वाराणसी में विवाद : हिंदू संगठनों ने 14 मंदिरों से हटाई साईं प्रतिमाएं, जानिए 28 और निशाने पर क्यों

UPT | वाराणसी के मंदिर से हटाई गई साईं प्रतिमा

Oct 04, 2024 01:02

वाराणसी इस समय एक बड़े धार्मिक विवाद का केंद्र बन गया है। साईं बाबा की प्रतिमाओं को मंदिरों से हटाए जाने को लेकर शहर में गहरी उथल-पुथल मची हुई है। अब तक 14 मंदिरों से साईं बाबा की मूर्तियाँ...

Varanasi News : वाराणसी इस समय एक बड़े धार्मिक विवाद का केंद्र बन गया है। साईं बाबा की प्रतिमाओं को मंदिरों से हटाए जाने को लेकर शहर में गहरी उथल-पुथल मची हुई है। अब तक 14 मंदिरों से साईं बाबा की मूर्तियाँ हटा दी गई हैं। जिनमें प्रसिद्ध "बड़ा गणेश मंदिर" भी शामिल है। यह अभियान सनातन रक्षक सेना के प्रमुख अजय शर्मा के नेतृत्व में चलाया जा रहा है और आने वाले दिनों में 28 और मंदिरों में इस तरह की कार्यवाही होने की संभावना है।


हिंदू संगठनों की आपत्ति और साईं प्रतिमाओं का विरोध
साईं बाबा की प्रतिमाओं को मंदिरों से हटाने का मुख्य कारण हिंदू संगठनों द्वारा उठाई गई आपत्तियाँ हैं। उनका मानना है कि साईं बाबा मुस्लिम थे और उनका सनातन धर्म से कोई संबंध नहीं है। संगठनों का यह भी तर्क है कि साईं बाबा की पूजा करने पर उन्हें कोई आपत्ति नहीं है। लेकिन वे साईं बाबा की मूर्तियों को हिंदू मंदिरों में स्थापित करने का कड़ा विरोध करते हैं।

साईं बाबा के नाम पर विवाद
इस मुद्दे पर चर्चा के दौरान दीपक यादव नामक एक व्यक्ति ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि यह अभियान सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश के संदर्भ में है। जिसमें कहा गया था कि साईं बाबा को ‘चांद बाबा’ के नाम से बुलाया जाए। यादव ने आगे बताया कि रविवार को एक बैठक के बाद वाराणसी के कई मंदिरों से साईं बाबा की प्रतिमाएँ हटाई गईं। उन्होंने यह भी कहा कि अगर शुरू में ही साईं की मूर्ति स्थापित करने का विरोध होता, तो आज यह विवाद नहीं होता। उनका मानना है कि अब जबकि मूर्तियाँ स्थापित हो चुकी थीं, उन्हें हटाने की प्रक्रिया में सभी को सहयोग देना चाहिए।

पुलिस ने अजय शर्मा को हिरासत में लिया
सनातन रक्षक दल के कार्यकर्ताओं ने वाराणसी के 14 मंदिरों से साईं बाबा की मूर्तियां हटा दीं। इस कार्रवाई ने क्षेत्र में धार्मिक और सामाजिक माहौल को प्रभावित किया है, जबकि प्रशासनिक और सुरक्षा एजेंसियां ​​स्थिति को संभालने के लिए सतर्क हो गई हैं। पुलिस ने संगठन के प्रदेश अध्यक्ष अजय शर्मा को हिरासत में ले लिया है और मामले की जांच शुरू कर दी है। अजय शर्मा के नेतृत्व में यह अभियान चलाया जा रहा था, जिसमें यह दावा किया गया कि हिंदू शास्त्रों में साईं बाबा की पूजा का कोई उल्लेख नहीं है। संगठन का तर्क है कि शास्त्रों के आधार पर साईं बाबा की मूर्तियों को मंदिरों से हटाना आवश्यक है। इस घटना के बाद लखनऊ में भी मूर्तियां हटाने की तैयारी की जा रही है, जिससे यह मामला और भी गंभीर हो गया है।
 
ब्राह्मण समाज को दिया संदेश
दीपक यादव ने पंडितों और ब्राह्मण समाज से अपील करते हुए कहा कि उन्हें ऐसे विवादास्पद मामलों में लिप्त नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा, "अगर किसी को साईं बाबा की पूजा करनी है तो वह अपने घर में या अलग मंदिर बनाकर कर सकता है। लेकिन हिंदू मंदिरों में साईं की मूर्तियाँ नहीं लगाई जानी चाहिए।"

बड़ा गणेश मंदिर से साईं की मूर्ति हटाई गई
जब यह प्रतिमाएँ हटाई जा रही थीं, तो स्थानीय प्रशासन इस प्रक्रिया से दूर रहा। मीड़ीया से बातचीत करते हुए एक स्थानीय व्यक्ति ने बताया कि यह पूरी प्रक्रिया शंकराचार्य के निर्देश पर चल रही है। उन्होंने स्पष्ट किया कि साईं बाबा के प्रति कोई अनादर नहीं है लेकिन उनका स्थान मंदिरों के बजाय अन्यत्र होना चाहिए। बड़ा गणेश मंदिर से भी साईं बाबा की प्रतिमा को हटा दिया गया है। यह प्रतिमा वर्ष 2013 में आनंदेश्वर महादेव के समीप स्थापित की गई थी।

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अजय शर्मा की प्रतिक्रिया
अजय शर्मा ने मीडिया से बातचीत करते हुए बताया कि अब तक 14 मंदिरों से साईं बाबा की मूर्तियाँ हटा दी गई हैं और आने वाले दिनों में 28 अन्य मंदिरों से भी मूर्तियाँ हटाई जाएंगी। उन्होंने यह भी कहा कि पहले वह स्वयं साईं बाबा की पूजा और परिक्रमा करते थे, लेकिन पिछले छह वर्षों से उन्होंने इसे पूरी तरह बंद कर दिया है। उनके अनुसार साईं बाबा की पूजा को वह प्रेत पूजा मानते हैं, जो सनातन धर्म की मान्यताओं के विपरीत है।

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