कानपुर से गुड न्यूज : आईआईटी के शोधकर्ताओं का कमाल, कोलेस्ट्रॉल कम करने की नई दवा का रास्ता खोजा

UPT | आईआईटी कानपुर के शोधकर्ता।

Mar 13, 2024 15:48

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर के शोधकर्ताओं ने कोलेस्ट्रॉल कम करने वाली दवाएं आणविक स्तर पर कैसे काम करती हैं, इसको लेकर शोध किया है। जैविक विज्ञान और बायोइंजीनियरिंग विभाग ...

Kanpur News : भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर के शोधकर्ताओं ने कोलेस्ट्रॉल कम करने वाली दवाएं आणविक स्तर पर कैसे काम करती हैं, इसको लेकर शोध किया है। जैविक विज्ञान और बायोइंजीनियरिंग विभाग के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए एक महत्वपूर्ण अध्ययन से यह समझने में नई अंतर्दृष्टि प्राप्त हुई है कि नियासिन जैसी कोलेस्ट्रॉल कम करने वाली दवाएं आणविक स्तर पर कैसे काम करती हैं। अत्याधुनिक क्रायोजेनिक-इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोपी (क्रायो-ईएम) तकनीक का उपयोग करते हुए, प्रोफेसर अरुण के. शुक्ला के नेतृत्व वाली टीम नियासिन और अन्य संबंधित दवाओं द्वारा सक्रिय प्रमुख लक्ष्य रिसेप्टर अणु को दृष्टिगोचर करने में सफल हुई। यह शोध, जिसमें कम दुष्प्रभावों के साथ कोलेस्ट्रॉल कम करने के लिए नई दवाओं के विकास की संभावना है।

मरीज इसलिए बंद कर देते हैं इलाज
आईआईटी कानपुर के जैविक विज्ञान और बायोइंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर अरुण के. शुक्ला ने कहा नियासिन आमतौर पर खराब कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड्स को कम करने और अच्छे कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाने के लिए निर्धारित दवा है। हालांकि, कई रोगियों में, दवा के दुष्प्रभाव होते हैं, जैसे त्वचा की लालिमा और खुजली, जिसे फ्लशिंग प्रतिक्रिया कहा जाता है। इससे मरीज़ अपना इलाज बंद कर देते हैं और उनके कोलेस्ट्रॉल स्तर पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।

नई दवा विकसित करने में मददगार
हाइड्रोक्सीकार्बोक्सिलिक एसिड रिसेप्टर 2 (HCA2), जिसे नियासिन रिसेप्टर या GPR109A के रूप में भी जाना जाता है, मानव शरीर में एक प्रकार का रिसेप्टर है, जो वसा से संबंधित और धमनी-अवरुद्ध प्रक्रियाओं को रोकने में मदद करता है। जब यह सक्रिय होता है, तो यह रक्त वाहिकाओं को भी चौड़ा कर सकता है, यही कारण है कि नियासिन जैसी कुछ कोलेस्ट्रॉल कम करने वाली दवाओं के कारण कुछ रोगियों को लाल त्वचा की प्रतिक्रिया का अनुभव होता है। प्रोफेसर शुक्ला ने कहा कि आणविक स्तर पर नियासिन के साथ रिसेप्टर अणु GPR109A के तालमेल का विजुलाइजेशन नई दवाओं के निर्माण के लिए आधार तैयार करता है, जो अवांछनीय प्रतिक्रियाओं को कम करते हुए प्रभावकारिता बनाए रखती हैं। इस अध्ययन के नतीजे कोलेस्ट्रॉल के लिए संबंधित दवाएं और मल्टीपल स्केलेरोसिस जैसी अन्य स्थितियों के लिए दवाएं विकसित करने में भी मदद करेंगे।

यह महत्वपूर्ण सफलता
आईआईटी कानपुर के निदेशक प्रो. एस. गणेश ने कहा, 'यह एक महत्वपूर्ण सफलता है क्योंकि यह दवा-रिसेप्टर इंटरैक्शन के बारे में हमारी समझ को गहरा करती है और बेहतर चिकित्सीय एजेंटों के डिजाइन के लिए नए रास्ते खोलती है। यह उपलब्धि अनुसंधान में नवाचार और उत्कृष्टता के माध्यम से वास्तविक दुनिया की स्वास्थ्य चुनौतियों का समाधान करने के प्रति हमारे समर्पण का उदाहरण देती है। नेचर कम्युनिकेशंस में प्रकाशन के लिए इस शोध की स्वीकृति आईआईटी कानपुर में अनुसंधान एवं विकास की गुणवत्ता और उच्च मानकों का प्रमाण है।'

ये हैं टीम मेंबर्स
विज्ञान और इंजीनियरिंग अनुसंधान बोर्ड (एसईआरबी) द्वारा समर्थित और आईआईटी कानपुर में प्रोफेसर अरुण के शुक्ला के नेतृत्व में इस अध्ययन में डॉ. मनीष यादव, परिश्मिता शर्मा, जगन्नाथ महाराणा, मणिसंकर गांगुली, सुधा मिश्रा, अन्नू दलाल, नशराह जैदी, सायंतन साहा, गार्गी महाजन, विनय सिंह, सलोनी शर्मा, और डॉ. रामानुज बनर्जी शामिल थे।

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