दो बार क्वालिटी टेस्ट में फेल कंपनी पर UPPCL मेहरबान : हवा में लगाए जा रहे चेक मीटर, आरडीएसएस योजना की सीबीआई जांच की मांग

UPT | स्मार्ट प्रीपेड मीटर

Oct 23, 2024 18:45

भारत सरकार की गाइडलाइन के अनुसार, यदि कोई मटेरियल दूसरी बार फेल होता है, तो उस वेंडर का पूरा ऑर्डर रद्द कर दिया जाता है और उसे फिर कभी प्रोजेक्ट में काम नहीं दिया जाता। लेकिन पश्चिमांचल में इस नियम की अवहेलना करते हुए कंपनी को काम सौंपा गया।

Lucknow News : भारत सरकार की महत्वाकांक्षी योजना "रिवैंप डिस्ट्रीब्यूशन सेक्टर स्कीम" (आरडीएसएस) के तहत उत्तर प्रदेश में करीब 3.45 करोड़ विद्युत उपभोक्ताओं के घरों में स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाए जा रहे हैं। इस योजना का उद्देश्य बिजली की खपत को नियंत्रित करना और वितरण प्रणाली में सुधार करना है। इसके साथ ही, सिस्टम इंप्रूवमेंट और लॉस रिडक्शन जैसे कार्य भी व्यापक पैमाने पर किए जा रहे हैं। लेकिन, यूपी में  आरडीएसएस योजना लगातार सवालों के घेरे में है।

अनियमितताओं पर उठे सवाल
आरडीएसएस योजना में जारी कामों में अनियमितता और गड़बड़ियों के कारण उपभोक्ता परिषद ने चिंता व्यक्त की है। परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि योजना के अंतर्गत चल रही गतिविधियों में भ्रष्टाचार और गोलमाल साफ तौर पर दिखाई दे रहा है। ऐसे में इस योजना की सीबीआई जांच की मांग अब जरूरी हो गई है। प्रदेश और केंद्र सरकार से परिषद ने तत्काल इस योजना की जांच कराने का अनुरोध किया है।



पश्चिमांचल में घटिया क्वालिटी का खुलासा
वर्मा ने बताया कि हाल ही में पश्चिमांचल और मध्यांचल के क्षेत्रों में एरियल बच कंडक्टर की घटिया क्वालिटी का मामला सामने आया था। इसके बाद, पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम में एक और गंभीर मामला सामने आया है, जिसमें आरडीएसएस की स्टैंडर्ड बिल्डिंग गाइडलाइन का उल्लंघन करते हुए एक बड़ी कंपनी को अनुचित तरीके से लाभ पहुंचाया गया। यह कंपनी देश के विभिन्न हिस्सों में वितरण कार्य देखती है। इसकी फर्म का 11 केवी एचटी केबल दो बार परीक्षण में फेल हो चुका है, बावजूद इसके उसे तीसरी बार पास कर दिया गया।

गाइडलाइन की खुले तौर पर अनदेखी
भारत सरकार की गाइडलाइन के अनुसार, यदि कोई मटेरियल दूसरी बार फेल होता है, तो उस वेंडर का पूरा ऑर्डर रद्द कर दिया जाता है और उसे फिर कभी प्रोजेक्ट में काम नहीं दिया जाता। लेकिन पश्चिमांचल में इस नियम की अवहेलना करते हुए कंपनी को काम सौंपा गया, जिससे गड़बड़ी के संकेत मिलते हैं।

उपभोक्ताओं की शिकायतें: चेक मीटर की अनदेखी
उपभोक्ता परिषद ने आरडीएसएस योजना के तहत लगाए जा रहे स्मार्ट प्रीपेड मीटर के बारे में बुधवार को जानकारी एकत्र की। इस दौरान परिषद ने पाया कि भारत सरकार की गाइडलाइन के अनुसार, 5 प्रतिशत उपभोक्ताओं के पुराने मीटर को चेक मीटर के रूप में लगाकर रखना आवश्यक है। लेकिन, उत्तर प्रदेश में ज्यादातर जगहों पर इस गाइडलाइन का पालन नहीं हो रहा है और सभी उपभोक्ताओं के घर केवल स्मार्ट मीटर लगाए जा रहे हैं।

लखनऊ में चेक मीटर की सच्चाई
परिषद ने लखनऊ में जाकर स्थिति का निरीक्षण किया। टीम ने पाया कि 5 प्रतिशत उपभोक्ताओं के पुराने मीटर को चेक मीटर के रूप में रखने का कोई प्रावधान लागू नहीं किया गया है। जब टीम से इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि उन्हें इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई थी। वे केवल पुराने मीटर हटाकर नए स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने का काम कर रहे हैं।

निदेशक कमर्शियल और एमडी को दी गई जानकारी
इस गंभीर मामले पर उपभोक्ता परिषद ने तुरंत मध्यांचल विद्युत वितरण निगम के निदेशक कमर्शियल योगेश कुमार और पावर कॉरपोरेशन के प्रबंध निदेशक पंकज कुमार को जानकारी दी। परिषद ने बताया कि यह भारत सरकार की गाइडलाइन के खिलाफ है। प्रबंध निदेशक पंकज कुमार ने निर्देश दिया कि गाइडलाइन का पालन सुनिश्चित किया जाए और इस पर तुरंत जवाब तलब किया जाएगा कि अब तक इसका पालन क्यों नहीं किया गया।

Also Read