CP Pathak Murder Case : एडीएम वित्त हत्याकांड की दूसरी फाइल खुली, गवाह के बयान दर्ज, 23 साल पहले दंगे में हुई थी हत्या

फ़ाइल फोटो | सीपी पाठक

Dec 04, 2024 18:57

कानपुर में 23 साल पहले हुई इस घटना का संदर्भ 1991 के नई सड़क दंगे से जुड़ा है, जिसमें तत्कालीन एडीएम (वित्त) सीपी पाठक की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। यह घटना दंगों के दौरान कानून-व्यवस्था को नियंत्रित करने की कोशिश करते समय हुई थी।

Short Highlights
  • नई सड़क में 16 मार्च 2001 को दंगा भड़क गया था, नियंत्रण के दौरान एडीएम वित्त की हत्या कर दी गई थी
  • हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने चार आरोपियों को बरी कर दिया था
  • दो आरोपियों की फाइल खुली, तत्कालीन थाना प्रभारी के बयान दर्ज
Kanpur News : यूपी का कानपुर दंगाइयों का गढ़ रहा है। कानपुर में 23 साल पहले नई सड़क पर दंगा भड़क गया था। दंगे को नियंत्रित करने के लिए तत्कालीन एडीएम वित्त सीपी पाठक पहुंचे थे। इस दौरान उनकी गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। सीपी पाठक हत्याकांड से संबंधित मुक़दमें की दूसरी फाइल खुल गई है। अपर जिलाजज अष्टम की अदालत में मंगलवार को मुक़दमें के वादी तत्कालीन मूलगंज थाना प्रभारी राजेंद्र धर द्विवेदी के बयान दर्ज किए गए।

कानपुर में नई सड़क पर 16 मार्च 2001 को अचानक दंगा भड़क गया था। दंगे को नियंत्रित करने के लिए तत्कालीन एडीएम वित्त सीपी पाठक मौके पर पहुंचे थे। इस दौरान दंगाइयों ने किसी बिल्डिंग से उनपर निशाना साधा था। जिसमें सीपी पाठक शहीद हो गए थे। दंगाइयों ने कई वाहनों को आग के हवाले कर दिया था। एडीएम की हत्या के मामले में पुलिस ने वासिफ हैदर, मुमताज़, हाजी अतीक, सफात रसूल, फाकिर, रेहान को आरोपी बनाया था।

दो आरोपियों की चार्जशीट 09 साल बाद दाखिल हुई थी 
पुलिस ने इस मामले में वासिफ हैदर, मुमताज, हाजी अतीक, सफात रसूल को गिरफ्तार कर चार्जशीट कोर्ट में दाखिल कर दी थी। इनके मुक़दमें का फैसला सेशन कोर्ट ने वर्ष 2004 में सुना दिया था। लेकिन पुलिस फाकिर और रेहान को गिरफ्तार नहीं कर सकी थी। घटना के 09 साल बाद पुलिस ने दोनों के खिलाफ अलग से चार्जशीट दाखिल की थी। इसके बाद वर्ष 2012 में मुकदमा सेशन कोर्ट पहुंचा था।

सुप्रीम कोर्ट ने दोषमुक्त कर दिया था
अधिवक्ता शकील अहमद बुंदेला के मुताबिक हाईकोर्ट ने 2009 में सेशन कोर्ट के आदेश को पलट दिया था। इसके अनुसार सेशन कोर्ट से 2004 में वासिफ, मुमताज, अतीक व सफात को सुनाई गई सजा से दोषमुक्त कर दिया था। इसपर उत्तर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी। लेकिन 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने भी हाईकोर्ट के फैसले पर मुहर लगाते चारों आरोपियों को दोषमुक्त करार दिया था।

फाइल सेशन कोर्ट पहुंची 
मुख्य पत्रावली हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में होने की वजह से फाकिर और रेहान के मुक़दमें की फाइल लंबित चल रही थीं। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद फाइल वापस सेशन कोर्ट आ गई। इसके बाद फाकिर और रेहान के मुक़दमें की सुनवाई शुरू होनी थी। गवाह को समन भेजे गए थे। जबकि आरोपियों की हाईकोर्ट से जमानत मिल चुकी है। अगली तारीख 12 दिसंबर की नियति की गई है।

Also Read