महराजगंज के युवा किसान की सफलता : तीन एकड़ वेटलैंड पर रोपित किए बांस के पौधे, प्रति वर्ष होगी 10 लाख रुपये की आय

UPT | मिश्रौलिया में बांस की खेत में पौधे की देखभाल करते हृदय नारायण दुबे

Jul 07, 2024 12:45

महराजगंज के एक युवक ने तीन एकड़ भूमि पर बांस की खेती कर आर्थिक संबलता की नींव रख दी है। बांस के पौधों के विकास को देख युवकको विश्वास है कि वह इसकी खेती से प्रति वर्ष 10 लाख रुपये कमाएंगे।

 Maharajganj News : महराजगंज जिले के निचलौल ब्लॉक में स्थित बहुआर मिश्रौलिया के गुलरभार टोला के रहने वाले हृदय नरायण दुबे ने तीन एकड़ भूमि पर बांस की खेती कर आर्थिक संबलता की नींव रख दी है। बांस के पौधों के विकास को देख हृदय नारायण को विश्वास है कि वह बांस की खेती से प्रति वर्ष 10 लाख रुपये कमाएंगे। 

हृदय नारायण दुबे ने वर्ष 2008 में दीन दयाल उपाध्याय विश्वविद्यालय, गोरखपुर से मास्टर इन कंप्यूटर एप्लीकेशंस (एमसीए) की डिग्री प्राप्त की। शिक्षा पूरी करने के बाद, वे नई दिल्ली की एक निजी कंपनी में सॉफ्टवेयर इंजीनियर के रूप में कार्यरत हो गए। लेकिन उनके मन में हमेशा कुछ अलग करने की इच्छा थी हृदय नारायण ने इंटरनेट के माध्यम से कृषि क्षेत्र में नए अवसरों का अध्ययन किया। उन्होंने पाया कि बांस की खेती न केवल पर्यावरण के अनुकूल है, बल्कि आर्थिक दृष्टि से भी लाभदायक है। यह खोज उनके जीवन का मोड़ साबित हुई। उन्होंने अपनी सुरक्षित नौकरी छोड़ दी और तीन साल पहले अपने गांव लौटकर बांस की खेती शुरू कर दी।

वेटलैंड में लगाए हैं भीमा बांस के पौधे 
हृदय नारायण की पैतृक भूमि छोटी गंडक नदी से मात्र 200 मीटर की दूरी पर स्थित है। यह क्षेत्र वेटलैंड होने के कारण पारंपरिक फसलों जैसे धान और गेहूं के लिए उपयुक्त नहीं था। लेकिन हृदय नारायण ने इस चुनौती को अवसर में बदल दिया। उन्होंने 2020 में इस भूमि पर भीमा बांस (बंबूसा बाल्कुआ) प्रजाति के तीन हजार पौधे लगाए।

आज, मात्र तीन वर्षों में, उनके बांस के खेत में अद्भुत विकास दिखाई दे रहा है। प्रत्येक मूल पौधे से 15 से 20 नए बांस के पौधे निकल आए हैं, जो अब एक सुंदर बांस की कोठी का रूप लेने लगे हैं। हृदय नारायण का अनुमान है कि 2025 तक ये बांस कटाई के लिए तैयार हो जाएंगे और प्रति वर्ष लगभग 10 लाख रुपये की आय उत्पन्न करेंगे।

बांस का उपयोग 
बांस की बहुआयामी उपयोगिता इस फसल को और भी आकर्षक बनाती है। इसका प्रयोग न केवल घरेलू सामान बनाने में होता है, बल्कि यह लुग्दी, कागज और फर्नीचर उद्योग में भी महत्वपूर्ण कच्चा माल है। इसके अलावा, बांस को 'ग्रीन गैसोलीन' भी कहा जाता है, क्योंकि इससे एथेनॉल का उत्पादन किया जा सकता है, जो एक महत्वपूर्ण जैव ईंधन है।

सरकार से है सब्सिडी की आस 
हृदय नारायण अपने प्रयासों को और आगे बढ़ाने के लिए सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने की योजना बना रहे हैं। उन्होंने बताया कि नेशनल बांबू मिशन के तहत सरकार बांस की खेती को प्रोत्साहित करती है और किसानों को सब्सिडी प्रदान करती है। वे जल्द ही अपनी खेती के लागत और उत्पादन के आंकड़ों के साथ सरकार से सब्सिडी के लिए आवेदन करने की तैयारी कर रहे हैं।

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