Maharajganj News : खेतों में पराली जलाने वाले किसानों की खैर नहीं, जानें प्रशासन ने क्या दी चेतावनी...

UPT | खेतों में पराली जलाने वाले किसानों की खैर नहीं।

Oct 07, 2024 13:01

यूपी के जनपद महराजगंज में धान की फसल कटने के बाद खेतों में पराली जलाई गई तो आरोपी किसानों पर जुर्माना लगाया जाएगा। प्रशासन उसकी वसूली करेगा। पराली जलाने पर रोक को लेकर कृषि विभाग की ओर से अभी से ...

Maharajganj News : यूपी के जनपद महराजगंज में धान की फसल कटने के बाद खेतों में पराली जलाई गई तो आरोपी किसानों पर जुर्माना लगाया जाएगा। प्रशासन उसकी वसूली करेगा। पराली जलाने पर रोक को लेकर कृषि विभाग की ओर से अभी से सतर्कता बरती जा रही है। बिना स्ट्रा रीपर या सुपर मैनेजमेंट सिस्टम के धान की कटाई करने वाले हार्वेस्टिंग मशीन (कंबाइन) संचालकों को भी राष्ट्रीय हरित अभिकरण के नियमों की परिधि में रखा जाएगा। उनकी लापरवाही सामने आने पर उनके मशीनों को सीज किया जाएगा। कंबाइन स्वामी के व्यय पर हार्वेस्टिंग मशीन में सुपर मैनेजमेंट सिस्टम लगवाने के बाद ही उन्हें छोड़ा जाएगा।

पराली जलाने पर प्रतिबंध 
धान की पराली (फसल अवशेष) जलाने पर पूरी तरह प्रतिबंध है। इस पर अर्थदंड का प्रविधान किया गया है। इस बाबत उपकृषि निदेशक के स्तर से पूर्व में ही कंबाइन हार्वेस्टर संचालकों को चेतावनी दी जा चुकी है और अर्थदंड के प्रविधान को विस्तार से बताया जा चुका है। राष्ट्रीय हरित अभिकरण की ओर से निर्धारित अर्थदंड, बोई गई कृषि भूमि का क्षेत्रफल दो एकड़ से कम होने की दशा में 2500 रुपये प्रति घटना, कृषि भूमि का क्षेत्रफल पांच एकड़ से कम होने की दशा में 5000 रुपये प्रति घटना, क्षेत्रफल पांच एकड़ से अधिक होने की दशा में 15,000 रुपये अर्थदंड प्रति घटना देय होगा। 

क्या कहते हैं उप कृषि निदेशक
उप कृषि निदेशक वीरेंद्र कुमार ने बताया कि जनपद के सभी हार्वेस्टिंग मशीन (कंबाइन) संचालकों को राष्ट्रीय हरित अभिकरण के प्रवधानों की जानकारी दी जा रही है। इसके बाद भी कोई पकड़ा जाता है तो कार्रवाई की जाएगी। इस बारे में ब्लाक स्तर पर कृषि विभाग के कर्मचारी भी किसानों को जागरूक कर रहे हैं।

बिना एसएमएस के न करें धान की कटाई
कंबाइन हार्वेस्टर धान की कटाई के लिए एसएमएस (सुपर मैनेजमेन्ट सिस्टम) को अटैच करके ही फसल की कटाई करें, क्योंकि एसएमएस फसल अवशेष को छोटे-छोटे टुकड़ों में काटकर जमीन में बिखेर देता है। एसएमएस से छोटे टुकड़ों में कटे पराली के अवशेष जमीन में मिलकर मिट्टी में कार्बन अंश व उर्वरता बढ़ाने में सहायक होते हैं। इससे पराली जलाने की भी नौबत नहीं आएगी, जिससे पर्यावरण प्रदूषण पर भी रोक लगेगी।

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