शबाना आजमी का पैतृक गांव में दौरा : महिलाओं के हुनर और शिक्षा पर दिया विशेष ध्यान, मधुबनी पेंटिंग की प्रशंसा की

UPT | Shabana Azmi

Aug 25, 2024 00:36

शबाना आजमी ने मशहूर फैशन डिजाइनर मनीष मल्होत्रा द्वारा दिए गए कपड़ों पर काम कर रही महिलाओं को प्रोत्साहित किया और कहा कि मेहनत और ईमानदारी से वे अपने परिवारों को समृद्ध बना सकती हैं।

Short Highlights
  • शबाना आजमी ने अपने पैतृक गांव का दौरा किया
  • महिलाओं के कौशल की सराहना की
  • प्रसिद्ध मधुबनी पेंटिंग से सजी चादरों की भी प्रशंसा की
Azamgarh News : फिल्म अभिनेत्री शबाना आजमी ने अपने पैतृक गांव मेजवां में तीन दिवसीय प्रवास के अंतिम दिन कई महत्वपूर्ण स्थानों का दौरा किया। उन्होंने कैफी आजमी सिलाई और चिकनकारी सेंटर का निरीक्षण करते हुए वहां कार्यरत महिलाओं के कौशल की सराहना की। शबाना आजमी ने मशहूर फैशन डिजाइनर मनीष मल्होत्रा द्वारा दिए गए कपड़ों पर काम कर रही महिलाओं को प्रोत्साहित किया और कहा कि मेहनत और ईमानदारी से वे अपने परिवारों को समृद्ध बना सकती हैं।

मधुबनी पेंटिंग की प्रशंसा
इसी दौरान, शबाना ने बिहार की प्रसिद्ध मधुबनी पेंटिंग से सजी चादरों की भी प्रशंसा की। उन्होंने कैफी आजमी गर्ल्स कॉलेज का निरीक्षण किया और वहां के स्टाफ के साथ बैठक कर स्कूल के विकास पर चर्चा की। शबाना ने छात्राओं की संख्या के बारे में जानकारी ली और शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने पर जोर दिया।



बिजली विभाग के अधिकारियों से की मुलाकात
वहीं अपने प्रवास के दौरान, शबाना ने स्थानीय बिजली विभाग के अधिकारियों से भी मुलाकात की। उन्होंने मेजवा गांव में बिजली व्यवस्था को बेहतर बनाने और लंबे समय से बंद पड़ी सोडियम लाइटों को चालू करने की मांग की। इस तरह, शबाना आजमी ने अपने गांव के समग्र विकास पर ध्यान केंद्रित किया, जिसमें महिला सशक्तिकरण, शिक्षा और बुनियादी सुविधाओं का सुधार शामिल था।

ग्रामीणों ने भव्य स्वागत किया
बता दें कि प्रसिद्ध अभिनेत्री और पद्मश्री पुरस्कार विजेता शबाना आजमी बीते मंगलवार को अपने पैतृक गांव मेजवां पहुंची, जहां उनका भव्य स्वागत हुआ। ग्रामीणों ने उन्हें फूलमालाओं से लाद दिया, जबकि महिलाओं ने परंपरागत रूप से उनकी आरती उतारी। शबाना ने फतेह मंजिल परिसर में अपने पिता, प्रख्यात उर्दू शायर कैफी आजमी और दादा फतेह हुसैन की मूर्तियों पर श्रद्धांजलि अर्पित की।

सावन के गीतों का लिया आनंद
अपने प्रवास के दौरान, शबाना ने स्थानीय लोगों से मुलाकात कर उनका हाल-चाल जाना और ग्रामीण महिलाओं द्वारा गाए गए सावन के गीतों का आनंद लिया। यह यात्रा न केवल एक भावनात्मक पुनर्मिलन थी, बल्कि इसने शबाना के अपने मूल से जुड़ाव और ग्रामीण संस्कृति के प्रति उनके सम्मान को भी प्रदर्शित किया। मिजवां वेलफेयर सोसायटी के प्रबंधक आशुतोष त्रिपाठी के अनुसार, शबाना आजमी का यह संक्षिप्त प्रवास 24 सितंबर को समाप्त होगा, जब वे मुंबई लौटेंगी।

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