हरदोई में मिड-डे मील योजना में बड़ी लापरवाही : 12 दिन तक बच्चों को नहीं मिला भोजन, प्रधानाध्यापिका ने दी थी कई बार सूचना

UPT | अध्ययनरत छात्र छात्राएं

Oct 21, 2024 01:11

उत्तर प्रदेश के हरदोई के ब्लॉक भरावन स्थित उच्च प्राथमिक स्कूल छावन में मिड डे मील की व्यवस्था में भारी लापरवाही देखने को मिली है। अक्टूबर माह में बच्चों को 12 दिनों तक भोजन नहीं मिला, जिससे छात्रों को बिना मिड डे मील के भूखा रहना पड़ा। प्रधानाध्यापिका शैलजा ने कई बार खंड शिक्षा अधिकारी (बीईओ) को लिखित में सूचित किया, लेकिन उनकी शिकायतों पर कोई ध्यान नहीं दिया गया....

Short Highlights
  • हरदोई में मिड-डे मील परोसने में घोर लापरवाही का मामला प्रकाश में आया
  • विद्यालय में मिड-डे मील के कुप्रबंधन से अधिकारी अनभिज्ञ
  • बीईओ बृजेश त्रिपाठी का सीयूजी फोन बंद
Hardoi News : उत्तर प्रदेश के हरदोई के ब्लॉक भरावन स्थित उच्च प्राथमिक विद्यालय छावन में मिड-डे मील की व्यवस्था में बड़ी लापरवाही सामने आई है। अक्टूबर माह में बच्चों को 12 दिन तक भोजन नहीं मिला, जिसके चलते छात्रों को मिड-डे मील के बिना भूखा रहना पड़ा। प्रधानाध्यापिका शैलजा ने कई बार खंड शिक्षा अधिकारी (बीईओ) को लिखित रूप से अवगत कराया, लेकिन उनकी शिकायतों पर कोई ध्यान नहीं दिया गया।

18 दिनों में से सिर्फ 6 दिन ही बच्चों को खाना मिला
स्कूल में मिड डे मील योजना की बदइंतजामी के चलते यह मामला गंभीर हो गया है। जानकारी के मुताबिक 18 दिनों में से सिर्फ 6 दिन ही बच्चों को खाना मिला, जबकि 12 दिन मिड डे मील नहीं बना। प्रधानाध्यापिका ने बताया कि मिड डे मील के लिए सामग्री ग्राम प्रधान खुद भेजते हैं, लेकिन जब सामग्री नहीं भेजी गई तो खाना नहीं बन पाया।


BEO बृजेश त्रिपाठी का CUG फोन स्विच ऑफ 
इस स्थिति के बारे में बीईओ ब्रजेश त्रिपाठी से संपर्क करने की कोशिश की गई, लेकिन उनके सीयूजी नंबर पर फोन स्विच ऑफ मिला और पर्सनल नंबर पर भी उन्होंने कॉल रिसीव नहीं किया। इससे विभाग की अनदेखी और लापरवाही साफ झलकती है। शिक्षा विभाग भरावन में पहले भी बर्तन खरीदारी और अन्य घोटालों के मामले सामने आए हैं और अब मिड डे मील में भी यही स्थिति देखने को मिल रही है।

लापरवाही से बच्चों के पोषण पर पड़ सकता असर 
सरकार द्वारा विद्यालयों में बच्चों के पोषण और बौद्धिक विकास के लिए मिड डे मील की व्यवस्था की जाती है, लेकिन इस प्रकार की लापरवाही बच्चों के भविष्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है। मामले की जांच और उचित कार्रवाई की मांग की जा रही है।

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