लोकसभा चुनाव : देश के पहले पीएम नेहरू से लेकर मोदी तक, जानें किस प्रधानमंत्री ने लड़ा कौन सी सीट से चुनाव?

UPT | लोकसभा चुनाव

May 15, 2024 18:11

पीएम मोदी ने 2014 में देश के प्रधानमंत्री बने थे। वह 2014 और 2019 से उत्तर प्रदेश की वाराणसी सीट का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। वह वाराणसी से चुन कर लोकसभा में पहुंचे हैं...

New Delhi : कहते है देश की राजनीति का रास्ता उत्तर प्रदेश से होकर गुजरता है। और ये सच भी है। देश में कुल 543 लोकसभा सीटों में से 80 सीटें तो यूपी में ही हैं। ये उत्तर प्रदेश ही है जहां आधी रात को एक मुख्यमंत्री को शपथ दिलाई गई है जो सिर्फ़ एक दिन सत्ता में रहा। भारत में गठबंधन राजनीति का पहला प्रयोग भी उत्तर प्रदेश की ज़मीन पर किया गया। इससे अलग 14 पुरुषों और एक महिला ने प्रधानमंत्री में से उत्तर प्रदेश से आते हैं। अगर आप इसमें नरेंद्र मोदी को भी जोड़ दें तो ये संख्या 9 हो जाती है। इस सूची में नरेंद्र मोदी को भी शामिल करने के पीछे तर्क ये है कि वह वाराणसी से चुन कर लोकसभा में पहुंचे हैं और अब 2024 के लोकसभा चुनाव में तीसरी बार मोदी ने वाराणसी से नामांकन दाखिल कर दिया है। 

फूलपुर से चुनकर लोकसभा पहुंचे थे नेहरू
आजादी के बाद पहली बार 1952 में लोकसभा चुनाव हुए थे। जिसमें देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने इलाहाबाद के फूलपुर संसदीय सीट से चुनाव लड़ा था। इसके बाद से लगातार 1952, 1957 और 1962 में उन्होंने फूलपुर से जीत दर्ज की थी। नेहरू के धुरविरोधी रहे समाजवादी नेता डॉ राम मनोहर लोहिया ने 1962 में फूलपुर लोकसभा सीट से उनके सामने चुनावी मैदान में उतरे, हालांकि वो जीत नहीं सके।

इलाहाबाद सीट से लाल बहादुर शास्त्री लड़े चुनाव
देश के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री 1964 से 1966 तक देश के पीएम रहे। उन्होंने जवाहरलाल नेहरू के बाद पीएम का पद संभालने वाले यहीं व्यक्ति हैं। जय जवान, जय किसान का नारा देने वाले पूर्व पीएम लाल बहादुर शास्त्री ने इलाहाबाद लोकसभा सीट का प्रतिनिधित्व करते हुए पीएम पद के लिए चुने गए। 

इंदिरा गांधी से रायबरेली सीट से चुनी गईं
पूर्व पीएम इंदिरा गांधी देश की पहली और एकलौती महिला प्रधानमंत्री हैं। वह उत्तर प्रदेश की रायबरेली और इलाहाबाद, कर्नाटक के चिकमंगलूर और आंध्र प्रदेश की मेडक सीट से लोकसभा चुनाव लड़ चुंकी हैं। वह चौथे, पांचवें और छठे सत्र में लोकसभा की सदस्य थीं। जनवरी 1980 में वह उत्तर प्रदेश की रायबरेली और आंध्र प्रदेश की मेडक सीट से लोकसभा चुनाव जीतीं। 

मोरारजी देसाई ने सूरत सीट को बनाया कर्मभूमि
इमरजेंसी के दौरान गिरफ्तार किए गए मारोराजी देसाई ने मार्च 1977 में हुए आम चुनाव में जनता पार्टी की जबर्दस्त जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वह खुद भी गुजरात के सूरत निर्वाचन क्षेत्र से लोकसभा के लिए चुने गए थे। बाद में उन्हें सर्वसम्मति से संसद में जनता पार्टी के नेता के रूप में चुना गया और 24 मार्च 1977 को उन्होंने भारत के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली।

बागपत सीट से जीते चरण सिंह
हरियाणा की सीमा से सटी और दिल्ली से लेकर गाजियाबाद-मेरठ तक फैली बागपत लोकसभा सीट किसी जमाने में चौधरी चरण सिंह परिवार की सीट मानी जाती थी। 1977 में पहली बार जनता पार्टी के टिकट पर चौधरी चरण सिंह ने यहां से जीत दर्ज की। उन्होंने यहां से लगातार तीन बार जीत हासिल की। चौधरी चरण सिंह 28 जुलाई 1979 से 14 जनवरी 1980 तक भारत के प्रधानमंत्री बने। वह महज 170 दिन ही इस पद पर रहे। उन्होंने जिस वक्त पीएम का पदभार संभाला उस समय वह उत्तर प्रदेश की बागपत सीट का प्रतिनिधित्व कर रहे थे

