काशी विश्वनाथ मंदिर : विजयदशमी से शास्त्र सम्मत प्रसादम होगा उपलब्ध, अमूल को सौंपी गई जिम्मेदारी

UPT | काशी विश्वनाथ मंदिर

Oct 12, 2024 11:29

काशी विश्वनाथ मंदिर का प्रसादम शनिवार से भक्तों के लिए उपलब्ध हो जाएगा। विजयदशमी के शुभ अवसर पर यह प्रसादम बाबा विश्वनाथ को अर्पित किया जाएगा और इसके बाद भक्त मंदिर परिसर में...

Varanasi News : काशी विश्वनाथ मंदिर का प्रसादम शनिवार से भक्तों के लिए उपलब्ध हो जाएगा। विजयदशमी के शुभ अवसर पर यह प्रसादम बाबा विश्वनाथ को अर्पित किया जाएगा और इसके बाद भक्त मंदिर परिसर में ही लगे विशेष स्टालों से इस प्रसाद को खरीद सकेंगे। प्रसादम के निर्माण में काशी विश्वनाथ न्यास ने प्राचीन धार्मिक मान्यताओं और शास्त्रों का गहन अध्ययन करते हुए सामग्री का चयन किया है। जिसमें चावल का आटा, चीनी और बेलपत्र का विशेष चूर्ण मिलाया गया है। इस प्रक्रिया में वही बेलपत्र उपयोग किए गए हैं। जिन्हें पहले बाबा विश्वनाथ को अर्पित किया गया था और फिर उचित प्रक्रियाओं से प्रसादम में शामिल किया गया।


कड़ी शर्तों के साथ हो रहा है प्रसादम निर्माण
मंदिर प्रबंधन द्वारा प्रसादम निर्माण के लिए कई कड़े नियम निर्धारित किए गए हैं। धार्मिक परंपराओं का पालन करते हुए प्रसादम बनाने का कार्य केवल हिंदू कारीगरों को सौंपा गया है। जो कि मान्यताओं के अनुसार निर्माण से पहले स्नान करके शुद्धता सुनिश्चित करेंगे। धार्मिक नियमों के अनुपालन के लिए हर कारीगर को न सिर्फ शारीरिक शुद्धि बल्कि मानसिक शुद्धि का भी पालन करना अनिवार्य है। यह समय भी दिलचस्प है क्योंकि तिरुपति बालाजी मंदिर के प्रसादम में मिलावट की जांच चल रही है। जिससे यह कदम और भी महत्वपूर्ण हो जाता है।

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दस महीने की तैयारी के बाद प्रसादम का निर्माण हुआ शुरू
करीब दस महीने पहले श्री काशी विश्वनाथ न्यास ने अपना प्रसादम बनाने का ऐलान किया था। इसके बाद विद्वानों और शास्त्रज्ञों की टीम ने पुराणों का अध्ययन कर चावल के आटे से प्रसादम बनाने का फैसला किया। विद्वानों के अनुसार चावल का जिक्र भगवान कृष्ण और सुदामा के प्रसंग में भी मिलता है, जो भारतीय संस्कृति और शास्त्रों में धान की अहमियत को दर्शाता है। इसी महत्व के आधार पर प्रसादम में चावल का आटा और बाबा को अर्पित बेलपत्र का चूर्ण मिलाया गया।

अमूल को मिली प्रसादम निर्माण की जिम्मेदारी
प्रसादम का निर्माण प्रतिष्ठित कंपनी अमूल को सौंपा गया है। अमूल ने मंदिर प्रबंधन की सभी शर्तों और आवश्यक धार्मिक मान्यताओं का पालन करते हुए प्रसादम का निर्माण किया है। दस दिन की अवधि के लिए यह प्रसादम बनाकर तैयार कर दिया गया है। जिसे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रमाणीकरण संस्था द्वारा प्रमाणित भी किया गया है। इस प्रमाणीकरण से यह सुनिश्चित होता है कि प्रसादम उच्च गुणवत्ता का है और इसके निर्माण में किसी प्रकार की अशुद्धि नहीं हुई है।

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