पांच सौ साल पुरानी रोचक कथा : मथुरा में अक्षय तृतीया पर ठाकुर बांकेबिहारी जी के चरण दर्शन को उतावले रहते हैं भक्‍त

UPT | ठाकुर बांकेबिहारी जी

May 08, 2024 23:38

मथुरा स्थित निधिवन राज मंदिर में विराजमान ठाकुर बांकेबिहारी जी साल भर छिपे रहते हैं और केवल अक्षय तृतीया के दिन ही अपने भक्तों को चरण दर्शन देते हैं। इस परंपरा के पीछे एक रोचक कथा है...

Mathura News : मथुरा स्थित निधिवन राज मंदिर में विराजमान ठाकुर बांकेबिहारी जी साल भर छिपे रहते हैं और केवल अक्षय तृतीया के दिन ही अपने भक्तों को चरण दर्शन देते हैं। इस परंपरा के पीछे एक रोचक कथा है जो लगभग 500 साल पुरानी है। इस कथा के अनुसार भक्‍तों की अपनी मान्‍यता है। जिसके चलते ठाकुर बांके बिहारी की भावपूर्ण सेवा की जाती है। जानि‍ए रोचक कथा की पूरी कहानी।  

बांके बिहारी को लेकर मान्‍यता
करीब पांच सदी पहले जब संगीत सम्राट स्वामी हरिदास की साधना से प्रसन्न होकर बांकेबिहारी जी प्रकट हुए, तब स्वामी जी अपने लाडले की भावपूर्ण सेवा में लीन रहते थे। लेकिन उस समय धन की कमी के चलते बांकेबिहारी जी की दिनप्रतिदिन की सेवा और भोग करने में कठिनाई होती थी। तब बांकेबिहारी जी का चमत्कार हुआ और हर दिन उनके चरणों में एक स्वर्ण मुद्रा प्रकट होने लगी। इस मुद्रा से स्वामी जी अपने लाडले की सेवा करते रहे। बाद में यह मुद्रा प्रकट होना बंद हो गया लेकिन आराध्य के चरण दर्शन न करवाने की परंपरा आज भी सेवायतों द्वारा निभाई जा रही है।

व‍िलक्षण परंपरा
मान्यता है कि बांकेबिहारी जी के चरणों में अपार ऐश्वर्य और शक्ति निहित है। उनके चरण दर्शन करने वाले की हर मनोकामना पूर्ण होती है। इसीलिए हर साल अक्षय तृतीया पर लाखों भक्त वृंदावन में डेरा डालकर आराध्य के चरण दर्शन की प्रतीक्षा करते हैं। बांकेबिहारी जी के चरण दर्शन का यह अवसर भक्तों के लिए अक्षय पुण्य की प्राप्ति माना जाता है। चरण दर्शन के बाद आराध्य फिर से पूरे साल के लिए पोशाक में छिप जाते हैं। यह विलक्षण परंपरा मथुरा के इस प्रसिद्ध मंदिर की विशेषता बनी हुई है।

दूर-दूर से आते हैं लोग
बताया जाता है क‍ि पहले जब निधिवन राज मंदिर में संगीत सम्राट स्वामी हरिदास की संगीत साधना से प्रसन्न होकर ठाकुर बांकेबिहारी प्रकट हुए, तब स्वामीजी अपने बांकेबिहारी की भाव सेवा में डूब गए थे। हालात ये थे कि ठाकुरजी की दिनभर की सेवा करने के लिए आर्थिक संकट था। बांकेबिहारीजी अक्षय तृतीया के दिन साल में एक ही बार भक्तों को चरण दर्शन देते हैं। मान्‍यता है कि ठाकुरजी के चरणों में अपार खजाना है। ठाकुरजी के चरणों के विलक्षण दर्शन करने वाले की हर मनोकामना पूर्ण होती है। यही कारण है कि अक्षय तृतीया पर आराध्य के चरण दर्शन को देश दुनिया से लाखों भक्त वृंदावन में डेरा डालकर एक झलक पाने को उतावले रहते हैं।

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