रिलीज ऑर्डर पर फर्जी हस्ताक्षर और मुहर के इस्तेमाल का मामला : आरोपी गिरफ्तार, कोर्ट ने 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा

UPT | सांकेतिक फोटो।

Sep 15, 2024 00:38

बलिया दीवानी न्यायालय परिसर में फर्जीवाड़ा करने वाले जालसाजों का धीरे-धीरे भंडा फूटना आरम्भ हो गया है। ऐसा ही मामला शुक्रवार को देखने को मिला, जहां कोतवाली थाना क्षेत्र के उमरगंज निवासी दीपांशु गुप्ता पुत्र मुन्ना गुप्ता को सीजेएम पराग यादव की अदालत ने न्यायिक अभिरक्षा में चौदह दिनों के रिमांड पर पूछताछ करने के उपरांत जिला जेल भेजने का आदेश पारित किया।

Ballia News : दीवानी न्यायालय परिसर में फर्जीवाड़े के मामलों का धीरे-धीरे पर्दाफाश हो रहा है। हाल ही में कोतवाली थाना क्षेत्र के उमरगंज निवासी दीपांशु गुप्ता, पुत्र मुन्ना गुप्ता, को अवैध गतिविधियों के आरोप में गिरफ्तार किया गया। शुक्रवार को आरोपी को सीजेएम पराग यादव की अदालत में पेश किया गया, जहां अदालत ने उसे 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेजने का आदेश दिया। यह मामला सहतवार थाने से जुड़े अवैध शराब के फर्जीवाड़े से संबंधित है।

उच्च न्यायालय में पहले भी हो चुका है फर्जीवाड़ा
कुछ माह पहले उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल के फर्जी हस्ताक्षर कर नियुक्तियों में धोखाधड़ी का एक बड़ा मामला सामने आया था। इसमें कई लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है और मामला अभी पूरी तरह से शांत भी नहीं हुआ था कि एक और बड़ा फर्जीवाड़ा उजागर हो गया। इस नए मामले ने न्यायालय में सुरक्षा और प्रक्रियाओं पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

ऐसे हुआ फर्जीवाड़ा 
अभियोजन के मुताबिक, न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम के लिपिक द्वारा थाने में दी गई तहरीर में बताया गया कि 23 अगस्त 2024 को अपराध संख्या 22/2024, सरकार बनाम अभिषेक सिंह, और अपराध संख्या 25/2024, सरकार बनाम मिथिलेश के तहत जारी रिहाई आदेश पर फर्जी हस्ताक्षर और मोहर का इस्तेमाल किया गया था। यह आदेश सहतवार थाने से संबंधित था और फर्जी तरीके से तैयार किया गया था। लिपिक ने स्पष्ट किया कि यह आदेश उनके कार्यालय से जारी नहीं हुआ था।

पुलिस की कार्रवाई 
फर्जीवाड़े का मामला संज्ञान में आते ही कोतवाली पुलिस ने जांच शुरू की और 11 सितंबर 2024 को दीपांशु गुप्ता के खिलाफ धोखाधड़ी और फर्जीवाड़े का मामला दर्ज किया। आरोपी की गिरफ्तारी के बाद, उसे न्यायिक हिरासत में भेजा गया और अब पुलिस इस मामले से जुड़े अन्य लोगों की तलाश कर रही है। यह मामला इस बात का प्रमाण है कि कानूनी व्यवस्था में किस प्रकार की सुरक्षा चूक हो सकती है, और इसके खिलाफ कठोर कार्रवाई की आवश्यकता है। 

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