चर्चा में केशव मौर्य की पुरानी चिट्ठी : 69000 शिक्षक भर्ती में आरक्षण मुद्दे पर भाजपा के लिए सहारा, आरक्षण के मुद्दे पर ये कहा था...

UPT | मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य

Aug 21, 2024 17:17

यूपी में 69,000 शिक्षक भर्ती मामले में अभ्यर्थियों का धरना प्रदर्शन जारी है। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि कोर्ट ने उनके पक्ष में फैसला दिया है, बस उन्हें जल्दी नियुक्ति पत्र चाहिए...

Lucknow News : यूपी में 69,000 शिक्षक भर्ती मामले में अभ्यर्थियों का धरना प्रदर्शन जारी है। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि कोर्ट ने उनके पक्ष में फैसला दिया है, बस उन्हें जल्दी नियुक्ति पत्र चाहिए। कोर्ट के फैसले का स्वागत प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी किया। अब डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य की 26 नवंबर 2023 की एक चिट्ठी सामने आई है, जो चर्चा का विषय बनी हुई है।

केशव प्रसाद मौर्य की चिट्ठी ने किया था इशारा
यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य की 26 नवंबर 2023 की चिट्ठी सामने आई है, जिसमें उन्होंने मुख्यमंत्री को 69000 शिक्षक भर्ती में आरक्षण की विसंगतियों की ओर इशारा किया था। चिट्ठी में मौर्य ने कहा कि इस भर्ती में पिछड़ों और दलितों के आरक्षण में अनियमितताएँ हैं। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग और राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग दोनों ने ओबीसी और दलित अभ्यर्थियों के दावों को सही माना है, और इसलिए वंचित वर्ग के साथ न्याय किया जाना चाहिए। केशव मोर्य की चिट्ठी सियासी गलियारों में खूब चर्चा में है।



ओबीसी और दलित अभ्यर्थियों के पक्ष में आए डिप्टी सीएम
इस चिट्ठी ने यह स्पष्ट कर दिया कि सरकार के शीर्ष स्तर पर शिक्षक बहाली के मुद्दे पर एकमत नहीं था। डिप्टी सीएम केशव मौर्य ने दृढ़ता से ओबीसी और दलित अभ्यर्थियों के समर्थन में खड़े हुए, जबकि सरकार के अन्य नेताओं ने इस मुद्दे पर किसी की बात नहीं सुनी। अब पार्टी के कई नेता केशव मौर्य की चिट्ठी का हवाला देकर दावा करने लगे हैं कि पार्टी हमेशा से ओबीसी और दलित अभ्यर्थियों के पक्ष में रही है और उनके मुद्दों को हल करने की दिशा में पहले भी प्रयास कर चुकी है। आइये जानते हैं शिक्षक भर्ती विवाद का अतीत।

2019 में हुआ था शिक्षक भर्ती का एग्जाम
बता दें कि 5 दिसंबर, 2018 को उत्तर प्रदेश सरकार ने बेसिक एजुकेशन डिपार्टमेंट में 69000 सहायक शिक्षकों की भर्ती के लिए एक विज्ञापन जारी किया। असिस्टेंट टीचर रिक्रूटमेंट परीक्षा 5 जनवरी, 2019 को आयोजित की गई थी। इस परीक्षा के लिए 4.31 लाख उम्मीदवारों ने आवेदन किया था, जिनमें से 4.10 लाख ने परीक्षा दी। 12 मई को परिणाम घोषित किया गया, जिसमें 1.46 लाख उम्मीदवारों ने सफलता प्राप्त की। जनरल कैटेगरी के लिए कट-ऑफ 67.11 फीसदी, ओबीसी के लिए 66.73 फीसदी, और एससी कैटेगरी के लिए 61.01 फीसदी तय की गई थी।

