सफलता की कहानी : परिवार के सदस्य खोए, आंखों की रोशनी चली गई, पर लगन नहीं छोड़ी, जानें फिर क्या हुआ

UPT | सफलता की कहानी

Jan 29, 2024 15:25

यूपी के फतेहपुर जिले से एक ऐसा मामला सामने आया है, जो समाज को आइना दिखाने का काम रहा है। जहां एक युवक ने परिवार के चार लोगों को अपनी आंखों के सामने मरता देखा और खुद की आंखे भी एक दुर्घटना में खो दीं। इसके बाद भी उस युवक ने हार नहीं मानी...

Fatehpur News : यूपी के फतेहपुर जिले से एक ऐसा मामला सामने आया है, जो समाज को आइना दिखाने का काम रहा है। जहां एक युवक ने परिवार के चार लोगों को अपनी आंखों के सामने मरता देखा और खुद की आंखे भी एक दुर्घटना में खो दीं। इसके बाद भी उस युवक ने हार नहीं मानी। उसने अपने हौसले से NET क्वालीफाई कर असिस्टेंट प्रोफेसर बनने की योग्यता प्राप्त की। पढ़िए इस युवक की सफलता की पूरी कहानी।

यह है पूरी कहानी
फतेहपुर जिले में स्थित कांशीराम काॅलोनी के रहने वाले कृष्ण कुमार सोनी का 35 वर्षीय बेटा सुनील एक दुर्घटना में अपनी दोनों आंखों की रोशनी खो चुका है। बताया गया कि सुनील अपने पिता कृष्ण कुमार, मां राम लक्ष्मी, बड़ा भाई अनिल कुमार, भाभी सुधा, पत्नी सरस्वती और दो बहन रूपरानी व राजरानी के साथ गढरियान पुरवा मोहल्ला में रहता था। लेकिन दुर्भाग्यवश उसके बड़े भाई अनिल कुमार की बीमारी के कारण 2018 में मौत हो गई। इसके बाद 2022 को पिता कृष्ण कुमार का निधन हो गया और फिर इसके 8 दिन बाद ही उसकी भाभी सुधा ने भी दुनिया छोड़ दी। वहीं सुनील की शादी 2012 में सरस्वती सोनी से हुई थी। उसकी पत्नी को ब्लड कैंसर था और 31 मार्च 2021 को उसका भी निधन हो गया, लेकिन सुनील ने इसके बाद भी हार नहीं मानी।

लगन से हासिल की जीत
परिवार के सदस्यों को खोने और खुद की आंखे खोने के बाद भी उसकी लगन कम नहीं हुई। जिसको देखकर समाज सेवी हिमांशु ने हाथ बढ़ाते हुए सुनील की सहायता की। इसके साथ ही हिमांशु ने सुनील को ब्रेल लिपि के माध्यम से पढ़ाई कराई और यूजीसी नेट के एग्जाम की तैयारी करने में मदद की। इसके बाद दो बार यूजीसी नेट की परीक्षा में सहायक के रूप में अपने भाई और एक व्यक्ति को लेकर गया, लेकिन सफलता नहीं मिली। वहीं तीसरी बार कानपुर में 11 दिसंबर 2023 को हुई यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन नेट की परीक्षा में सफलता हासिल की। अब उसे असिस्टेंट प्रोफेसर बनने की योग्यता का सर्टिफिकेट मिल गया है।

सुनील की कहानी उसकी जुबानी
सुनील सोनी ने बताया कि जब उसके पिता खत्म हुए तो उसे बहुत परेशानी का सामना करना पड़ा। उस समय उसकी कोई मदद करने वाला नहीं था। उसने बताया कि उसके परिवार में सिर्फ उसकी मां के सिवा और कोई नहीं बचा। सबकी मृत्यु हो गई और फिर इसके बाद हुआ ये कि 4 वर्षों से लगातार उसकी मदद हिमांशु ने की। पढ़ाई-लिखाई से लेकर कपड़े, खाना और ब्रेल राइटर दिया। जिसकी मदद से पढ़ाई की और आज के दिन वह असिस्टेंट प्रोफेसर के पद के लिए चयनित है। सुनील अपने जैसे लोगों को यह संदेश देना चाहता है, कि अगर उसकी किसी प्रकार की जॉब लग जाए तो वह उन लोगों की जिन्हें आंख से दिखाई नहीं देता या हाथ-पैर से विकलांग हो गए हैं, उनकी मदद करेगा।

इनका कहना है
सुनील को सफलता की सीढ़ी तक पहुंचाने वाले हिमांशु कुमार का कहना है कि सुनील ने नेट की परीक्षा पास की है। वह 4 साल से मेरे संपर्क में था और उसको पढ़ाई के लिए संस्था के द्वारा राशन से लेकर कपड़े तक दिए जाते थे। साथ ही उसकी पढ़ाई में मदद की गई, उसको परीक्षा दिलाने के लिए उनके वॉलिंटियर्स जाते थे। जिस तरह से मेहनत करके इन्होंने परीक्षा पास की है, उसके लिए सुनील को बधाई देते हैं। 

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