Ayodhya News : रामनगरी में देखने को मिली गंगा-जमुनी तहजीब, कर्बला नहीं पवित्र सरयू में करते हैं ताजिया दफन

UPT | सरयू नदी में दफन की गई ताजिया।

Jul 17, 2024 20:59

शिया समुदाय के लोग मानते हैं कि सरयू नदी का जल सबसे पवित्र है। भगवान राम की नगरी अयोध्या में बहने वाली सरयू नदी में शिया समुदाय के लोग सैकड़ों वर्ष से ताजिया प्रवाहित करते आ रहे हैं

Short Highlights
  • शिया लोग सैकड़ों वर्षों से सरयू नदी में प्रवाहित कर रहे हैं ताजिया
  • जनपद के ग्रामीण क्षेत्रों में भी गमी जुलूस के बीच दफन किए गए ताजिए
  • नौहा पढ़ते हुए सीना जनी करते हुए कर्बला पहुंचे जुलूस

Ayodhya News : भगवान राम की नगरी अयोध्या में आज भी गंगा-जमुनी तहजीब कायम है। जो मोहर्रम पर सभी ने देखा। शिया समुदाय के लोग सैकड़ों वर्षों से पवित्र सरयू नदी में ताजिया प्रवाहित करते आए हैं। इसे सुपुर्द-ए-दरिया कहा जाता है। शिया समुदाय के लोग मानते हैं कि सरयू नदी का जल सबसे पवित्र है। भगवान राम की नगरी अयोध्या में बहने वाली सरयू नदी में शिया समुदाय के लोग पिछले कई वर्षों से ताजिया को प्रवाहित करते हैं। जबकि कर्बला के मैदान में ताजिया दफन किया जाता है। लेकिन रामनगरी अयोध्या में इसके अलग एक परंपरा अति प्राचीन है। जो केवल यहीं देखने और सुनने को मिलती है।

हजरत इमाम हुसैन की याद में ढोल ताशे के बीच निकली गई ताजिया 
बता दें, हजरत इमाम हुसैन की याद में मोहर्रम के अवसर पर ढोल ताशे के बीच ताजिया निकाली गई। भगवान राम की नगरी में मुस्लिम संप्रदाय के शिया समुदाय के लोग पिछले सैकड़ों वर्षों से पवित्र सरयू नदी में ताजिया प्रवाहित करते हैं। यह परंपरा अति प्राचीन है। इतना ही नहीं शिया समुदाय के लोग यह मानते हैं कि सरयू नदी का जल सबसे पवित्र है। मोहर्रम का चांद देखने के बाद इस्लाम के मानने वाले इस 10 दिन को मोहम्मद साहब के नवासे हज़रत इमाम हुसैन और उनके 72 अहलो अयाल( रिश्ते दारो) की शहादत को याद करते हैं।

इसी कड़ी में यौमे आशुरा के दिन अयोध्या स्थित सैय्यद बाड़ा मोहल्ले से तजियादारो ने ग़मगीन माहौल में ताज़िया निकाली और नौहा पढ़ते हुए सीना जनी करते हुए सरयू के किनारे पहुंचे जंहा पर ताज़िये को रखकर या हुसैन अलविदा कहा और फिर ताजिया को सरयू नदी के सिपुर्द किया। हाय हसन के उद्घोष के साथ राम नगरी के सड़कों पर हजरत इमाम हुसैन के याद में मुहर्रम के मौके पर ताजिया लेकर शिया वर्ग के लोग सरयू नदी के तरफ निकले। जहां पर लोगों ने ताजिया की परिक्रमा की और दुआ मांगी। इसके बाद ताजिए को सरयू नदी में प्रवाहित कर दिया गया। ताजिया को सरयू नदी में प्रवाहित करने के लिए राम नगरी के घाटों पर संत समाज भी पहुंचते हैं। गंगा जमुनी तहजीब की नगरी कौमी एकता की मिसाल भी नजर आती है।

फैज़ाबाद शहर के बड़ी बुआ कर्बला मैदान में दफन किए गए ताजिए 
मोहर्रम के दसवें दिन बुधवार को कर्बला में ताजियों को दफन किया गया। फैज़ाबाद शहर के बड़ी बुआ स्थित कर्बला में ताजियों को दफन किया गया। शहर की अंजुमन जुलूस निकालकर ताजियों को कर्बला पहुंचाया गया। कर्बला मैदान में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे। मुसलमानों के लिए मोहर्रम का महीना बेहद गम भरा होता है। पैगंबर मोहम्मद साहब की नवासे इमाम हुसैन और उनके 72 साथी कर्बला की जंग में शहीद हुए थे। उन्हीं की याद में मोहर्रम मनाया जाता है। अयोध्या में शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्र तक ताजियों को कर्बला में दफन किया गया।

गोंसाईगंज और रुदौली क्षेत्रों में गम के माहौल में ताजिए दफन 
गोसाईगंज में भी मोहर्रम का जुलूस सकुशल संपन्न हुआ। कटरा मोहल्ला से चलकर जुलूस सराय मस्जिद होते हुए इलाही शाहिद के मैदान में मेले के रूप में परिवर्तित हो गया। जहां पर तमाम अंजुमनों ने अपने कला के जौहर दिखाते हुए तमाम करतब और कारनामे दिखाए।जिससे लोगों ने दांतों के तले उंगली दबा ली। वहीं दूसरी तरफ अंजुमनों ने नोहे और मर्सिया पढ़कर लोगों को कर्बला के शहादत की याद दिलाई। इस बीच सपा नेता मोहम्मद वैस अंसारी, शहर इमाम हाजी अब्दुल हक बरकाती, रियाज हमीदी, इरशाद अंसारी, मुनीर अंसारी, फिरदौस अंसारी, तनवीर अरशद राजू ने मेले में आए हुए ज़ायरीनो का स्वागत किया एवं मेले को सकुशल संपन्न कराया। वहीं रुदौली, मवई, पटरंगा, इनायत नगर, बारुन, भदरसा आदि क्षेत्रों में ताजिया को गमजदा माहौल में दफन किया गया। ताजिया जुलूस शांतिपूर्ण सम्पन्न होने से पुलिस और प्रशासन ने राहत की सांस ली।

Also Read