योगी आदित्यनाथ को हटाने की थी तैयारी? : पत्रकार की किताब से खड़ा हुआ विवाद, 2022 चुनाव को लेकर चौंकाने वाले खुलासे

UPT | योगी आदित्यनाथ को हटाने की थी तैयारी?

Jun 16, 2024 20:34

2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले योगी आदित्यनाथ को सीएम पद से हटाने की पूरी तैयारी की गई थी। ये दावा एक वरिष्ठ पत्रकार ने अपनी किताब में किया है।

Short Highlights
  • योगी आदित्यनाथ को हटाने की थी तैयारी
  • पत्रकार की किताब से खड़ा हुआ विवाद
  • 2022 चुनाव को लेकर चौंकाने वाले खुलासे
New Delhi : 2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले योगी आदित्यनाथ को सीएम पद से हटाने की पूरी तैयारी की गई थी। ये दावा एक वरिष्ठ पत्रकार ने अपनी किताब में किया है। इतना ही नहीं, किताब में सीएम योगी के केशव प्रसाद मौर्य के साथ रिश्तों में आई खटास और भाजपा सरकार में ब्यूरोक्रेसी के दबदबे का भी जिक्र किया गया है।

जानिए क्या है पूरा मामला
इंडियन एक्सप्रेस के वरिष्ठ पत्रकार श्यामलाल यादव ने अपनी हालिया पुस्तक 'At The Heart Of Power: The Chief Ministers of Uttar Pradesh' में एक खुलासा किया है। उनके मुताबिक, 2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री पद से हटाने की तैयारियां चल रही थीं। यादव ने लिखा है कि एक समय तो यह तय हो गया था कि योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री पद से हटा दिया जाएगा। हालांकि, बाद में भाजपा नेतृत्व को एहसास हुआ कि उनकी हटाने से पार्टी को नुकसान हो सकता है। इसलिए योगी को बरकरार रखा गया।


केशव प्रसाद मौर्य का भी जिक्र
पुस्तक में योगी को हटाने के कारणों का खुलासा नहीं किया गया है। लेकिन इशारा है कि उनके और तत्कालीन उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के बीच मतभेद बढ़ते जा रहे थे। यादव ने अपनी किताब में लिखा है- 'आरएसएस के नेतृत्व के हस्तक्षेप के बाद, 22 जून 2021 को योगी आदित्यनाथ अचानक केशव प्रसाद मौर्य से मिलने गए थे। इसे दोनों के बीच संबंधों को सुधारने की कोशिश के रूप में देखा गया। केशव प्रसाद मौर्य को अप्रैल 2016 में यूपी बीजेपी का प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया गया था। और मार्च 2017 में बीजेपी की जीत के बाद वे भी मुख्यमंत्री पद के दावेदारों में थे। हालांकि, अंत में योगी आदित्यनाथ को ही मुख्यमंत्री बनाया गया। तब से ही दोनों के बीच टकराव की अफवाहें फैली रहती हैं।'

कई और गंभीर आरोप
किताब में उल्लेख है कि जब भी भाजपा सत्ता में आती है, पार्टी कार्यकर्ताओं की एक आम शिकायत होती है कि ब्यूरोक्रेसी का प्रभाव बढ़ जाता है और चुने हुए प्रतिनिधियों का महत्व कम हो जाता है। योगी सरकार में भी ऐसा ही हुआ। इसकी एक बड़ी घटना 17 दिसंबर 2019 को देखने को मिली, जब लगभग 100 भाजपा विधायकों ने अपनी सरकार के खिलाफ धरना दिया। इसके अलावा, योगी पर ब्राह्मणविरोधी होने का भी आरोप लगा। कुछ विधायकों ने सवाल उठाया कि योगी सरकार में कितने ब्राह्मणों के एनकाउंटर हुए। जितिन प्रसाद ने तो 'ब्राह्मण चेतना परिषद' नाम का संगठन शुरू कर दिया की। हालांकि, बाद में उन्होंने भाजपा जॉइन कर ली और वर्तमान में वह पीलीभीत से सांसद हैं।

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