दस्तावेजों में अल्पसंख्यक बनकर एमबीबीएस सीट की हासिल : अभ्यर्थियों के बौद्ध-जैन बनने का खुलासा, जांच शुरू

UPT | mbbs admission fraud

Sep 15, 2024 10:40

इस मामले को लेकर महानिदेशक चिकित्सा शिक्षा (डीजीएमई) किंजल सिंह ने कहा कि गृह विभाग इस मामले की गहन जांच करेगा। सरकार के इस मामले में कड़ा रुख अपनाने की बात कही जा रही है। फिलहाल 20 अभ्यर्थियों के खिलाफ जांच शुरू की जा चुकी है।


Lucknow News : उत्तर प्रदेश में मेडिकल शिक्षा से जुड़ा एक बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आने के बाद शासन में हड़कंप की स्थिति है। इसमें अभ्यर्थियों की धोखाधड़ी का खुलासा होने के बाद अधिकारियों के भी होश उड़ गए। अभ्यर्थियों ने एमबीबीएस में दाखिले के लिए प्रस्तुत किए गए दस्तावेजों में धोखाधड़ी की। 

दोषी अभ्यर्थियों पर एक्शन लेने की तैयारी
कई उम्मीदवारों ने धर्म परिवर्तन कानून का उल्लंघन करते हुए जाली प्रमाण पत्र जमा किए। अब राज्य के अल्पसंख्यक कल्याण और चिकित्सा विभागों ने सभी संबंधित कार्यालयों को सतर्क कर दिया है। वहीं दोषी उम्मीदवारों पर एक्शन लेने की तैयारी शुरू कर दी गई है। इसके तहत चिकित्सा शिक्षा और प्रशिक्षण निदेशालय ने अपने कर्मचारियों को सभी प्रस्तुत प्रमाण पत्रों की बारीकी से जांच करने का निर्देश दिया है, जिससे फर्जीवाड़ा करने वाले अभ्यर्थियों की वास्तविक संख्या सामने आ सके।

दाखिला लेेने को दस्तावेजों में बन गए बौद्ध और जैन 
जानकारी में सामने आया है कि मेडिकल कॉलेजों में दाखिले के लिए अल्पसंख्यक कोटे का फायदा लेने के लिए जमकर फर्जीवाड़ा किया गया। कई हिंदू छात्र बौद्ध और जैन बन गए। प्रदेश के छह अल्पसंख्यक कॉलेजों में एमबीबीएस की 475 और एमडीएस की 150 सीटें हैं। इन कॉलेजों में दाखिले के लिए सीटें आरक्षित करने के लिए छात्रों को अल्पसंख्यक का प्रमाण पत्र देना होता है। इनमें मुस्लिम, बौद्ध, जैन, पारसी और इसाई आते हैं। नियमों के मुताबिक उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिशेध अधिनियम 2021 लागू होने के बाद धर्म परिवर्तन करने से 60 दिन पहले आवेदन करना होता है। आवेदन के 30 दिन तक आपत्ति ली जाती है। इसके बाद ही प्रमाण पत्र जारी किया जाता है। फर्जीवाड़ा करने वाले अभ्यर्थियों ने दस्तावेजोंं में धांधली करने के लिए हथकंडे का इस्तेमाल किया।

जिला अल्पसंख्यक अधिकारी जांच पड़ताल में जुटे
अल्पसंख्यक कल्याण विभाग ने भी अपने अधिकारियों को स्पष्ट किया है कि किसी भी धर्मांतरण प्रमाण पत्र को जारी करते समय उत्तर प्रदेश गैरकानूनी धार्मिक रूपांतरण अधिनियम 2021 (UPPUCRA-2021) का सख्ती से पालन किया जाए। विभाग के निदेशक जे रीभा के मुताबिक फर्जी प्रमाण पत्रों की जानकारी मिलते ही सभी जनपद अल्पसंख्यक अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए गए हैं कि वे किसी भी दस्तावेज की जांच में UPPUCRA-2021 के नियमों का उल्लंघन न होने दें।

सात उम्मीदवारों का प्रवेश रद्द, अन्य ने अपनी सीट छोड़ी
फिलहाल हो जानकारी सामने आई है, उसमें 20 अभ्यर्थियों के फर्जी धर्मांतरण प्रमाण पत्रों के इस्तेमाल का खुलासा हुआ है। इनके खिलाफ जांच की जा रही है। ऐसे उम्मीदवार इस साल की NEET काउंसलिंग प्रक्रिया में शामिल नहीं हो पाएंगे। काउंसलिंग समिति की आगामी बैठक में इन उम्मीदवारों के खिलाफ आगे की कार्रवाई पर फैसला लिया जाएगा। अब तक सात उम्मीदवारों का प्रवेश रद्द किया जा चुका है, जबकि अन्य सात ने स्वयं ही अपनी सीट छोड़ दी है। शेष उम्मीदवारों के दस्तावेजों को उनके संबंधित राज्यों को भेजा गया है, क्योंकि वे उत्तर प्रदेश से बाहर के हैं।

मामले की जांच गृह विभाग के हवाले, एक्शन में सरकार 
इस मामले को लेकर महानिदेशक चिकित्सा शिक्षा (डीजीएमई) किंजल सिंह ने कहा कि गृह विभाग इस मामले की गहन जांच करेगा। सरकार के इस मामले में कड़ा रुख अपनाने की बात कही जा रही है। फिलहाल 20 अभ्यर्थियों के खिलाफ जांच शुरू की जा चुकी है। साथ ही अब सभी प्रमाण पत्रों की संबंधित विभाग के अधिकारी जांच पड़ताल कर रहे हैं। जहां से प्रमाण पत्र जारी किए गए हैं। प्रवेश हो जाने के बाद भी जांच जारी रहेगी। डीजीएमई कार्यालय की ओर से जारी सर्कुलर में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि भविष्य में यदि कोई भी उम्मीदवार जांच में दोषी पाया गया, तो उसका प्रवेश निरस्त कर दिया जाएगा और उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी की जाएगी।
 

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