यहां पर फंसा मामला
इसके बाद 1 जून 2020 को बेसिक एजुकेशन बोर्ड इलाहाबाद के सचिव ने भर्ती प्रक्रिया की रूपरेखा प्रस्तुत की। इसके बाद, चयनित उम्मीदवारों की दो सूचियां जारी की गई। पहली सूची 11 अक्टूबर 2020 को प्रकाशित हुई, जिसमें 31,277 अभ्यर्थी शामिल थे। दूसरी सूची 30 अक्टूबर 2020 को जारी की गई, जिसमें कुल 36,590 अभ्यर्थी थे। इस प्रकार, कुल 69,000 पदों में से 67,867 अभ्यर्थी चयनित किए गए। एसटी कैटेगरी के उम्मीदवारों के लिए 1,133 पद खाली रह गए, क्योंकि इस वर्ग के लिए पर्याप्त उम्मीदवार उपलब्ध नहीं थे।

कई अभ्यर्थियों पहुंचे इलाहाबाद हाईकोर्ट
इसी बीच कई अभ्यर्थियों ने इस मामले को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट का रुख किया। उनका आरोप था कि मेधावी रिजर्व कैटेगरी के उम्मीदवारों को जनरल कैटेगरी के बजाय रिजर्व कैटेगरी में रखा गया। उनका कहना था कि यह रिजर्वेशन एक्ट 1994 की धारा 3(6) के खिलाफ है, जो यह प्रावधान करती है कि रिजर्व कैटेगरी के उम्मीदवार, जो जनरल कैटेगरी के उम्मीदवारों के समान अंक प्राप्त करते हैं, उन्हें अनरिजर्व वैकेंसी पर नियुक्त किया जाना चाहिए।

हाईकोर्ट ने सुनाया यह फैसला
हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने कई हलफनामे पेश किए। बाद में, एक बयान जारी कर स्वीकार किया कि रिजर्वेशन एक्ट 1994 के प्रावधानों का सही ढंग से पालन नहीं किया गया। इसके परिणामस्वरूप, 5 जनवरी, 2022 को नई सूची जारी की गई, जिसमें रिजर्व कैटेगरी के 6,800 अतिरिक्त उम्मीदवारों को नियुक्ति दी गई। हालांकि, 13 मार्च, 2023 को इलाहाबाद हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने पिछली सूची को रद्द कर दिया। इसके बाद, 13 मार्च के आदेश को चुनौती देते हुए कई याचिकाओं के माध्यम से मामला 17 अप्रैल, 2023 को फिर से इलाहाबाद हाईकोर्ट में प्रस्तुत किया गया।

3 महीने के अंदर नई लिस्ट जारी करना का आदेश
बता दें कि इलाहाबाद हाई कोर्ट की सिंगल बेंच ने शिक्षक भर्ती परीक्षा मामले में ATRE (अपेक्स टैलेंट रिवॉर्ड एग्जाम ) को पात्रता परीक्षा नहीं माना था। हालांकि अब लखनऊ की डबल बेंच ने इस आदेश को रद्द करते हुए आरक्षण नियमावली 1994 की धारा 3 (6) और बेसिक शिक्षा नियमावली 1981 का हवाला देते हुए सरकार को 3 महीने के अंदर नई लिस्ट रिजर्वेशन का पालन करते हुए जारी करने को कहा है।

इस कारण प्रदर्शन कर रहे अभ्यर्थी
अब सवाल ये उठता है कि प्रदर्शन करने वाले लोग कौन हैं? दरअसल, 5 साल से लगातार 69000 शिक्षक बहाली में ओबीसी और दलित आरक्षण को सवर्ण को दिए जाने का मुद्दा बना रहे इन अभ्यर्थियों ने किसी नेता की कोई चौखट नहीं छोड़ी, जहां इन्होंने शिक्षक बहाली में आरक्षण घोटाले का मुद्दा न उठाया हो। अब अभ्यर्थियों ने मांग की है कि हाई कोर्ट के फैसले को शीघ्र लागू किया जाए और आरक्षित वर्ग के उम्मीदवारों को न्याय प्रदान करते हुए उनकी नियुक्ति के रास्ते खोलें। उनका कहना है कि पुरानी सूची तैयार करने वाले अधिकारियों को हटाकर नए अधिकारियों को जिम्मेदारी सौंपनी चाहिए। इसके साथ ही, नई सूची बनाकर सभी उम्मीदवारों की नियुक्ति की जानी चाहिए।

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