घाघरा नदी का जलस्तर घटा : कटान से फसलें और मकान खतरे में, 100 बीघा खेती हुई बर्बाद

UPT | घाघरा नदी

Sep 26, 2024 14:48

गोंडा में घाघरा नदी का जलस्तर घटने की वजह से नदी ने तेजी से कटान शुरू कर दी है। इसका सबसे ज्यादा प्रभाव किसानों और ग्रामीणों पर हो रहा है। नदी की कटान की वजह से 100 बीघा से अधिक फसलें बर्बाद हो गई है।

Gonda News : गोंडा जिले में घाघरा नदी का जलस्तर घटने के साथ ही नदी ने तेजी से कटान शुरू कर दी है, जिससे किसानों और ग्रामीणों के लिए गंभीर समस्याएं खड़ी हो गई हैं। बीते 24 घंटे के भीतर नवाबगंज थाना क्षेत्र के बाणीमाझा, चहलवा और तुलसीपुर माझा गांवों में नदी ने 100 बीघा से अधिक फसलें काटकर अपने साथ बहा ली हैं। घाघरा नदी की कटान से कई पक्के मकान भी खतरे की जद में आ गए हैं, जिससे लोग अपने घरों को छोड़कर सुरक्षित स्थानों पर शरण लेने के लिए मजबूर हो गए हैं।

फसलों का तेजी से हो रहा विनाश
नदी के लगातार कटान से साकीपुर और चहलवा गांव के निवासी चिंतित हैं। किसानों की धान और गन्ने की फसलें नदी में बहकर बर्बाद हो रही हैं। तेजी से हो रही तबाही को देखते हुए किसान अब अपनी बची हुई फसलें काटकर पशुओं को खिलाने पर मजबूर हो गए हैं, क्योंकि उनके पास और कोई विकल्प नहीं बचा है।

आर्थिक सहायता की उम्मीद
कटान से प्रभावित हुए ग्रामीण अब जिला प्रशासन से सहायता की उम्मीद लगाए बैठे हैं। गांव के व्यक्ति जिनका मकान कटान की चपेट में आ चुका है, उन्हें अब तक मुआवजा नहीं मिला है। इसके अलावा, कई किसान जिनकी फसलें बर्बाद हो चुकी हैं, अभी तक किसी भी तरह की आर्थिक सहायता नहीं प्राप्त कर सके हैं। हालांकि, प्रशासन की ओर से कार्रवाई की शुरुआत हो चुकी है। क्षेत्रीय लेखपाल ओमप्रकाश वर्मा ने कटान से प्रभावित किसानों की सूची तैयार कर कर्नलगंज तहसील प्रशासन को भेज दी है, ताकि उन्हें मुआवजा राशि जल्द से जल्द दी जा सके।

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पेड़-पौधे भी हो रहे हैं प्रभावित
कटान का असर सिर्फ फसलों और मकानों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि बड़ी संख्या में पेड़ भी नदी में समाहित हो रहे हैं। चहलवा गांव के किसान राजकिशोर, भानु, गुल्ले, नंदकिशोर, प्रीतम और रामदेव ने बताया कि 24 घंटे के भीतर 100 बीघा से ज्यादा फसल नदी के कटान में बह चुकी है। इसके साथ ही आम के पेड़ और अन्य पेड़-पौधे भी नदी के प्रवाह में समा रहे हैं।

प्रशासनिक कार्रवाई की प्रतीक्षा
घाघरा नदी के इस कटान से प्रभावित हुए किसानों को आर्थिक मुआवजा मिलने की उम्मीद तो है, लेकिन वे अब भी प्रशासन की ओर से ठोस कदम उठाए जाने की प्रतीक्षा कर रहे हैं। लेखपाल द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट प्रशासन को भेज दी गई है, और ग्रामीणों को उम्मीद है कि उन्हें जल्द ही उचित मुआवजा मिल जाएगा।

खतरे की ओर इशारा
नदी का जलस्तर फिलहाल खतरे के निशान से 65 सेंटीमीटर नीचे है, लेकिन अगर कटान इसी गति से जारी रही तो आने वाले दिनों में स्थिति और भी विकराल हो सकती है। प्रशासन और स्थानीय लोग इस समस्या के समाधान का इंतजार कर रहे हैं ताकि किसी बड़े नुकसान से बचा जा सके।

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