बिजली चोरों को कनेक्शन देने के UPPCL के फरमान पर सख्त कार्रवाई की मांग : उपभोक्ता परिषद बोला- नियामक आयोग पेश करे नजीर

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Oct 16, 2024 19:00

उपभोक्ता परिषद ने कहा कि यूपीपीसीएल को लगता है कि वह निदेशक मंडल से चाहे कोई भी आदेश पारित कर सकता है। वास्तव में वह अनावश्यक विवाद उत्पन्न करने के लिए इस प्रकार के कदम उठाता है।

Lucknow News : प्रदेश में बिजली चोरी करने वाले उपभोक्ताओं को नियमों से परे जाकर नए कनेक्शन देने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन लिमिटेड (UPPCL) 4 किलोवाट तक के घरेलू और कमर्शियल बिजली कनेक्शन वाले ऐसे मामलों में आदेश जारी कर चुका है। उपभोक्ता परिषद ने इस पर कड़ा ऐतराज जताया है। इस बीच यूपीपीसीएल की तरफ से उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग (UPERC) में संशोधन के लिए प्रस्ताव दाखिल किया गया है। 

आयोग के अध्यक्ष और सदस्य से मुलाकात
उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने इस मामले में आयोग के अध्यक्ष अरविंद कुमार और सदस्य संजय कुमार सिंह से मुलाकात कर चर्चा की। उन्होंने कहा कि ऊर्जा क्षेत्र के इतिहास में पहली बार पावर कारपोरेशन ने विद्युत नियामक आयोग में कोई प्रस्ताव दाखिल करके और उसे पर स्वत: निर्णय सुनाया है। ऐसे में इस पर कठोर कार्रवाई होना चाहिए, जिससे एक नजीर स्थापित हो सके। 



यूपीपीसीएल ने किया अधिकारों का अतिक्रमण
उन्होंने कहा कि पावर कारपोरेशन को अपनी परिधि में ही काम करना चाहिए। विद्युत नियामक आयोग अर्ध न्यायिक स्वतंत्र संस्था है। वह विद्युत अधिनियम 2003 के तहत उपभोक्ताओं के हितों में अपना काम कर रही है। भविष्य में अधिकारी फिर इस तरह की का कदम नहीं उठाएं, इस​के लिए कार्रवाई जरूरी है।

निदेशक मंडल से मनमाना आदेश कराया जा रहा पारित
उपभोक्ता परिषद ने कहा कि यूपीपीसीएल को लगता है कि वह निदेशक मंडल से चाहे कोई भी आदेश पारित कर सकता है। वास्तव में वह अनावश्यक विवाद उत्पन्न करने के लिए इस प्रकार के कदम उठाता है। वास्तव में 40 मीटर की परिधि में बिजली कनेक्शन लेने वालों के लिए बढ़ोतरी का प्रस्ताव दाखिल करने वाला पावर कारपोरेशन चाहता है कि केवल बिजली चोरों को ही फायदा पहुंचाया जाए।

आदेश की निष्पक्षता और वैधानिकता की जांच जरूरी
अहम बात है कि वर्तमान में पावर कारपोरेशन का निदेशक मंडल आए दिन अलग-अलग आदेश जारी कर रहा है। ऐसे में इसकी निष्पक्षता और वैधानिकता की जांच की भी जरूरत है। छोटे-छोटे विषयों पर निदेशक मंडल का निर्णय कराया जा रहा है। इस तरह पावर कारपोरेशन अपनी गलती को सामूहिक गलती में तब्दील करने में जुटा है।
 

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