राजीव गांधी अमेठी से चुने गए
1980 में छोटे भाई संजय की मृत्यु के बाद, गांधी ने अपनी मां के कहने पर राजनीति में प्रवेश किया। अगले वर्ष उन्होंने अपने भाई की संसदीय सीट अमेठी से जीत हासिल की और भारत की संसद के निचले सदन -लोकसभा के सदस्य बन गए। 31 अक्टूबर 1984 को प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद राजीव गांधी अमेठी से चुनाव लड़े और न सिर्फ सांसद पहुंचे, बल्कि देश के प्रधानमंत्री भी बने।

इलाहाबाद सीट पर चुने गए वीपी सिंह
बता दें कि 1989 में विश्वनाथ प्रताप सिंह देश के प्रधानमंत्री बने। वीपी सिंह कभी राजीव गांधी की सरकार में सबसे कद्दावर नेता हुआ करते थे। वह राजीव कैबिनेट में रक्षा और वित्त जैसे बड़े-बड़े मंत्रालय संभाल रहे थे। वीपी सिंह 1989 में इलाहाबाद सीट कर प्रधानमंत्री बने थे।

महाराजगंज से जीते थे चंद्रशेखर
बता दें कि 1990 में चंद्रशेखर देश के प्रधानमंत्री बने। पीएम बनने से पहले उन्होंने कभी भी किसी मंत्रालय में मंत्री का पद नहीं संभाला था। वह जिस समय प्रधानमंत्री चुने गए, उस समय चंद्रशेखर यूपी की महाराज सीट का प्रतिनिधित्व कर रहे थे।

दक्षिण भारत से आने वाले पहले पीएम
पीवी नरसिम्हा राव ने1991 से 1996 तक भारत के 9वें प्रधानमंत्री के रूप में कार्य किया। वह दक्षिण भारत से आने वाले देश के पहले पीएम थे। प्रधानमंत्री बनने से पहले, उन्होंने आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया. वह 1991 में आंध्र प्रदेश के नांदयाल सीट से चुनाव जीते थे।

1999 में अटल बिहारी बने पीएम
पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी ने 1996 और 1999 में देश की कमान संभाली। 1996 में बहुत कम समय के लिए प्रधानमंत्री बने थेय पंडित जवाहर लाल नेहरू के बाद वह पहले ऐसे प्रधानमंत्री हैं जो लगातार दो बार प्रधानमंत्री बने। उन्होंने 1996 में लखनऊ सीट के साथ-साथ गांधीनगर से चुनाव लड़ा और दोनों ही जगहों से जीत हासिल की। इसके बाद से वाजपेयी ने लखनऊ को अपनी कर्मभूमि बना ली। 1998, 1999 और 2004 में लखनऊ से चुनाव जीता।

एच डी देवेगौड़ा ने हासन सीट से क्या प्रतिनिधित्व
30 मई 1996 को देव गौड़ा ने कर्नाटक के मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा देकर भारत के 11वें प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली थी। एच डी देवेगौड़ा देश के 11 वें प्रधानमंत्री बने। वह कर्नाटक की हासन लोकसभा सीट का प्रतिनिधित्व करते रहे हैं। 

1997 में इंद्र कुमार गुजराल बने प्रधानमंत्री
भारत के प्रधानमंत्री बनने से पहले श्री गुजराल 1 जून 1996 से विदेश मंत्री रह चुके थे और 28 जून 1996 को उन्होंने जल संसाधन मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार संभाला। 1997 में इंद्र कुमार गुजराल भारत के प्रधानमंत्री बने। 1991 में गुजराल ने बिहार के पटना से चुनाव लड़ा , लेकिन चुनाव को रद्द कर दिया गया, जिसके बाद 1992 में गुजराल को लालू प्रसाद यादव की मदद से राज्यसभा के लिए चुना गया। 

असम और राजस्थान का प्रतिनिधित्व
अल्पसंख्यक समाज के पहले पीएम मनमोहन सिंह बने। मनमोहन सिंह ने 2004 से 2014 तक भारत के13वें प्रधान मंत्री के रूप में कार्य किया। वह कभी भी लोकसभा के सदस्य नहीं रहे। हालांकि, 1991 से 2019 तक उन्होंने राज्य सभा में असम और 2019 से 2024 तक राजस्थान का प्रतिनिधित्व किया।

पीएम मोदी की वाराणसी सीट
पीएम मोदी ने 2014 में देश के प्रधानमंत्री बने थे। वह 2014 और 2019 से उत्तर प्रदेश की वाराणसी सीट का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। वह वाराणसी से चुन कर लोकसभा में पहुंचे हैं और अब 2024 के लोकसभा चुनाव में तीसरी बार मोदी ने वाराणसी से नामांकन दाखिल कर दिया है। 

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