय, माननीय उच्च न्यायालय द्वारा विस्तार रूप देते हुए एक स्थल, एक मंच पर बहुत सारे वादों को सुलह-समझौता के आधार पर समाप्त कराने के उद्देश्य से राष्ट्रीय लोक अदालत आयोजित कराने का निर्देश दिये जाते हैं। यह कहना है जनपद न्यायाधीश गौरव कुमार श्रीवास्तव का। जनपद न्यायाधीश रविवार को वृहद लोक अदालत का शुभारंभ कर रहे थे।

जनपद की सभी तहसीलों में भी आयोजित किए जाएंगे लोक अदालत 
अपने संबोधन में  जनपद न्यायाधीश ने कहा कि लोग मिल-जुल कर प्रेम भावना से रहे, जो समाज एवं राष्ट्र के हित में है। यदि आपसी मतभेद पनपते भी हैं, तो उसे शांत एव सद्भाव के साथ समाप्त करने का प्रथम प्रयास दोनों पक्षों द्वारा किया जाना चाहिए। यदि प्रथम प्रयास में दोनों पक्ष सफल नहीं होते है तभी उन्हें न्यायालय के शरण जाना चाहिए। बताया कि जनपद न्यायालय परिसर के अतिरिक्त कलेक्ट्रेट एवं सभी तहसीलों में आपसी सुलह-समझौता के आधार पर वादों का निस्तारण कराया जाएगा। इससे पूर्व मां सरस्वती के चित्र के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन व माल्यार्पण किया गया।

इस दौरान राहुल कुमार कात्यायन प्रधान न्यायाधीश पारिवारिक न्यायालय, राजेन्द्र प्रसाद श्रीवास्तव तृतीय पीठासीन अधिकारी कामर्शियल न्यायालय, अल्पना सक्सेना, अपर प्रधान न्यायाधीश पारिवारिक न्यायालय, अपर जनपद न्यायाधीश/सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण अयोध्या, अनिल कुमार वर्मा व नोडल अधिकारी राष्ट्रीय लोक अदालत श्रीमती नूरी अंसार अपर जनपद न्यायाधीश/विशेष न्यायाधीश पाक्सो एक्ट-द्वितीय व अन्य न्यायिक अधिकारी उपस्थित रहे।

विभिन्न अदालतों में 44807 सुलह समझौते से हुआ हजारों वादों का निस्तारण 
सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण अनिल कुमार वर्मा ने बताया कि इस वृहद लोक अदालत में अधिक से अधिक वादों को आपसी सुलह-समझौता के माध्यम से समाप्त कराकर लोगों को राष्ट्रीय लोक अदालत के उद्देश्य का लाभ दिलाया गया।धारा 138 पराक्राम्य लिखित अधिनियम (एनआई.ऐक्ट), बैंक वसूली वाद, श्रम विवाद वाद, विद्युत एवं जलवाद बिल, अन्य आपराधिक शमनीय वाद, पारिवारिक एंव अन्य व्यवहार वाद, पारिवारिक विवाद, भूमि अधिग्रहण वाद, सर्विस मैटर से संबन्धित वेतन, भत्ता और सेवानिवृत्ति लाभ के मामले, राजस्व वाद, जो जनपद न्यायालय में लम्बित हों, अन्य सिविल वाद आदि निस्तारित किए गए। राष्ट्रीय लोक अदालत में कुल 44807 वादों को निस्तारित किया गया एवं कुल समझौता राशि 147860862 रुपये है। जिसमें पीठासीन अधिकारी (वर्चुअल कोर्ट ) प्रत्युश आनंद मिश्रा द्वारा 15,000 वादों का निस्तारण किया गया, जो कि अत्यंत सराहनीय है।

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